क्या सिंधिया-कैलाश की जुगलबंदी और अमित शाह की वन-टू-वन चर्चा मध्यप्रदेश की सियासी तस्वीर बदलने का है संकेत?
भाजपा के ‘चाणक्य’ अमित शाह की वन-टू-वन चर्चा और सिंधिया-कैलाश की जुगलबंदी के क्या है सियासी मायने?
भोपाल। मध्यप्रदेश में बीते 48 घंटों में मौसम में आया तूफान भले ही अब शांत हो गया है लेकिन भाजपा नेताओं के नेताओं के मेल मुलाकात, दौरों और बयानों ने सियासी फिजा को अशांत कर रखा है। सूबे में होने वाले विधानसभा चुनाव में भले ही अभी 14 महीने का समय शेष हो लेकिन सियासी पारा अपने पूरे उफान पर है। भोपाल से लेकर इंदौर तक सियासी चर्चाओं और अटकलों का बाजार गर्माया हुआ है। भोपाल में गृहमंत्री अमित शाह का भाजपा के बड़े नेताओं से मुलाकात करना और इंदौर में ज्योतिरादित्य सिंधिया और कैलाश विजयवर्गीय की मुलाकत ने भाजपा के अंदरखाने की सियासत में हलचल पैदा कर दी है। वहीं आज इंदौर प्रवास पर पहुंचे गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कैलाश विजयवर्गीय और ज्योतिरादित्य सिंधिया को बड़े नेताओं की मुलाकात बताना भी काफी अहम माना जा रहा है।
वन-टू-वन चर्चा को लेकर कयासों का दौर-दरअसल सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा जो 2023 विधानसभा चुनाव के लिए पूरी तरह से चुनावी मोड में है, को लेकर सियासी गलियारों में सबसे अधिक चर्चा का दौर है। चर्चाओं का दौर संगठन और सरकार दोनों को लेकर तेज है। भाजपा के चुनावी चाणक्य कहे जाने वाले गृहमंत्री अमित शाह के भोपाल दौर के बाद चर्चाएं और तेज हो गई है। दरसल गृहमंत्री अमित शाह की सरकार और संगठन के बड़े चेहरों के साथ वन-टू-वन चर्चा को लेकर सियासी गलियारों में कई मायने निकाले जा रहे है। दरअसल भोपाल दौरे के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के साथ संगठन को दोनों बड़े चेहरे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा के साथ अलग-अलग चर्चा कर संगठन और सरकार का फीड बैक लिया। वन-टू-वन चर्चा में गृहमंत्री अमित शाह के साथ प्रदेश के बड़े नेताओं की बंद कमरे में क्या बात हुई, इसके सिर्फ कयास लगाए जा रहे है।
एक्शन में सीएम शिवराज-गौरतलब है कि गृहमंत्री अमित शाह का भोपाल दौरा ऐसे समय हुआ जब प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लेकर सबसे अधिक चर्चाओं का दौर है। सात साल बाद शिवराज सिंह चौहान को भाजपा संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति से बाहर किए जाने के बाद उनके सियासी भविष्य़ को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही थी, लेकिन अमित शाह के दौरे के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जिस तेवर और अंदाज में दिखाई दे रहे है उससे सियासी तस्वीर बहुत कुछ साफ होती दिख रही है। गृहमंत्री अमित शाह के भोपाल से जाने के तुरंत बाद आधी रात को स्टेट हैंगर पर ही बारिश और बाढ़ को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का बैठक करना और अगले दिन कैबिनेट की बैठक रद्द कर बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करना बताता है कि हाल-फिलहाल मध्यप्रदेश में कोई बड़ा सियासी उलटफेर नहीं होने वाला है।
शिवराज की तारीफ के मायने?-भोपाल दौरे के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कामकाज की जिस तरह से तारीफ की उसको भी बहुत अहम माना जा रहा है। गृहमंत्री ने सिमी, नक्सलवाद, माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के साथ-साथ लगातार दो डिजिट में कृषि के क्षेत्र में जीडीपी के होना श्रेय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को दिया। गौरतलब है कि संसदीय बोर्ड से बाहर होने के बाद और गृहमंत्री अमित शाह के दौर से ठीक पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का यह बयान कि अगर पार्टी दरी बिछाने का काम भी देगी तो उसे भी दिल से स्वीकार करूंगा, के भी कई सियासी मायने निकाले गए थे।
इंदौर में दिखी सिंधिया-कैलाश की जुगलबंदी-भोपाल के साथ-साथ इंदौर में भाजपा के दो बड़े नेताओं ज्योतिरादित्य सिंधिया और कैलाश विजयवर्गीय की मुलाकत और जुगलबंदी को लेकर भी सियासी गलियारों में काफी चौंकाने वाला माना जा रहा है। सिंधिया की कैलाश विजयवर्गीय से मुलाकात ऐसे समय हुई जब भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को पार्टी पश्चिम बंगाल की जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया है, इसके बाद कैलाश विजयवर्गीय के प्रदेश की सियासत में सक्रिय होने के कयास लगाए जा रहे रहे है। ऐसे में ज्योतिरादित्य सिंधिया का कैलाश विजयवर्गीय से मिलना और पार्टी से मिलने वाले दायित्व का उनके मार्गदर्शन में पूरा करने को भी सियासी एंगल से देखा जा रहा है।
पिछले दिनों भाजपा संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति में शामिल किए गए सत्यनारायण जटिया और कैलाश विजयवर्गीय की सियासी जुगलबंदी भी किसी से छिपी नहीं है। दोनों ही नेता कई मौकों पर एक दूसरे का खुलकर समर्थन करते नजर आ चुके है।
मध्यप्रदेश में भाजपा के अंदर की राजनीति और सिंधिया और कैलाश विजयवर्गीय की मुलाकात को लेकर गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि माननीय सिंधिया जी और कैलाश विजवर्गीय जी दोनों हमारे बड़े नेता है, परस्पर मिलते रहते है, भाजपा में सभी परिवार की तरह चलते है, मिलना भी चाहिए।