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Last Updated : बुधवार, 4 सितम्बर 2024 (08:14 IST)

डीम्ड यूनिवर्सिटी के 21वें दीक्षांत समारोह में बोलीं राष्ट्रपति मुर्मू, शिक्षा प्रणाली में शोध को दिया जाए बढ़ावा

मुर्मू ने छात्रों से उत्कृष्टता प्राप्त करने का किया आग्रह

डीम्ड यूनिवर्सिटी के 21वें दीक्षांत समारोह में बोलीं राष्ट्रपति मुर्मू, शिक्षा प्रणाली में शोध को दिया जाए बढ़ावा - Address of President Draupadi Murmu at the 21st convocation of Deemed University
पुणे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) ने शिक्षा प्रणाली में शोध को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए मंगलवार को कहा कि भारत में शोधार्थी न केवल देश, बल्कि दुनिया के समक्ष मौजूद समस्याओं का समाधान ढूंढने में भी सक्षम हैं। राष्ट्रपति मुर्मू ने यहां 'सिम्बायोसिस इंटरनेशनल' (Deemed University) के 21वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 शोध को बढ़ावा देती है।
 
मुर्मू ने छात्रों से उत्कृष्टता प्राप्त करने का आग्रह किया और कहा कि सफलता को धन, बड़ा घर या कार जैसी भौतिक सम्पत्तियों से न जोड़ें। उन्होंने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि युवा पीढ़ी देश के विकास के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। देश के लोगों में बहुत प्रतिभा और कौशल है। मैं चाहती हूं कि आप समाज की आवश्यकताओं को समझें और अपने ज्ञान का उपयोग करके ऐसे समाधान खोजें जो आम जनता, खासकर हाशिए पर रह रहे लोगों के विकास में मदद कर सकें और जिससे स्थिरता को बढ़ावा मिल सके।

 
उन्होंने कहा कि 'स्टार्ट-अप इंडिया', 'स्किल इंडिया' और 'स्टैंड-अप इंडिया' जैसी सरकारी योजनाओं के माध्यम से युवा पीढ़ी अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकती है। उन्होंने कहा कि मैं यहां सभी से कहना चाहूंगी कि शिक्षा प्रणाली में शोध को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। भारत के शोधार्थी न केवल देश के भीतर बल्कि दुनिया की समस्याओं का समाधान खोजने में सक्षम हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शोध को बढ़ावा दिया गया है।
 
राष्ट्रपति ने सिम्बायोसिस विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, संकाय सदस्यों और पूर्व छात्रों से शिक्षा प्रणाली में शोध को बढ़ावा देने का आग्रह किया। राष्ट्रपति ने कहा कि वर्षों के शोध से नए आविष्कार होते हैं और चुनौतियों के नए समाधान मिलते हैं। उन्होंने कहा कि सिम्बायोसिस विश्वविद्यालय में जल संसाधन प्रबंधन, स्टेम सेल, नैनो-विज्ञान और जलवायु परिवर्तन सहित कई क्षेत्रों में बहु-विषयक शोध केंद्र काम कर रहे हैं।

 
राष्ट्रपति ने छात्रों को हर कार्य में उत्कृष्टता हासिल करने का प्रयास करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि आपने एक कहावत सुनी होगी 'उत्कृष्टता हासिल करने का प्रयास करो, सफलता अपने आप आपके पीछे आ जाएगी'। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि कुछ लोग अधिक पैसा, बड़ा घर, बड़ी कार और अन्य चीजों की उपलब्धता को ही सफलता की निशानी मान लेते हैं।
 
उन्होंने विश्वास जताया कि वे सफलता का सही अर्थ समझेंगे और ऐसा काम करेंगे जिससे दूसरों के जीवन स्तर में सुधार होगा। उन्होंने कहा कि छात्र अपने व्यक्तित्व और ज्ञान से देश और विदेश में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। उन्होंने कहा कि छात्र नवाचार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग के माध्यम से प्रबंधन, स्वास्थ्य देखभाल, कानून, सामाजिक विज्ञान और अन्य क्षेत्रों में प्रभावी योगदान दे सकते हैं।

 
राष्ट्रपति ने छात्रों से भारत के विभिन्न समुदायों और क्षेत्रों की संस्कृति एवं उनकी जरूरतों को समझने का आग्रह किया। राष्ट्रपति ने कहा कि क्षेत्रों और समुदायों के इस ज्ञान के आधार पर, छात्रों को सॉफ्टवेयर, स्वास्थ्य देखभाल उत्पाद और विपणन रणनीतियां बनानी चाहिए जो सभी के विकास में मदद करें, विशेष रूप से वंचित वर्गों के लिए और स्थिरता को भी बढ़ावा दें।
 
उन्होंने कहा कि स्टार्ट-अप इंडिया, स्किल इंडिया, मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसी पहल भी छात्रों को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेंगी। राष्ट्रपति ने कहा कि नारी शक्ति की प्रगति न केवल नागरिकों के लिए गर्व की बात है, बल्कि यह देश के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण मापदंड भी है।
 
उन्होंने सभी शैक्षणिक संस्थानों से छात्राओं को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करने और एक सुरक्षित और सहायक वातावरण बनाने का आग्रह किया। राष्ट्रपति ने 'सिम्बायोसिस आरोग्य धाम' की स्थापना की सराहना की - जो चिकित्सा सेवाओं में सुधार की दिशा में एक कदम है। मुर्मू ने कहा कि सभी शैक्षणिक संस्थानों को नवीनतम तकनीक के ज्ञान के साथ युवा पीढ़ी को मूल्य आधारित शिक्षा प्रदान करने का लक्ष्य रखना चाहिए।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta