Encounter Specialist DSP Rishikant Shukla : उत्तर प्रदेश पुलिस में भ्रष्टाचार का एक और काला अध्याय खुला है। 28 साल की निष्ठापूर्ण सेवा का दावा करने वाले डीएसपी ऋषिकांत शुक्ला को आय से अधिक 100 करोड़ रुपए से ज्यादा की अवैध संपत्ति के गंभीर आरोपों में निलंबित कर दिया गया है। विशेष जांच दल (एसआईटी) की रिपोर्ट में उनके जेल में बंद गैंगस्टर अखिलेश दुबे से गहरे संबंधों का पर्दाफाश हुआ है, जिसके जरिए फर्जी मुकदमे, जबरन वसूली और जमीन हड़पने का गिरोह चलाया जा रहा था। योगी सरकार ने तत्काल प्रभाव से उन्हें पद से हटा दिया और सतर्कता (विजिलेंस) विभाग को गहन जांच के आदेश जारी कर दिए हैं।
लंबी तैनाती में संपत्ति का साम्राज्य : कानपुर ही बना 'गोल्ड माइन' ऋषिकांत शुक्ला का पुलिस करियर 1998 से शुरू हुआ, लेकिन उनकी किस्मत कानपुर में चमकी। वे 1998 से 2006 तक और फिर दिसंबर 2006 से 2009 तक— कुल मिलाकर 10 साल से ज्यादा समय—कानपुर में सब-इंस्पेक्टर (एसआई) के रूप में तैनात रहे। इस दौरान वे एनकाउंटर विशेषज्ञ के रूप में बदनाम और प्रसिद्ध हुए, लेकिन एसआईटी की जांच में सामने आया कि उनकी सख्ती का 'अंधेरा पक्ष' अपराधियों से मिलीभगत था।
जांच रिपोर्ट के मुताबिक, शुक्ला ने कानपुर के आर्यनगर इलाके में 11 दुकानें (मूल्य करीब 92 करोड़ रुपए), आर नगर में चार मंजिला इमारतें, गेस्ट हाउस, प्लॉट्स और रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में भारी निवेश किया। ये संपत्तियां उनके नाम, परिवार और करीबियों के नाम पर बेनामी तरीके से खड़ी की गईं। कुल संपत्ति का अनुमान 100 करोड़ से ऊपर है, जबकि कुछ रिपोर्टों में इसे 200-300 करोड़ तक बताया गया है।
गोवा, पंजाब, चंडीगढ़ समेत कई राज्यों में फैली ये प्रॉपर्टीज उनकी सैलरी (एक सामान्य डीएसपी की मासिक आय 1 लाख के आसपास) से मेल नहीं खातीं। शुक्ला ने इन्हें पैतृक संपत्ति बताया है— उनके दादा (पुलिस इंस्पेक्टर) और पिता (मैनेजर) की कमाई—लेकिन जांच एजेंसियां दस्तावेजों की पड़ताल कर रही हैं।
गैंगस्टर अखिलेश दुबे का 'पुलिस कनेक्शन' : फर्जी केस और वसूली का खेलमामले का सबसे चौंकाने वाला पहलू है शुक्ला का कुख्यात वकील-माफिया अखिलेश दुबे से गठजोड़। जेल में बंद दुबे पर फर्जी मुकदमे दर्ज कराने, जबरन वसूली और जमीन कब्जाने के अपराधों का आरोप है। एसआईटी ने पाया कि शुक्ला ने स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (एसओजी) के जरिए दुबे की मदद की, जिससे दुबे ने कई लोगों को ठगा। दुबे का गिरोह रियल एस्टेट में साइलेंट पार्टनर के रूप में सक्रिय था और शुक्ला इसके 'प्रोटेक्टर' बने। यह खुलासा तब और गहरा हो गया जब समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने दुबे का नाम लेकर भाजपा को घेरा था।
बेटे की शाही शादी : 200 करोड़ के रिसॉर्ट में आईपीएस-नेताओं का डांस फ्लोरमार्च 2025 में शुक्ला के बेटे की शादी ने सुर्खियां बटोरीं। कानपुर के इटरनिटी रिसॉर्ट (मूल्य 200-250 करोड़) में हुई इस भव्य बारात में आईपीएस, आईएएस, विधायक, सांसद और भाजपा के 18 जिलों के अध्यक्ष नजर आए। वायरल वीडियो में आईपीएस अधिकारी डांस फ्लोर पर ठुमकते दिखे। शादी का खर्च करोड़ों में—रिसॉर्ट बुकिंग, डेकोरेशन, मेहमानों का ठहरना-खाना—सब लड़कीवालों का दावा है, लेकिन अब यह भी जांच के घेरे में है। बेनामी लेन-देन और फंडिंग के स्रोतों की पड़ताल हो रही है।
डीएसपी का बचाव, 'साजिश है, दस्तावेज साबित करेंगे निर्दोष' : निलंबन के बाद शुक्ला ने कहा कि वरिष्ठों का फैसला सही है, लेकिन यह असंतुष्ट अपराधियों की साजिश है। जिन्हें मैंने पकड़ा, उनके साथियों ने शिकायतें कीं। संपत्तियां पैतृक हैं, शादी लड़कीवालों ने की। नेताओं से अच्छे रिश्ते अपराध नहीं। मुझे सफाई का मौका मिलेगा, सबूत पेश कर बेबुनियाद आरोप साबित करूंगा। वे केवल बीए पास हैं।
विजिलेंस टीम अब करीबियों की संपत्तियों, बिलों और ट्रांजेक्शंस की छानबीन कर रही है। कानपुर पुलिस कमिश्नर की रिपोर्ट पर आधारित यह मामला पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार के खिलाफ 'क्लीन-अप' ड्राइव का प्रतीक बन सकता है। जनता सोशल मीडिया पर सवाल उठा रही है—एनकाउंटर स्पेशलिस्ट कैसे बना अरबपति? शुक्ला निर्दोष साबित होते हैं या गिरफ्तारी होती है, यह आने वाले दिनों में साफ होगा। फिलहाल, यह केस यूपी की 'क्राइम एंड करप्शन' की काली सच्चाई को उजागर कर रहा है।