गुरुवार, 19 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. Bharat , India to be used interchangeably in textbooks, debate over it useless: NCERT chief
Last Updated :नई दिल्ली , सोमवार, 17 जून 2024 (23:30 IST)

NCERT किताबों में अब भारत और इंडिया के इस्तेमाल पर बहस, क्या बोले एनसीईआरटी के निदेशक

NCERT किताबों में अब भारत और इंडिया के इस्तेमाल पर बहस, क्या बोले एनसीईआरटी के निदेशक - Bharat ,  India  to be used interchangeably in textbooks, debate over it useless: NCERT chief
Bharat -India  to be used interchangeably in NCERT textbooks राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी ने कहा है कि एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों में 'भारत' और 'इंडिया' का परस्पर प्रयोग किया जाएगा, जैसा कि देश के संविधान में है। ये टिप्पणियां सामाजिक विज्ञान पाठ्यक्रम पर काम कर रही एक उच्च स्तरीय समिति द्वारा यह सिफारिश किए जाने के मद्देनजर महत्वपूर्ण हैं कि सभी कक्षाओं की स्कूली पाठ्यपुस्तकों में 'इंडिया' के स्थान पर “भारत” शब्द होना चाहिए।
 
यहां मुख्यालय में संपादकों के साथ बातचीत में एनसीईआरटी प्रमुख ने कहा कि किताबों में दोनों शब्दों का इस्तेमाल किया जाएगा और परिषद को “भारत” या “इंडिया” से कोई परहेज नहीं है।
 
उन्होंने कहा, “यह परस्पर उपयोग के योग्य हैं....हमारा रुख वही है जो हमारा संविधान कहता है और हम उस पर कायम हैं। हम भारत का इस्तेमाल कर सकते हैं, हम इंडिया का इस्तेमाल कर सकते हैं, इसमें समस्या क्या है? हम इस बहस में नहीं हैं। जहां भी हमें ठीक लगेगा हम इंडिया का इस्तेमाल करेंगे, जहां भी हमें ठीक लगेगा हम भारत का इस्तेमाल करेंगे। हमें इंडिया या भारत से कोई परहेज नहीं है।”
 
सकलानी ने कहा कि आप देख सकते हैं कि दोनों का प्रयोग हमारी पाठ्यपुस्तकों में पहले से ही किया जा रहा है और नई पाठ्यपुस्तकों में भी यह जारी रहेगा। यह एक बेकार बहस है।
 
विद्यालयी पाठ्यक्रम को संशोधित करने के लिए एनसीईआरटी द्वारा गठित सामाजिक विज्ञान की एक उच्च स्तरीय समिति ने पिछले वर्ष सिफारिश की थी कि सभी कक्षाओं की पाठ्यपुस्तकों में “इंडिया” के स्थान पर “भारत” शब्द रखा जाना चाहिए।
समिति के अध्यक्ष सीआई इसाक ने कहा था कि उन्होंने पाठ्यपुस्तकों में “इंडिया” के स्थान पर “भारत” शब्द रखने, पाठ्यक्रम में “प्राचीन इतिहास” के स्थान पर “शास्त्रीय इतिहास” को शामिल करने तथा सभी विषयों के पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) को शामिल करने का सुझाव दिया है।
 
इसाक ने ने कहा था, “समिति ने सर्वसम्मति से सिफारिश की है कि सभी कक्षाओं के छात्रों की पाठ्यपुस्तकों में भारत नाम का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। भारत एक सदियों पुराना नाम है। भारत नाम का इस्तेमाल प्राचीन ग्रंथों में किया गया है, जैसे कि विष्णु पुराण, जो 7,000 साल पुराना है।”
 
शिखर सम्मेलन में सामने आया भारत नाम : एनसीईआरटी ने तब कहा था कि समिति की सिफारिशों पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। भारत नाम पहली बार आधिकारिक तौर पर पिछले साल सामने आया था, जब सरकार ने जी-20 के निमंत्रण को 'प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया' की बजाय “प्रेसिडेंट ऑफ भारत” के नाम से भेजा था। बाद में नई दिल्ली में शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नामपट्टिका पर भी इंडिया के स्थान पर “भारत” लिखा हुआ दिखायी दिया।
 
एनसीईआरटी एक बार फिर विवाद के केंद्र में है, क्योंकि कक्षा 12 की संशोधित राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में बाबरी मस्जिद का उल्लेख नहीं किया गया है, बल्कि उसे “तीन गुंबद वाली संरचना” बताया गया है।
 
पाठ्यपुस्तकों में हाल ही में हटाए गए संदर्भों में शामिल हैं: गुजरात के सोमनाथ से अयोध्या तक भाजपा की 'रथ यात्रा'; कारसेवकों की भूमिका; बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद सांप्रदायिक हिंसा; भाजपा शासित राज्यों में राष्ट्रपति शासन; और भाजपा द्वारा “अयोध्या की घटनाओं पर खेद व्यक्त करना”।
 
कक्षा 11 की राजनीति विज्ञान की नयी पाठ्यपुस्तक में अब कहा गया है कि राजनीतिक दल “वोट बैंक की राजनीति” को ध्यान में रखते हुए “अल्पसंख्यक समूह के हितों को प्राथमिकता देते हैं”, जिससे “अल्पसंख्यक तुष्टीकरण” होता है।
यह 2023-24 के शैक्षणिक सत्र तक जो पढ़ाया जाता था, उससे पूरी तरह से बदलाव का संकेत है - कि अगर छात्र 'गहनता से सोचें', तो उन्हें पता चलेगा कि इस बात के 'बहुत कम सबूत' हैं कि वोट बैंक की राजनीति देश में अल्पसंख्यकों के पक्ष में है। भाषा
ये भी पढ़ें
Air India की उड़ान के खाने में मिली ब्लेड, Airline ने इसे ठहराया दोषी