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Last Updated : गुरुवार, 13 फ़रवरी 2025 (12:07 IST)

ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरोत्तम मिश्रा की मुलाकात के क्या हैं सियासी मायने?

मध्यप्रदेश भाजपा अध्यक्ष के नाम के एलान से पहले सिंधिया-नरोत्तम की मुलाकत के बाद सियासी अटकलें तेज

ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरोत्तम मिश्रा की मुलाकात के क्या हैं सियासी मायने? - What is the political meaning of the meeting between Jyotiraditya Scindia and Narottam Mishra?
भोपाल। मध्यप्रदेश भाजपा के नए अध्यक्ष को लेकर भोपाल से लेकर दिल्ली तक सियासी सरगर्मी तेज है। इस बीच भाजपा अध्यक्ष पद की दौड़ मे शामिल पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा की भाजपा के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया से आंधे घंटे की बंद कमरे में हुई मुलाकात ने सियासी पारा और गर्मा दिया है। बुधवार को भोपाल प्रवास पर आए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अचानक नरोत्तम मिश्रा से मिलने उनके सरकारी आवास पर पहुंच गए। जहां  नरोत्तम मिश्रा ने पहले गर्मजोशी के साथ सिंधिया का वेलकम किया, वहीं उसके  बाद दोनों  दिग्गज नेताओं  के बीच बंद कमरे में करीब आधा घंटे चर्चा हुई।

ग्वालिय-चंबल से आने वाले इन दोनों दिग्गज नेताओं के बीच चर्चा ने सियासी अटकलों का दौर तेज कर दिया है। दोनों नेताओं के बीच मुलाकात ऐसे समय हुई जब अब प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरु हो गई है और पार्टी कभी भी नए अध्यक्ष के नाम का एलान कर सकती है। प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में  नरोत्तम मिश्रा का नाम  सबसे आगे है। राजनीतिक विश्लेषक बताते है कि अगर पार्टी सामान्य वर्ग के किसी चेहरे को प्रदेश में पार्टी  के नेतृत्व की कमान सौंपती है तो उसमें नरोत्तम मिश्रा का नाम सबसे आगे होगा।

सामान्य वर्ग से आने वाले पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा की गिनती प्रदेश के दिग्गज नेताओं में होती है। नरोत्तम मिश्रा भले ही विधानसभा चुनाव दतिया से हार गए हो लेकिन वह भोपाल से लेकर दिल्ली तक सक्रिय है। उनकी गिनती अमित शाह के करीबियों में होती है और पिछले दिनों भाजपा की न्यू ज्वाइनिंग टोली के प्रमुख के तौर पर उन्होंने कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं को भाजपा में शामिल कराके अपनी संगठनात्मक क्षमता का परिचय दिया। पिछले दिनों नरोत्तम मिश्रा की पार्टी के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से मुलाकात की तस्वीरें भी खूब चर्चा में रही। दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने नरोत्तम मिश्रा को बड़ी जिम्मेदारी थी।

वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात के बाद मीडिया से बात करते हुए नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि वह अध्यक्ष पद की दौड़ में नहीं शामिल है। पार्टी काम देती रहे बस इतना सा हैं, मैं किसी अध्यक्ष की दौड़ में नहीं हूं।  सिंधिया से मुलाकात पर नरोत्तम ने कहा कि वह हमारे नेता है, मिलते रहते है और कोई विशेष चर्चा नहीं हुई है। वहीं अध्यक्ष पद को लेकर रायशुमारी पर कहा कि अभी कोई रायशुमारी नहीं है। यह संगठन की प्रक्रिया है, बूथ समितियों, मंडल, जिला  के चुनाव हो गए है अब प्रदेश का चुनाव होगा। उन्होंने कहा कि पार्टी ऐसे काम देती रहे इसके  लिए पार्टी और  शीर्ष नेतृत्व का आभार है। पार्टी आलाकमान लगातार काम दे रहा है, चुनाव से पहले ज्वाइनिंग का दिया, फिर महाराष्ट्र और दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार का।

देश में भाजपा के सबसे मजबूत संगठन वाले राज्य में पार्टी की जिम्मेदारी किस चेहरे के मिलेगी इस पर अब सबकी निगाहें लग गई है, इसके साथ ही यह सवाल भी सियासी गलियारों में खूब सुर्खियां में है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के जरिए क्या एक बार फिर जातीय समीकरण साधेगी। मध्यप्रदेश में ओबीसी वर्ग से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के होने के चलते इस बात की संभावना अधिक है कि सामान्य वर्ग से आने वाले नेता को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जाएगी।

अगर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के लिए सामान्य वर्ग से दावेदारों को देखे तो नरोत्तम मिश्रा के साथ  पूर्व सांसद और भाजपा विधायक हेमंत खंडेलवाल का नाम भी सबसे आगे है। कुशल संगठनकर्ता और संघ के करीबी होने के साथ विवादों से दूर हेमंत खंडेलवाल के नाम पर लगभग सहमति बन चुकी है। इसके साथ अध्यक्ष पद की दौड़ में सामान्य वर्ग से आने वाले कई अन्य चेहरे भी शामिल है।