मोरबी पुल हादसा, 9 लोग गिरफ्तार, बड़ा सवाल- 150 की क्षमता वाले पुल पर कैसे पहुंचे 500 लोग?
अहमदाबाद। गुजरात के मोरबी पुल हादसे को लेकर पुल का प्रबंधन करने वाली सवालों के घेरे में है। इस बीच, कंपनी के 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि मोरबी के 150 लोगों की क्षमता वाले पुल पर आखिर 500 लोग कैसे पहुंच गए। गिरफ्तारी के बाद सभी आरोपियों का मेडिकल टेस्ट कराया गया। 100 साल से ज्यादा पुराने इस पुल के टूटने से 130 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है।
राजकोट रेंज के आईजी अशोक यादव ने मीडिया से बातचीत में कहा कि इस दुर्घटना को लेकर पुल का प्रबंधन करने वाली कंपनी ओरेवा के 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इससे पहले पुलिस ने इनसे पूछताछ की थी। आईजी यादव ने कहा कि हादसा दुखद है, आरोपियों को सख्त से सख्त सजा दिलाई जाएगी।
यादव ने कहा कि बचाव कार्य में स्थानीय जनता ने भी हमारी मदद की है। नागरिकों का सहयोग सराहनीय रहा है। गिरफ्तार आरोपियों में 2 मैनेजर, 2 कॉन्ट्रेक्टर, 3 गार्ड और 2 टिकट क्लर्क शामिल हैं। गिरफ्तारी के बाद सभी आरोपियों का मेडिकल टेस्ट कराया गया। इस पुल पर जाने के लिए लोगों से 15 रुपए का शुल्क लिया जाता है।
कैसे पहुंचे 500 लोग : हादसे के बाद सबसे बड़ा सवाल तो यही उठाया जा रहा है कि 150 की क्षमता वाले इस पुल पर 500 लोग कैसे पहुंच गए? यह 100 साल से ज्यादा पुराना है। इसे बंबई के तत्कालीन गवर्नर रिचर्ड टेंपल ने बनवाया था। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या इतनी भीड़ पहुंचने के बाद भी पुलिस और प्रशासन के लोग वहां नहीं थे? यदि थे तो उन्होंने इस भीड़ को रोका क्यों नहीं?
गैर इरादतन हत्या का मामला : आईजी अशोक यादव के मुताबिक पुलिस ने केबल पुल के रखरखाव और संचालन का काम देखने वाली एजेंसियों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या (आईपीसी की धारा 304) और गैर इरादतन हत्या का प्रयास (धारा 308) के तहत प्राथमिकी दर्ज की है। मोरबी नगर पालिका के मुख्य अधिकारी संदीपसिंह झाला ने कहा कि शहर में घड़ियां और ई-बाइक निर्माता ओरेवा समूह को पुल के नवीनीकरण और संचालन का ठेका दिया गया था।
यह भी लिखा है एफआईआर में : प्राथमिकी में कहा गया कि रखरखाव का काम पूरा होने के बाद एजेंसी ने 26 अक्टूबर को पुल को आम लोगों के लिए खोल दिया। एफअईआर के अनुसार यह घटना एजेंसी के लोगों के 'संवेदनहीन रवैए' के कारण हुई। इसमें कहा गया है कि संबंधित व्यक्तियों या एजेंसियों ने पुल के रखरखाव की गुणवत्ता के साथ-साथ मरम्मत कार्य पर भी ध्यान नहीं दिया। एजेंसी ने यह जानते हुए भी कि पुल को आम लोगों के लिए खोल दिया कि मरम्मत और प्रबंधन में उसके 'संवेदनहीन रुख' के कारण लोगों की जान जा सकती है।