चुनावी साल में संसद में पेश मोदी सरकार के बजट में सरकार ने इस बार मोटे अनाज यानि मिलेट्स पर खासा जोर दिया है। चुनावी राज्य सबसे बड़े उत्पादक- दुनिया में भारत मोटा अनाज का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। इस साल जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने है उनमें कर्नाटक, राजस्थान और मध्य प्रदेश मोटा अनाज के उत्पादन में प्रमुख स्थान रखते है।
अगर देखे तो भारत में मोटे अनाज के सार्वधिक उत्पादन करने वाले राज्यों में राजस्थान,महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और मध्यप्रदेश में सबसे अधिक मोटा अनाज का उत्पादन होता है। ऐसे में सवाल यह भी खड़ा होता है कि क्या सरकार मिलेट्स (मोटा अनाज) के प्रमोशन के बहाने एक बड़े वोट बैंक को भी साधने की कोशिश कर रही है।
मध्यप्रदेश में मिलेट्स से सधेगा आदिवासाी वोटर-कर्नाटक के साथ मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ जैसे राज्य जहां साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने है वहां पर मोटा अनाज एक प्रमुख चुनावी मुद्दा बनता हुआ दिखा रहा है। मध्यप्रदेश के 20 से अधिक जिलों में मोटे अनाज की प्रमुखता से खेती होती है। खास बात यह है कि इनमें से अधिकांश जिले आदिवासी बाहुल्य इलाके है और आदिवासी समुदाय मोटे अनाज की खेती से प्रमुखता से करने के साथ उनके भोजन में प्रमुखता से शामिल है।
गौर करने वाली बात यह है कि विधानसभा की कुल 230 सीटों में से 47 सीटें आदिवासियों के लिए और 35 सीटें एससी समुदाय के लिए रिजर्व है। ऐसे में राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार मिलेट्स (मोट अनाज) के प्रमोशन के बहाने आदिवासी वोटर को साधने की तैयारी भी कर रही है। मध्यप्रदेश में कोदो, कुटकी, बाजरे और ज्वार की खेती प्रमुखता से होती है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कहते है कि मिलेट्स के प्रमोशन पर सरकार का पूरा ध्यान है। डिंडोरी जिले में सरकार ने महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्य्म से कोदो और कुदकी की फूड प्रोसेंसिग कर रही है। गौरतलब है कि डिंडोरा जिले की लहरीबाई को मोटे अनाज के संरक्षण के लिए अंतराराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल चुकी है। वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह भी कहा कि मध्यप्रदेश में भी मोटे अनाज ज्वार,बाजार, रागी, कोदी, कोदो, कुकुटी बडी मात्रा में होते है और सरकार इसको प्रमोशन पूरा ध्यान दे रही है।
मिलेट्स को बढ़ावा देने को अब भाजपा चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी में भी है। भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष दर्शन सिंह चौधरी कहते है कि केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार किसानों के प्रति समर्पित सरकार है। किसानों की आय दोगुनी करने के लिए सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध और कटिबद्ध और बजट में किसानों के लिए की गई घोषणओं को भाजपा किसान मोर्चा गांव-गांव और घर-घर तक पहुंचाएगा।
राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी सियासी मुद्दा-राजस्थान और छत्तीसगढ़ में मोटा अनाज सियासत के केंद्र में है। छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार मिलेट्स को बढ़ावा देने के लिए कोदो, कुटरी और रागी की समर्थन मूल्य पर खरीदी कर रही है जिसका सीधा फायदा मोट अनाज के उत्पाद किसानों को हो रहा है। वहीं इसके साथ मिलेट्स को बढ़ावा देने के लिए बड़े स्तर पर कैंपेन चला रही है। छत्तीसगढ के करीब 12 जिलों में मोटे अनाज की खेती हो रही है, इनमें सरगुजा और राजनंदगांव जैसे प्रमुख जिले शामिल हैं।
वहीं राजस्थान मोटा अनाज के उत्पादन में देश में पहले नंबर पर है। राजस्थान में बाजरे की सबसे अधिक खेती होती है और देश में बाजरे की कुल खेती का 11 फीसदी उत्पादन राजस्थान में होता है। बाजरा के दाम और खऱीदी प्रक्रिया को लेकर किसान लंबे समय से सवाल उठा रहे है और बाजरा सियासत का मुख्य मुद्दा भी है।
बजट में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने किसान वोट बैंक को साधने के लिए कई बड़े एलान किए है। बजट में पीएम-किसान सम्मान निधि के तहत छोटे किसानों को 2.25 लाख करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय सहायता मुहैया कराई गई है। इसके साथ ही करीब तीन करोड़ महिला किसानों को योजना के तहत 54,000 करोड़ रुपये प्रदान किए गए हैं। वित्तमंत्री ने किसानों पर सौगातों की बौछार करके एक बड़े वोट बैंक को साधने की कोशिश की है। भाजपा के मिशन-2023 (9 राज्यों के विधानसभा चुनाव) और मिशन 2024 के लिए किसान वोट बैंक ऐसा ट्रंप कार्ड है जिसको साधने से भाजपा की सत्ता की राह काफी आसान होगी।