ज्योतिरादित्य सिंधिया से क्यों प्रद्युम्न ने लगाई सीमा लांघने की गुहार, भाजपा सरकार पर ही सवालिया निशान?
मार्च 2020 कांग्रेस से भाजपा में आए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया एक बार फिर मध्यप्रदेश की सियासत में सुर्खियों में है। ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक नेता और मंत्री एक बार फिर अपने महाराज से सीमा लांघने की गुहार लगा रहे है, जिसको लेकर सूबे का सियासी पारा गर्मा गया है। इस बार मामला सिंधिया की ग्वालियर में सक्रियता को लेकर है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया भले ही गुना-शिवपुरी संसदीय सीट से लोकसभा सांसद हो लेकिन उनका ग्वालियर संसदीय सीट को लेकर मोह नहीं छूट रहा है। इतना ही नहीं अब सिंधिया समर्थक मंत्री अपने महाराज के लिए अपनी ही सरकार (भाजपा सरकार) को कठघरे में खड़ा करने में जुट गए है। ऐसा ही वाकया पिछले दिनों सिंधिया के ग्वालियर दौरे के दौरान नजर आया। जब सिंधिया गुट से आने वाले प्रदेश सरकार में मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर और नारायण सिंह कुशवाह, दोनों ही अपने महाराज (ज्योतिरादित्य सिंधिया) का गुणगान करते हुए अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया।
गुना-शिवपुरी से सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया पिछले दिनों ग्वालियर दौरे पर थे, जहां पर उन्होंने कई कार्यक्रमों में शिरकत की। इस दौरान सिंधिया समर्थक और प्रदेश सरकार में मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने अपने महाराज को लेकर ऐसा कुछ कह दिया जिससे ग्वालियर-चंबल में सिंधिया समर्थकों की गुटबाजी खुलकर सामने आ गई। एक कार्यक्रम में, जिसमें केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया मंच पर मौजूद थे, उसमें मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने कहा कि महाराज, आपके बिना ग्वालियर में विकास नहीं हो रहा, आपकी कुछ मजबूरियां हो सकती हैं, लेकिन आपको उस सीमा रेखा को लांघना ही पड़ेगा। इसके साथ मंत्री तोमर ने कहा कि 1956 में जो विकास हुआ था, वही आखिरी ठोस कदम था. उसके बाद ग्वालियर को वैसी प्राथमिकता नहीं मिली।
इसके बाद सिंधिया समर्थक माने जाने वाले मंत्री नारायण सिंह कुशवाह ने एक कार्यक्रम में जिसमें भी सिंधिया मंच पर मौजूद थे, कहा कि मैं महाराज साहब से निवेदन करूंगा कि आप भले ही सांसद शिवपुरी और गुना का हो...महाराज साहब आपको ग्वालियर की तरफ देखना पड़ेगा।
ग्वालियर का विकास या फिर गुटबाजी ?- ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक इन दोनों मंत्रियों के बयान ने एक तरह से अपनी ही सरकार पर सवाल उठा दिए है। सवाल इसलिए भी गंभीर है क्योंकि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव लगातार प्रदेश में विकास की बात कर रहे है और पिछले दिनों उन्होंने ग्वालियर में रीजनल इंड्रस्ट्री कॉन्क्लेव कर ग्वालियर के विकास के लिए बड़े-बड़े दावे किए थे। भाजपा जिसकी केंद्र और राज्य दोनों में सरकार है और पार्टी दावा करती है कि डबल इंजन की सरकार में कोई भी जिला और क्षेत्र विकास से अछूता नहीं है तब ग्वालियर जैसा ऐतिहासिक जिला जिसकी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी एक पहचना है वह कैसे विकास से अछूता रह गया है।
राजनीतिक के जानकार इन बयानों को भाजपा के अंदर सिंधिया समर्थकों की गुटबाजी से जोडकर देख रहे है। वह कहते हैं कि सिंधिया समर्थकों के निशाने पर विकास नहीं, ग्वालियर से भाजपा सांसद भारत सिंह कुशवाह है। लोकसभा चुनाव के बाद जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी लोकसभा छोड़कर ग्वालियर लोकसभा के कार्यों में दखल देना शुरु किया तो भाजपा सांसद भारत सिंह कुशवाह ने इसको लेकर पार्टी संगठन के सामने अपनी बात रखी। इसके बाद सिंधिया ने एक तरह से ग्वालियर से दूरी बना ली थी लेकिन अब एक बार फिर अगर सिंधिया समर्थक अपने महाराज को ग्वालिय की तरफ देखने की गुहार लगा रहे है तो इसके पीछे भी राजनीति के साथ कई कारण है।
दरअसल भाजपा सांसद भारत सिंह कुशवाह लगातार ग्वालियर के विकास को लेकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के साथ केंद्रीय नेताओं से मिल रहे है। पिछले दिनों उन्होंने ग्वालियर के व्यापारियों के साथ केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से मुलाकात कर ग्वालियर में रेल सुविधाओं की बढ़ोत्तरी को लेकर मांग पत्र सौंपा था। वहीं ग्वालियर संसदीय क्षेत्र मे बेहतर रोड कनेक्टिविटी और पुलों के निर्माण के लिए उन्होंने केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से भी मुलाकात कर कई सड़क और ओवरब्रिज के निर्माण को लेकर पत्र सौंपा था। इसके साथ वह लगातार अपने ग्वालियर के विकास कार्यों की समीक्षा करने के साथ ग्वालियर शहर में जाम की समस्या के साथ जनता से जुड़ी अन्य समस्याओं को लेकर एक्टिव नजर आ रहे है। पिछले दिनों उन्होंने ग्वालियर में भोपाल एम्स का तीन दिनों का शिविर लगाकार जनता की सीधे मदद पहुंचाई थी।
ऐसे में अब ग्वालियर को लेकर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक नेता और स्थानीय सांसद भारत सिंह कुशवाह पूरी तरह आमने सामने है। ग्वालियर के विकास को लेकर श्रेय लेने की जो होड़ दिखाई दे रही है, उस पर सियासत का क्या असर पड़ेगा, यह आने वाला वक्त बताएगा।