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जो रील लाइफ का ‘मुन्‍ना भईया’ है, कहीं वो ‘डॉन मुन्‍ना बजरंगी’ तो नहीं?

जो रील लाइफ का ‘मुन्‍ना भईया’ है, कहीं वो ‘डॉन मुन्‍ना बजरंगी’ तो नहीं? - mirzapur munna bhaiya
कहते हैं रीयल लाइफ से ही रील लाइफ के किरदार तय होते हैं। कई फ‍िल्‍मों में ऐसा देखने को मिलता रहता है। लेकिन अब सीरीज में भी ऐसा हो रहा है। सुनने में आ रहा हैं कि मिर्जापुर के मुन्‍ना भईया भी रीयल लाइफ से इंस्‍पायर है।

दरअसल हाल ही में रिलीज़ हुई इस वेब सीरीज़ की कहानी पॉवर, पॉलिटिक्स और प्रतिशोध की कहानी है। इसमें एक ख़ास किरदार है, मुन्ना भईया। माना जा रहा है कि इनकी स्टोरी कुछ-कुछ रियल लाइफ़ गैंगस्टर मुन्ना बजरंगी से मिलती है।

हालांकि सीरीज के निर्माताओं का कहना है कि मिर्जापुर की कहानी फि‍क्‍शनल है। लेकिन अगर आप मुन्ना बजरंगी और मिर्जापुर के मुन्‍ना भईया की जिंदगी की कहानी पर गौर करेंगे तो शायद आपको इसमें कोई समानता नजर आए।

आइए जानते हैं पूर्वांचल और मिर्ज़ापुर के कुख़्यात गैंगस्टर मुन्ना बजरंगी की अपराध कथा के बारे में।

दरअसल, मुन्ना बजरंगी का असल नाम प्रेम प्रकाश सिंह है। एक वक्‍त में वो मिर्ज़ापुर की अपराध की गलियों का किंग कहा जाता था। वो असल में एक ऐसा गैंगस्टर था जो बातों से कम और गोलियों से ज़्यादा बातें करता था।
एक रिपोर्ट के मुताबकि उसने क़रीब 40 लोगों की हत्‍याएं की थी। मिर्ज़ापुर और पूर्वांचल में लोग उसका नाम सुनते ही कांपने लगते थे।

उसने कालीन का धंधा बचपन में ही शुरू कर दिया था। हैरानी की बात तो यह थी कि 17 साल की उम्र में उसने पहली हत्या की थी। इस तरह वो कालीन भैया कहलाया। लेकिन ये धंधा रास नहीं आया तो देशी कट्टे का धंधा शुरू कर दिया। अब जब पूर्वांचल में पॉकेट में गन और ख़ूब पैसा हो तो माथा वैसे ही गरमा जाता है।

बाद में वो धीरे-धीरे मुन्ना बजरंगी के तौर पर कुख्‍यात होने लगा। इसके साथ ही वो जौनपुर में एक गैंगस्टर के साथ हो गया। उसके साथ उसने ख़ूब अवैध खनन और कट्टे का व्यापार किया।

फिर बाद में वे यहां डॉन और राजनीत‍िज्ञ मुख्तार अंसारी के संपर्क में आए। कुछ ही दिनों में वो उसका राइट हैंड बन गया।

अंसारी के कहने पर ही उसने भाजपा के कद्दावर नेता कृष्णानंद राय और बाद में रामचंद्र सिंह का मर्डर किया। मुन्ना बजरंगी को समाजवादी पार्टी का कथित तौर पर सपोर्ट था। कहते हैं अपने बाहुबल के दम पर उसने कई ग़ैरक़ानूनी काम किए और करोड़ों की संपत्ति का मालिक बन गया।

मुन्ना बजरंगी के बारे में एक और बात बहुत कही जाती है। ऐसा कहा जाता है कि उत्‍तर प्रदेश में गैंगवॉर में एके-47 का चलन इसने ही शुरू किया था। क़रीब दो दशक तक इन्होंने यूपी में ख़ूब आतंक मचाया। अब ये यूपी पुलिस की आंखों में खटकने लगे थे पर धरे नहीं जा रहे थे। सो पुलिस ने मुन्ना बजरंगी पर लाखों का इनाम रख दिया।

मुन्‍ना बजरंगी का ऐसा ख़ौफ था कि कोई उनकी मुखबरी नहीं करता था। लेकिन नया टर्न तब आया जब उसका रिश्‍ता मुख्तार अंसारी से ख़राब हो गया। दरअसल, मुन्ना बजरंगी भी पॉलिटिक्स में आना चाहता था। वो एक महिला को गाजीपुर से भाजपा का टिकट दिलवाने की कोशिश कर रहा था। जिसके चलते उसका मुख्तार अंसारी के साथ संबंध भी ख़राब हो गया। पुलिस हाथ धोकर पीछे पड़ी थी और सिर पर किसी का हाथ भी नहीं रहा तो चुपचाप मुन्ना बजरंगी मुंबई चला गया।

यहां वो सबकी निगाहों से बचकर मलाड में अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रह रहा था। लेकिन पुलिस को इनका पता चल गया और 29 अक्टूबर 2009 को उसे धर लिया गया। मुकदमा चला, जेल पहुंचा तो  जेल में भी वही दादागीरी चालू रखी। एक गैंगस्टर से लड़ाई हो गई। सुनील राठी (पश्चिम यूपी का एक डॉन) ने ताबड़तोड़ गोलियां चलाकर जेल में ही उसकी हत्या कर दी। लेकिन अंदर की बात ये है कि कोई झगड़ा नहीं हुआ था। उसके दुश्मनों ने ही प्लान बना कर उसकी जेल में हत्या करवा दी थी।

तो अब आपको लगेगा कि मुन्ना भईया और मुन्ना बजरंगी की स्टोरी में काफ़ी समानताएं हैं। इसलिए लोग मिर्ज़ापुर के इस कैरेक्टर को इनसे ही प्रेरित बता रहे हैं।
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