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Last Updated : मंगलवार, 30 जुलाई 2024 (14:46 IST)

लोकसभा चुनाव में गिने ही नहीं गए 5.54 लाख वोट, कहां से आए 35000 वोट

लोकसभा चुनाव में गिने ही नहीं गए 5.54 लाख वोट, कहां से आए 35000 वोट - 5.54 lakh votes were not counted in Lok Sabha elections, where did 35000 votes come from
Lok Sabha Elections 2024: चुनाव अधिकार निकाय ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ (Association for Democratic Reforms-ADR) ने दावा किया है कि लोकसभा चुनाव 2024 में 538 निर्वाचन क्षेत्रों में डाले गए मतों और गिने गए मतों की संख्या में विसंगति पाई गई है। एडीआर के दावे के मुताबिक 362 संसदीय क्षेत्रों में डाले गए मतों की तुलना में 5 लाख 54 हजार 598 वोट कम गिने गए। आंध्र प्रदेश ऐसा राज्य है, जहां सबसे ज्यादा वोटों की गिनती नहीं की गई। यह संख्‍या 85 हजार 777 है। ज्यादा गिने गए वोट भी सबसे ज्यादा इसी राज्य से हैं। 
 
एडीआर द्वारा जारी विश्लेषण के अनुसार, हाल के लोकसभा चुनाव में 362 संसदीय क्षेत्रों में डाले गए मतों की तुलना में कुल 5,54,598 वोट कम गिने गए, जबकि 176 संसदीय क्षेत्रों में डाले गए वोट की तुलना में कुल 35,093 मत अधिक गिने गए। आंध्र प्रदेश की 21 लोकसभा सीटों पर 85 हजार से ज्यादा वोट नहीं गिने गए, जबकि 4 लोकसभा सीटें ऐसी थीं, जहां 3722 वोट ज्यादा गिने गए। हालांकि इन वोटों का चुनाव परिणामों पर क्या असर हुआ इसका खुलासा नहीं हुआ है। हालांकि इस मामले में अभी निर्वाचन आयोग की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। 
 
क्या कहते हैं एडीआर के संस्थापक : एडीआर के संस्थापक जगदीप छोकर ने कहा कि इसके अलावा, अंतिम मतदान प्रतिशत डेटा जारी करने में अत्याधिक देरी, निर्वाचन क्षेत्रवार तथा मतदान केंद्र वार अंकड़े उपलब्ध न होने और क्या नतीजे अंतिम मिलान अंकड़ों के आधार पर घोषित किए गए थे, इसकी अस्पष्टता ने चुनाव परिणामों की सत्यता के बारे में चिंता और सार्वजनिक संदेह पैदा कर दिया है। हालांकि, एडीआर ने यह स्पष्ट नहीं किया कि मतों में इस अंतर की वजह से कितनी सीट पर अलग परिणाम सामने आते।
 
रिपोर्ट में कहा गया है कि निर्वाचन आयोग मतगणना पर अंतिम और प्रामाणिक डेटा जारी करने से पहले चुनाव परिणाम घोषित करने, ईवीएम में डाले गए मतों और गिने गए मतों में अंतर, मत प्रतिशत में वृद्धि, डाले गए मतों के आंकड़े संख्या में न देने, डाले गए मतों के आंकड़े को जारी करने में अनुचित देरी और अपनी वेबसाइट से कुछ डेटा को हटाने का कोई उचित स्पष्टीकरण देने में अब तक विफल रहा है।
 
चुनाव आयोग पर विफलता का आरोप : छोकर ने कहा कि लोकसभा चुनाव 2019 और लोकसभा चुनाव 2024 में हुए उल्लंघन, अवैधता और अनियमितताओं की गंभीर घटनाओं का समाधान करने और उनके खिलाफ उचित कदम उठाने में निर्वाचन आयोग विफल रहा है, जिससे मतदाताओं के मन में आशंकाएं पैदा हुई हैं। इन आशंकाओं का गंभीरता से समाधान किया जाना चाहिए और उन्हें दूर किया जाना चाहिए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि आम चुनाव 2024 के परिणामों में 538 संसदीय क्षेत्रों में डाले गए और गिने गए मतों में काफी विसंगतियां सामने आईं, अमरेली, अटिंगल, लक्षद्वीप और दादरा नगर हवेली एवं दमन दीव को छोड़कर। रिपोर्ट में कहा गया है कि सूरत संसदीय सीट पर कोई मुकाबला नहीं था। इसलिए 538 संसदीय सीट पर कुल 5,89,691 मतों की विसंगति है।
 
सत्रहवें आम चुनाव के दौरान, चुनाव के पहले छह चरणों के लिए ‘वोटर टर्नआउट ऐप’ पर मतदाताओं की सही संख्या प्रदर्शित की गई थी। हालांकि, अंतिम चरण यानी सातवें चरण के मतदान में केवल प्रतिशत में आंकड़े दिए गए थे और निर्वाचन आयोग द्वारा पिछले डेटा को हटा दिया गया था।
 
2019 के चुनाव में भी विसंगतियां : विशेषज्ञों और एडीआर की एक टीम द्वारा किए गए शोध के अनुसार, विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाताओं की संख्या और गिने गए मतों की संख्या के बीच गंभीर विसंगतियां पाई गईं। वर्ष 2019 के चुनाव के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि 542 निर्वाचन क्षेत्रों के मास्टर सारांश में 347 सीट पर विसंगतियां दिखाई दी। 195 सीट में विसंगति नहीं थीं। विसंगतियां एक वोट (सबसे कम) से लेकर सबसे अधिक 101323 वोट (कुल मतों का 10.49 प्रतिशत) तक थी। इसमें कहा गया है कि 6 सीट ऐसी थीं, जहां मतों में विसंगति जीत के अंतर से ज़्यादा थी। कुल मिलाकर विसंगति 7 लाख 39 हजार 104 मतों की थी।
 
क्या हैं निष्पक्ष चुनाव के लिए एडीआर के सुझाव : 
  • निर्वाचन आयोग को किसी भी चुनाव के अंतिम परिणाम की घोषणा से पहले आंकड़ों का सटीक मिलान करना चाहिए।
  • मआयोग मतदान समाप्ति के 48 घंटे के भीतर सभी मतदान केंद्रों के फार्म 17सी भाग-I (रिकॉर्ड किए गए मतों का लेखा-जोखा) अपनी वेबसाइट पर तुरंत उपलब्ध कराए, जिसमें डाले गए मतों के प्रमाणित आंकड़े हों।
  • आयोग को फॉर्म 17 सी भाग-II की स्कैन की गई प्रतियां (जो आसानी से पढ़ने में आएं) भी अपलोड करनी चाहिए।
  • आंकड़ों की आसान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए, निर्वाचन क्षेत्र और मतदान केंद्रवार मतदाता मतदान के आंकड़ों की पूर्ण संख्या और प्रतिशत के रूप में सारणीबद्ध जानकारी भी दी जानी चाहिए।
  • आयोग को प्रत्येक संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या, मतदाता रजिस्टर में दर्ज कुल मतदाताओं की संख्या तथा उन सभी संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के लिए ईवीएम के अनुसार मतदाताओं की संख्या प्रकाशित करनी चाहिए, जहां पहले ही मतदान हो चुका है।
  • आयोग को न केवल 17वीं और 18वीं लोकसभा के चुनाव परिणामों में हुई विसंगतियों की जांच करनी चाहिए, बल्कि आयोग को चुनाव आंकड़ों में पाई गई किसी भी विसंगति की जांच के लिए भविष्य के सभी चुनावों के लिए एक मजबूत प्रक्रिया भी तैयार करनी चाहिए। Edited by: Vrijendra Singh Jhala