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Last Modified: भोपाल , बुधवार, 1 जनवरी 2025 (17:54 IST)

Bhopal : 40 साल बाद यूनियन कार्बाइड के कचरे का होगा निपटान, 377 टन जहरीला कचरा लेकर 12 ट्रक होंगे रवाना

Bhopal : 40 साल बाद यूनियन कार्बाइड के कचरे का होगा निपटान, 377 टन जहरीला कचरा लेकर 12 ट्रक होंगे रवाना - Bhopal's Union Carbide factory waste will be taken to a disposal site
Disposal of Union Carbide's waste : मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में बंद पड़े यूनियन कार्बाइड कारखाने से लगभग 377 टन खतरनाक अपशिष्ट को ट्रकों में भर दिया गया है। ये ट्रक राजधानी से करीब 250 किलोमीटर दूर स्थित निपटान स्थल के लिए रवाना होंगे। बुधवार आधी रात तक 12 ट्रक अपशिष्ट लेकर रवाना होंगे और सुगम यात्रा के लिए मार्ग पर एक हरित गलियारा बनाया जाएगा। रविवार से 30 मिनट की पाली में सौ लोगों ने अपशिष्ट को पैक किया है। उनकी स्वास्थ्य जांच की गई और हर 30 मिनट में उन्हें आराम दिया गया। 
 
एक अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस उद्देश्य के लिए इंदौर से 30 किलोमीटर दूर धार जिले के पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र को चुना गया है। सूत्रों ने बताया कि बुधवार आधी रात तक 12 ट्रक अपशिष्ट लेकर रवाना होंगे और सुगम यात्रा के लिए मार्ग पर एक हरित गलियारा बनाया जाएगा।
राज्य के भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग के निदेशक स्वतंत्र कुमार सिंह ने कहा, हमने काम पूरा कर लिया है। रविवार से 30 मिनट की पाली में सौ लोगों ने अपशिष्ट को पैक किया है। उनकी स्वास्थ्य जांच की गई और हर 30 मिनट में उन्हें आराम दिया गया।
 
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने हाल में राजधानी भोपाल में यूनियन कार्बाइड साइट को खाली न करने के लिए अधिकारियों को फटकार लगाई थी और कहा था कि यह उदासीनता एक और त्रासदी का कारण बन सकती है। दो और तीन दिसंबर, 1984 की दरमियानी को भोपाल में यूनियन कार्बाइड कीटनाशक कारखाने से अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) गैस का रिसाव हुआ था, जिसमें कम से कम 5,479 लोग मारे गए थे और हजारों लोग गंभीर और दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त हो गए थे। इसे दुनिया की सबसे खराब औद्योगिक आपदाओं में से एक माना जाता है।
सिंह ने बुधवार को बताया, अगर सब कुछ ठीक पाया जाता है, तो कचरे को तीन महीने के भीतर जला दिया जाएगा अन्यथा इसमें नौ महीने तक का समय लग सकता है। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने तीन दिसंबर को जहरीले कचरे को स्थानांतरित करने के लिए चार सप्ताह की समय सीमा तय की थी और सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर उसके निर्देश का पालन नहीं किया गया तो अवमानना की ​​कार्यवाही की जाएगी।
 
मुख्य न्यायाधीश एसके कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की खंडपीठ ने कहा था, हम यह समझने में विफल हैं कि उच्चतम न्यायालय और इस न्यायालय द्वारा 23.03.2024 की योजना के अनुसार समय-समय पर विभिन्न निर्देश जारी करने के बावजूद, आज तक विषाक्त अपशिष्ट और सामग्री को हटाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है।
सिंह ने कहा कि शुरुआत में कुछ अपशिष्ट को पीथमपुर की अपशिष्ट निपटान इकाई में जलाया जाएगा और अवशेष (राख) की जांच की जाएगी ताकि पता लगाया जा सके कि उसमें कोई हानिकारक तत्व बचा है या नहीं। उन्होंने कहा कि एक बार जब यह पुष्टि हो जाती है कि विषाक्त तत्वों का कोई निशान नहीं बचा है तो राख को दो-परत की झिल्ली से ढंक दिया जाएगा और यह सुनिश्चित करने के लिए इसे दबा दिया जाएगा कि यह किसी भी तरह से मिट्टी और पानी के संपर्क में न आए।
 
सिंह ने कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों की देखरेख में विशेषज्ञों की एक टीम इस प्रक्रिया को अंजाम देगी। कुछ स्थानीय कार्यकर्ताओं ने दावा किया है कि 2015 में पीथमपुर में परीक्षण के तौर पर 10 टन यूनियन कार्बाइड कचरे को जलाया गया था, जिसके बाद आसपास के गांवों की मिट्टी, भूमिगत जल और जल स्रोत प्रदूषित हो गए।
 
सिंह ने हालांकि इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि 2015 के परीक्षण की रिपोर्ट और सभी आपत्तियों की जांच के बाद ही पीथमपुर में कचरे के निपटान का फैसला लिया गया है। उन्होंने कहा कि चिंता की कोई बात नहीं है। लगभग 1.75 लाख की आबादी वाले शहर पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड कचरे के निपटान के विरोध में रविवार को बड़ी संख्या में लोगों ने विरोध मार्च निकाला था। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour 
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