गुरुवार, 19 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. साहित्य
  3. मेरा ब्लॉग
  4. Meaning of Amritpal being arrested from Bhindranwale's village

अमृतपाल के भिंडरावाले के गांव से गिरफ्तार होने के मायने

Amritpal
अमृतपाल सिंह की गिरफ्तारी के बाद पूछताछ से संबंधित जानकारियां अभी बाहर नहीं आ रही हैं। पंजाब के अंदर भी उसकी गिरफ्तारी के बाद कोई बड़ा विरोध प्रदर्शन सामने नहीं आया है। यह थोड़ी राहत देने वाली बात है। किंतु 36 दिनों बाद अमृतपाल सिंह की गिरफ्तारी जिस तरीके से हुई उसके संदेश चिंताजनक हैं। 
 
आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले के गांव रोड़े को अमृतपाल द्वारा चयन बताता है कि उसने अपनी गिरफ्तारी को मनमाफिक मोड़ देने में सफलता पाई। पंजाब पुलिस के महानिरीक्षक (मुख्यालय) डॉ. सुखचैन सिंह गिल का बयान है कि पुलिस ने 35 दिन से दबाव बनाया था।

इंटेलिजेंस विंग के पास रोडे गांव में अमृतपाल की मौजूदगी का इनपुट था। उसे नाका लगाकर घेर लिया गया, लेकिन वह गुरुद्वारा साहिब के अंदर था। मर्यादा को देखते हुए पुलिस अंदर नहीं गई। अमृतपाल से बाहर आने के लिए कहा गया, फिर उसे गिरफ्तार किया गया। क्या इसे सच मान लिया जाए? 
 
पुलिस बता रही है कि अमृतपाल बैसाखी के दिन यानी 14 अप्रैल को समर्पण करना चाहता था। उसने बठिंडा में तलवंडी साबो स्थित तख्त दमदमा साहिब में समर्पण करने की योजना बनाई थी। पंजाब पुलिस ने इसका पता चलने पर दमदमा साहिब में सुरक्षा कड़ी कर दी थी। इसके बाद वह 22 अप्रैल को रोडे गांव पहुंचा। 
 
ठीक है कि पुलिस ने वहां जबरदस्त घेराबंदी की थी। किंतु सच यही है कि उसने हीरो की तरह गिरफ्तारी दी। समाचार यह भी है कि अमृतपाल के करीबियों ने ही पंजाब पुलिस को उसकी आत्मसमर्पण योजना के बारे में बताया था। पुलिस टीम सादे कपड़ों में गुरुद्वारे पहुंची और सुबह ही उसे गिरफ्तार किया।

पुलिस दावा कर सकती है कि अमृतपाल की गिरफ्तारी के समय ऐसा कुछ नहीं हुआ जिससे अलगाववादियों को मुद्दा बनाने का मौका मिले। किंतु उसकी गिरफ्तारी पुलिस की योजना से हुई यह नहीं माना जा सकता। 
 
रोडे गांव में बने संत खालसा गुरुद्वारे के ग्रंथी का बयान है कि अमृतपाल शनिवार रात को गांव पहुंचा था। उसने गुरुद्वारे में मत्था टेका। रविवार सुबह गिरफ्तारी से पहले उसने पांच ककार (केश, कृपाण, कंघा, कड़ा और कच्छा) पहने और लाउडस्पीकर से लोगों को संबोधित किया।

प्रश्न है कि उसे इतना मौका कैसे मिला? अगर पुलिस को उसके रोड़े गांव में होने की जानकारी थी तो उसे गुरुद्वारा में प्रवेश के पहले ही गिरफ्तार किया जा सकता था। इस 36 दिनों से पुलिस ने सारी ताकत झोंक दी किंतु अमृतपाल को योजना के अनुसार गिरफ्तार करना संभव नहीं हुआ। 
 
इस बीच जितनी जानकारियां आई उनमें कितना सच था यह तभी पता चलेगा जब अमृतपाल बताएगा कि इतने दिनों तक वह कहां-कहां रहा। अगर गांव के ग्रंथि बता रहे हैं कि अमृतपाल शनिवार की रात ही गांव पहुंचा था, तो यही सच माना जाएगा।

अमृतपाल की गिरफ्तारी के संदर्भ में यह पहलू इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वह दुबई से आने के बाद सरेआम ऐसा सब कुछ कर रहा था जिसे रोका जाना चाहिए था। किसी को यह समझ नहीं आ रहा था कि एक अनाम व्यक्ति कैसे पंजाब में आकर इतना शक्तिशाली और लोकप्रिय हो गया कि उसके आह्वान पर हजारों लोग इकट्ठे होने लगे। 
 
पंजाब पुलिस प्रशासन द्वारा पूरी ताकत झोंकने के बावजूद अगर 36 दिनों तक वह छिपा रहा तो इसी कारण क्योंकि उसके समर्थकों में ऐसे लोग हैं जिन्होंने पुलिस दबाव के बावजूद उसे नहीं छोड़ा। पंजाब पुलिस के लिए उसकी गिरफ्तारी प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया था। पुलिस ने जो स्थिति पैदा कर दी थी उसमें आज न कल उसे पकड़ में आना ही था लेकिन उसने भारत सहित पूरी दुनिया में अपने समर्थकों को संदेश दे दिया कि वह पंजाब में अपने विचारों के साथ पैर जमा चुका है। 
 
ध्यान रखिए, 29 सितंबर 2022 को रोड़े गांव के गुरुद्वारे में ही अमृतपाल को वारिस पंजाब दे का प्रमुख घोषित किया गया था। उस समय इकट्ठी भीड़ और उसका भाषण बता रहा था कि उसे भारत विरोधी शक्तियों ने पूरी तरह तैयार कर भेजा है। गिरफ्तारी से पहले रोडे गांव के गुरुद्वारे में प्रवचन के दौरान अमृतपाल ने कहा कि गिरफ्तारी अंत नहीं शुरुआत है।

यह जरनैल सिंह भिंडरावाले का जन्म स्थान है। उसी जगह पर हम अपना काम बढ़ा रहे हैं और अहम मोड़ पर खड़े हैं। एक महीने से जो कुछ हो रहा है, वह सभी ने देखा है। हम इसी धरती पर लड़े हैं और लड़ेंगे। जो झूठे केस हैं, उनका सामना करेंगे। इस तरह स्वयं को खालसा के रूप में प्रस्तुत कर प्रवचन देना कैसे संभव हुआ? 
 
कितनी दयनीय स्थिति है कि खुलेआम खालिस्तान की बात करने वाला व्यक्ति, जिसे पुलिस हर हाल में गिरफ्तार करना चाह रही हो, वह सरेआम लोगों के बीच भिंडरावाले की तरह स्वयं को पेश कर भारत विरोधी तकरीरें देने में सफल हो जाता है। जैसी सूचना है वह सुबह से ही अपनी हर गतिविधि की वीडियो रिकॉर्डिंग करवाता रहा। पंजाब सहित विश्व भर में रिकॉर्डिंग भेजकर वह संदेश देने की कोशिश करेगा कि जरनैल सिंह भिंडरावाले के खाली स्थान का सपना पूरा करने के लिए वह पूरी तरह लगा हुआ है लेकिन पुलिस ने अन्यायपूर्ण तरीके से उसे पकड़ा। उसने लड़ने की बात की है। 
 
वास्तव में वह अपने पक्ष में सिखों की भावना भड़काने के उद्देश्य ही सब कुछ कर रहा था। 
 
18 मार्च को फरार हो जाने के बाद पुलिस जांच से यह पता चला कि अमृतपाल के दुबई से पंजाब लौटने के पीछे एकमात्र उद्देश्य भिंडरावाला भाग-2 बनना था। इसीलिए वह दुबई से पहले जार्जिया गया और वहां भिंडरावाले जैसा दिखने के लिए सर्जरी कराई। पंजाब आने के साथ उसने भिंडरावाले के कपड़ों से लेकर बोलने के अंदाज तक की नकल की। कल्पना कर सकते हैं कि उसके पीछे कितने लोगों का दिमाग लग रहा होगा।

पंजाब में भिंडरावाले के अलगाववादी विचारों को फैलाने की इतनी व्यापक तैयारी से आने वाले व्यक्ति की जैसी सख्त निगरानी होनी चाहिए थी, वैसी होती तो उसकी हैसियत इतनी न बढ़ती। पुलिस प्रशासन राजनीतिक नेतृत्व की दिशा के अनुसार ही भूमिका निभाती है। 
 
भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी की सरकार गठित होने के बाद पूरा देश यह देखकर भौंचक था कि सड़कों पर खालिस्तानी झंडे लिए खालिस्तान का नारा लगाते लोग जुलूस निकाल रहे थे और पुलिस उनको सुरक्षा दे रही थी। इसमें अमृतपाल को एक बड़े वर्ग का हीरो बनना ही था। अजनाला थाने का घेराव चरम बिंदु था जिसने प्रशासन को अहसास करा दिया इसे नियंत्रित नहीं किया गया तो आगे पंजाब को संभालना मुश्किल होगा।
तब भी अमृतपाल पर शिकंजा कसने के कदम नहीं उठाए गए।

पुलिस उस दिन भी उसे साथियों के साथ गिरफ्तार कर सकती थी। आज न कल पंजाब की वर्तमान सरकार को इसका उत्तर देना होगा कि आखिर फरवरी 2022 से भारत आने के बाद वह जैसे चाहा खालिस्तान के पक्ष में बोलता अपना समूह गठित करता रहा, पर किन कारणों से उसे रोकने की कोशिश नहीं की गई?
 
हम यह नहीं कहते कि फरार होने के बाद पुलिस का उस पर दबाव नहीं बढ़ा। जहां-जहां उसके छिपने या जिनके बारे में मदद देने की सूचना मिली, उन सबको पुलिस पकड़ती रही और काफी लोग उसे शरण देने से भयभीत होने लगे थे। उसके फरार होने के 24 से 48 घंटों के बीच 78 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। 400 से अधिक को हिरासत में लिया गया और 350 से अधिक को छोड़ा जा चुका है। 
 
राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगाकर उसके नौ साथियों को डिब्रूगढ़ जेल भेजा जा चुका था। 10 अप्रैल को पप्पलप्रीत सिंह की गिरफ्तारी के बाद लगने लगा था कि वह पकड़ में आ जाएगा। अमृतपाल के व्यक्तिगत संबंध ज्यादा विकसित नहीं हुए थे कि सीधे किसी के घर चला जाए। पप्पलप्रीत व्यक्तिगत संबंधों के आधार पर उसे छिपने और पहुंचने में मदद करता रहा।

उसके गिरफ्तार होने के बाद अमृतपाल के लिए ठिकाने बदलना जरा कठिन हो गया। हालांकि इसके बावजूद लगभग दो सप्ताह तक पुलिस की पकड़ में नहीं आना असामान्य स्थिति मानी जाएगी। उसके बाद पुलिस को संवेदनशील स्थानों पर उसकी उपस्थिति या गिरफ्तारी देने की संभावनाओं के प्रति ज्यादा सतर्क रहना चाहिए था। 
 
पुलिस को ध्यान रखना चाहिए था कि अगर वह भिंडरावाले भाग-2 बनने आया था तो उसके गांव में वह प्रवेश न कर पाए। इस आधार पर विश्लेषण किया जाए तो कहना होगा कि भिंडरावाले के गांव स्थित गुरुद्वारा में आना और गिरफ्तार होना पुलिस की रणनीतिक चूक है। उसे पूरी तैयारी से पंजाब भेजने वाली भारत विरोधी शक्तियां संतुष्ट होंगी कि उसने अंततः भिंडरावाले के नाम और गांव को सुर्खियों में लाकर अलगाववाद की भावना जगा दिया। 
 
संतोष का विषय है कि शीर्ष सिख संस्थाओं का सहयोग अमृतपाल को नहीं मिला। उसने फरार होने के बाद दो वीडियो और एक ऑडियो जारी किया। इसमें सिखों की सर्वोच्च संस्था कहे जाने वाले अकाल तख्त के जत्थेदार से तलवंडी साबो में 13-14 अप्रैल को बैसाखी पर सरबत खालसा (सिखों की धर्मसभा) बुलाने की मांग रखी। जत्थेदार ने इसे नकार दिया।

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति भी खुलकर अमृतपाल के समर्थन में नहीं आई। यह बताता है कि पंजाब में अलगाववादी विचारों को सिखों के बहुमत का समर्थन नहीं है। इस परिप्रेक्ष्य में अमृतपाल का भिंडरावाले के गांव और गुरुद्वारे में पहुंच जाना चिंतित करता है।
 
(इस लेख में व्यक्त विचार/ विश्लेषण लेखक के निजी हैं। इसमें शामिल तथ्य तथा विचार/ विश्लेषण 'वेबदुनिया' के नहीं हैं और 'वेबदुनिया' इसकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेती है।)
ये भी पढ़ें
Dark Circles: इन 5 Home Remedy से करें डार्क सर्कल की समस्या को दूर