बेशर्म और बेवफा है हिंदुस्तानी जिसने भारतीय कुत्तों को बना दिया गली का आवारा
कुत्ता एक वफादार प्राणी होता है, जो हर तरह के खतरे को पहले ही भांप लेता है। भारत के प्राचीन और मध्य काल में पहले लोग कुत्ता अपने साथ इसलिए रखते थे ताकि वे जंगली जानवरों, लुटेरों और भूतादि से बच सके। बंजारा जाति और आदिवासी लोग कुत्ते को पालते थे ताकि वे हर तरह के खतरे से पहले ही सतर्क हो जाएं। ग्रमीण लोग अपने खेत खलिहान की रक्षा और खुद की सुरक्षा के लिए कुत्ता पालते थे और अब भी वे पालते हैं। भारत में जंगल में रहने वाले साधु-संत भी कुत्ता इसीलिए पालते थे ताकि कुत्ता उनको खतरे के प्रति सतर्क कर दे। लेकिन भारतीय लोगों ने अब भारतीय नस्ल का कुत्ता पालना छोड़कर विदेशी नस्ल का कुत्ता पालना प्रारंभ कर दिया है। बेचारे देशी कुत्ते गली में सचमुच ही भूखे ही मर जाते हैं या किसी कार, ट्रक के नीचे कुचलकर मर जाते हैं। हजारों वर्षों से देशी कुत्तों ने भारतीयों के जीवन की रक्षा की है। उन्हें सुरक्षा प्रदान की है परंतु आजकल उन्हें सड़क पर अपनी जिंदगी गुजारना पड़ रही है और विदेशी कुत्ते शानदार सोफे पर बैठकर मजे कर रहे हैं।
भेड़िये और इंसान का प्राचीन रिश्ता:
इंसान बड़ा फितरती होता है जब अपना वक्त पड़ता है तो भरपूर साथ निभाता है और जब वक्त निकल जाता है तो इंसान पराया हो जाता है। इंसान का प्यार फितरती और स्वार्थी प्यार है लेकिन कुत्ते का प्यार निस्वार्थ प्यार है। यदि कोई कुत्ता एक बार आपसे अटैच हो जाए तो आपके लिए जान भी दे सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि कुत्ते का इनसानों से आज का नहीं हजारों साल पुराना रिश्ता है। कुत्ता आज भी यह रिश्ता निभा रहा है लेकिन इंसान नहीं।
कुत्ते का इंसानों से तब से रिश्ता है जबकि इंसानों ने पेड़ों पर से उतरकर इंसान बनने की राह पर कदम रखा था और वह गुफा और बस्तियों में रहने लगा था। ऐसे में उसे जंगली जानवरों और दूसरी बस्तियों के लोगों से हमले का डर बना रहता था। तब इनसानों ने कुछ कम खतरनाक भेड़ियों को अपने साथ रखना प्रारंभ किया। यह कम खतरनाक भेड़िये इंसानों के साथ बहुत लंबे समय तक रहे और इंसानों की सुरक्षा करते रहे। इंसानों ने इन्हें शिकार करने के लिए भी उपयोग में लिया और इस तरह इन कम खतरनाक भेड़ियों ने मानव विकास में भरपूर साथ निभाया।
कम खतरनाक भेड़िये कैसे बन गए कुत्ते?
फिर जब इंसानों ने शिकार करना छोड़ दिया तो लंबे वक्त के चलते इंसान इवाल्व होकर बौद्धिक रूप से ताकतवर बनता गया जबकि ये कम खतरनाक भेड़िए इवाल्व होकर इंसानों के साथ रहकर अपनी शारीरिक ताकत खो बैठे लेकिन इनकी भी बौद्धिक क्षमता और बढ़ती गई। शारीरिक क्षमता खोने के चलते ये कम खतरनाक भेड़िये कुत्ते होते चले गए। अब इन्हें कुत्ता, श्वान और डॉग कहा जाता है।
भारतीय कुत्तों को क्यों बना दिया गली का आवारा कुत्ता?
इन कुत्तों ने हमसे कभी बेवफाई नहीं की जबकि हमने और खासकर भारतीयों को इन कुत्तों की जरूरत नहीं रही तो भारतीयों ने इन कुत्तों को छोड़कर गलियों का आवारा कुत्ता बना दिया। बेशर्म और बेवफा हैं हिंदुस्तानी लोग जो इन भारतीय कुत्तों की जगह घर में विदेशी कुत्तों को अपने घरों में बच्चो जैसा पाल रहे हैं और गली के कुत्तों को लात मार रहे हैं। आप तीन कारणों से विदेशी कुत्ता पाल रहे हैं- पहला आपको अपने पड़ोसी या इंसानों से डर लगता है, दूसरा आप अपने घर को चोर और डकैतों से बचाना चाहते हैं और तीसरा आपके लिए विदेशी कुत्ते स्टेटस सिंबल है। हो सकता है कि और भी कई कारण हो।
डॉग बाइट के मामले क्यों बढ़ रहे हैं?
यदि कुत्ते अब लोगों को बड़े पैमाने पर काटने लगे हैं तो इसके पीछे कई कारण हैं। पहला तो यह कि इन्हें कोई रोटी देने वाला नहीं है और दूसरा यह कि हर कोई इन्हें दुत्कारता और लात मार रहा है जिसके चलते अब ये इंसानों को खतरा मानने लगे हैं। यदि आप गलियों के इन कुत्तों का सहयोग नहीं कर सकते, इन्हें रोटी नहीं डाल सकते तो कम-से-कम इन्हें नगर निगम के चिपटों से बेरहमी से उठवाकर मौत के मुंह में डालने का पाप कर्म तो न करें। करना ही है तो इनके रहने के लिए कहीं और व्यवस्था कर दें ताकि ये आपकी गलियों में घर-घर और होटल-होटल रोटी खाने की आस से आपकी ओर न देखें।