kanchenjunga express train accident : पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में सोमवार सुबह एक मालगाड़ी के पीछे से टक्कर मारने के कारण सियालदह जाने वाली कंचनजंघा एक्सप्रेस के 4 डिब्बे पटरी से उतर गए, जिससे कम से कम 9 लोगों की मौत हो गई और 41 अन्य घायल हो गए। पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से जानकारी दी है कि पश्चिम बंगाल में रानीपतरा रेलवे स्टेशन और चत्तर हाट जंक्शन के बीच ऑटोमैटिक सिग्नलिंग सिस्टम सुबह 5.50 बजे से ही खराब था।
कितनी मौतें : एक वरिष्ठ रेलवे अधिकारी ने बताया कि मृतकों में मालगाड़ी का चालक और यात्री ट्रेन का गार्ड शामिल है। पुलिस ने बताया कि दुर्घटना में घायल हुए लोगों को उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पश्चिम बंगाल पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के हवाले से कुछ स्थानीय खबरों में मृतकों की संख्या 15 बताई गई है।
अधिकारी ने बताया कि यह टक्कर न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन से 30 किमी दूर रंगापानी स्टेशन के पास हुई। उन्होंने कहा कि सुबह 8.55 बजे मालगाड़ी के इंजन के टक्कर मारने पर कंचनजंघा एक्सप्रेस के पीछे के चार डिब्बे पटरी से उतर गए।
दुर्घटना के तुरंत बाद रेलवे बोर्ड की अध्यक्ष जया वर्मा सिन्हा ने कहा कि टक्कर इसलिए हुई क्योंकि मालगाड़ी ने सिग्नल की अनदेखी की। रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) ने दुर्घटना के कारणों की जांच शुरू कर दी है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर पोस्ट में कहा कि पश्चिम बंगाल में रेल दुर्घटना दुखद है। जिन लोगों ने इस हादसे में अपने प्रियजनों को खो दिया है, उनके प्रति मेरी संवेदना है। मैं हादसे में घायल हुए लोगों के जल्द से जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं।
बड़े वाहनों के आवागमन के लिए सड़क संकरी होने के कारण रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव कुछ दूरी तक मोटरसाइकिल पर पीछे बैठकर घटनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने राहत कार्यों का जायजा लिया और घायलों और मृतकों के परिजनों के लिए मुआवजे की घोषणा की।
वैष्णव ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये दिए जाएंगे, गंभीर रूप से घायलों को ढाई-ढाई लाख रुपए और मामूली रूप से चोटिल लोगों को 50-50 हजार रुपये दिए जाएंगे।
वैष्णव ने कहा कि रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) ने दुर्घटना के कारणों की जांच शुरू कर दी है और कहा कि उन परिस्थितियों की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए उपाय किए जाएंगे जिनके कारण दुर्घटना हुई।
उन्होंने जोर देकर कहा कि पूर्वोत्तर भारत को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाले महत्वपूर्ण मार्ग पर ट्रेन परिचालन बहाल करना रेलवे के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है।
रेलवे बोर्ड की अध्यक्ष जया वर्मा सिन्हा ने सुबह 8:55 बजे दुर्घटना के तुरंत बाद दिल्ली में कहा कि यह टक्कर इसलिए हुई क्योंकि मालगाड़ी ने सिग्नल की अनदेखी की और कंचनजंघा एक्सप्रेस से टकरा गई जो अगरतला से सियालदह जा रही थी।
सियालदह-कंचनजंघा एक्सप्रेस के एक यात्री ने कहा कि तेज आवाज के साथ अचानक जोर का झटका लगा और ट्रेन अचानक रुक गई। उतरने पर उन्होंने देखा कि मालगाड़ी ने उनके रैक को पीछे से टक्कर मार दी है।
उन्होंने कहा, हम चाय पी रहे थे तभी ट्रेन अचानक झटके के साथ रुक गई। अपने परिवार के साथ यात्रा कर रही एक गर्भवती महिला ने कहा कि टक्कर लगने पर वह अपनी सीट से गिर गईं।
वातानुकूलित स्लीपर कोचों में से एक में अपने परिवार के साथ बैठी इस महिला ने कहा कि यह भूकंप जैसा महसूस हुआ। हमें खुद को संभालने और यह समझने में कुछ समय लगा कि क्या हुआ है। अगरतला के एक यात्री, जो कंचनजंघा एक्सप्रेस के कोच संख्या एस 6 में थे, ने कहा कि उन्हें अचानक झटका महसूस हुआ और फिर डिब्बा रुक गया।
यात्री ने एक टेलीविजन चैनल को बताया, मेरी पत्नी, बच्चा और मैं किसी तरह क्षतिग्रस्त कोच से बाहर निकलने में कामयाब रहे। हम फिलहाल फंसे हुए हैं... बचाव अभियान भी काफी देर से शुरू हुआ।
रेलवे अधिकारियों से मिली शुरुआती जानकारी के मुताबिक, यात्री ट्रेन पटरी पर खड़ी थी तभी पीछे से मालगाड़ी ने उसमें टक्कर मार दी। इस बीच, आंतरिक दस्तावेज़ों से पता चला कि मालगाड़ी को सभी लाल सिग्नलों को पार करने की अनुमति दी गई थी क्योंकि स्वचालित सिग्नलिंग विफल हो गई थी।
रेलवे के एक सूत्र ने बताया कि दस्तावेज, टीए 912 नामक एक लिखित प्राधिकार, मालगाड़ी के चालक को रानीपत्रा के स्टेशन मास्टर द्वारा जारी किया गया था, जिसमें उसे सभी लाल सिग्नल पार करने के लिए अधिकृत किया गया था।
रेलवे बोर्ड ने कहा कि प्रारंभिक निष्कर्षों से संकेत मिलता है कि मालगाड़ी चालक ने सिग्नल नियमों का उल्लंघन किया और दोषपूर्ण स्वचालित सिग्नल प्रणाली की स्थिति में परिचालन मानदंडों का पालन करने में विफल रहा।
इस दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए कि मालगाड़ी चालक को लाल सिग्नल पार करने की अनुमति दी गई थी, रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्पष्ट किया, चालक को टीए 912 प्राधिकरण जारी किया गया था। प्रोटोकॉल के अनुसार, जब स्वचालित प्रणाली पर लाल सिग्नल का सामना करना पड़ता है, तो चालक को अच्छी दृश्यता की स्थिति में 15 किमी प्रति घंटे और खराब दृश्यता की स्थिति में 10 किमी प्रति घंटे से अधिक की गति को पार नहीं करते हुए सावधानी से आगे बढ़ना चाहिए।
बोर्ड के अनुसार, चालक ने अनुमेय गति सीमा को पार कर लिया, जिसके कारण रानीपत्रा स्टेशन और छत्तर हाट जंक्शन के बीच कंचनजंघा एक्सप्रेस से टक्कर हो गई। सूत्र के अनुसार, रानीपत्रा और कैट के बीच स्वचालित सिग्नल प्रणाली सुबह 5.50 बजे से खराब थी।
ममता बोलीं लावारिस हो गया रेलवे : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शाम को दुर्घटना स्थल का दौरा किया और आरोप लगाया कि रेलवे पूरी तरह लावारिस हो गया है और इसकी दिलचस्पी केवल किराया बढ़ाने में है, यात्री सुविधाओं में सुधार करने में नहीं है।
उन्होंने दावा किया कि रेलवे पूरी तरह से लावारिस हो गया है। हालांकि, मंत्रालय वहां है, लेकिन पुराना गौरव गायब है। केवल सौंदर्यीकरण किया जा रहा है, लेकिन उन्हें यात्री सुविधाओं की परवाह नहीं है। वे केवल किराए में बढ़ोतरी में दिलचस्पी ले रहे हैं।
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी वी आनंद बोस ने भी दुर्घटना स्थल का दौरान किया और मेडिकल कॉलेज में पहुंचकर घायलों का जायजा लिया। बोस ने कहा कि आरोप-प्रत्यारोप के बजाय पीड़ितों के इलाज को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इस बीच, रेलवे अधिकारियों ने कहा कि ट्रेन ने अप्रभावित डिब्बों के यात्रियों के साथ कोलकाता के लिए अपनी यात्रा शुरू कर दी है और आधी रात के आसपास इसके कोलकाता पहुंचने का अनुमान है।
ये ट्रेनें हुई प्रभावित : दुर्घटना के कारण उत्तर बंगाल और देश के उत्तरपूर्वी हिस्से से लंबी दूरी की ट्रेन सेवाएं प्रभावित हुईं। कोलकाता में पूर्वी रेलवे के अधिकारियों ने कहा कि कई लंबी दूरी की ट्रेन के मार्ग में परिवर्तन किया गया है और उनका परिचालन उनके सामान्य मार्ग के बजाय सिलीगुड़ी-बागडोगरा-अलुआबारी जोन से किया जा रहा है क्योंकि दुर्घटनास्थल पर पटरियां अवरुद्ध हैं।
रेड सिग्नल पार करना अनिवार्य नहीं : रेलवे ने कंचनजंगा एक्सप्रेस से टकराने वाली मालगाड़ी के लोको पायलट को टी/ए 912 नामक लिखित प्राधिकरण जारी किए जाने के संबंध में स्पष्टीकरण दिया है और कहा है कि यह कहना उचित नहीं है कि टी/ए 912 के अनुसार लोको पायलट को सामान्य गति से रेड सिग्नल पार करना अनिवार्य है।
रेलवे ने कहा कि रेलवे नियमों के अनुसार जब किसी लोको पायलट को टी/ए 912 नामक लिखित प्राधिकरण दिया जाता है और उसे रेड सिग्नल पार करना होता है तो उसे 10 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से सिग्नल के पास जाना होता है। साथ ही ट्रेन को सिग्नल के पीछे जितना संभव हो सके उतना करीब लाना होता है। सिग्नल पर दिन के समय 01 मिनट और रात के समय 02 मिनट तक रुकना होता है और फिर 10 किमी प्रति घंटे की गति से आगे बढ़ना होता है।
रेलवे के अनुसार सिग्नल पार करने के बाद लोको पायलट को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसकी ट्रेन और पिछली ट्रेन या लाइन पर किसी भी अवरोध के बीच कम से कम 150 मीटर या दो स्पष्ट ओएचई स्पैन की दूरी बनी रहे। रेलवे ने कहा कि यह कहना गलत है कि टी/ए 912 के अनुसार लोको पायलट को सामान्य गति से रेड सिग्नल पार करना अनिवार्य है।
मीडिया में क्या आई थी खबर : कंचनजंगा एक्सप्रेस दुर्घटना के संबंध में एक मीडिया ने खबर प्रकाशित की थी कि दुर्घटना में मालगाड़ी के चालक की कोई गलती नहीं थी। रिपोर्ट में रेलवे के सूत्र के हवाले से दावा किया गया था कि रानीपात्रा के स्टेशन मास्टर द्वारा मालगाड़ी के चालक को टीए 912 नामक एक लिखित प्राधिकरण जारी किया गया था, जिसमें उसे सभी लाल सिग्नल पार करने का अधिकार दिया गया था। इनपुट भाषा