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  4. After the death of 9 children in Chhindwara, sale of Coldrif syrup has been banned in Madhya Pradesh.
Last Modified: शनिवार, 4 अक्टूबर 2025 (12:08 IST)

मध्यप्रदेश में कोल्ड्रिफ सिरप बैन, छिंदवाड़ा में 9 बच्चों की हुई मौत, कंपनी के अन्य प्रोडेक्ट की बिक्री पर प्रतिबंध

9 children died in Chhindwara
भोपाल। मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में कफ सिरप के चलते 9 बच्चों की मौत मामले में सरकार ने बड़ा एक्शन लेते हुए हुए कोल्ड्रिफ (Coldrif) सिरप को मध्यप्रदेश में बैन कर दिया है। इसके साथ ही सिरप को बनाने वाली कंपनी के अन्य प्रोडक्ट की बिक्री पर भी बैन लगा दिया गया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि छिंदवाड़ा में Coldrif सिरप के कारण हुई बच्चों की मृत्यु अत्यंत दुखद है। इस सिरप की बिक्री को पूरे मध्यप्रदेश में बैन कर दिया है। सिरप को बनाने वाली कंपनी के अन्य प्रोडक्ट की बिक्री पर भी बैन लगाया जा रहा है। सिरप बनाने वाली फैक्ट्री कांचीपुरम में है, इसलिए घटना के संज्ञान में आने के बाद राज्य सरकार ने तमिलनाडु सरकार को जांच के लिए कहा था। आज सुबह जांच रिपोर्ट प्राप्त हुई। रिपोर्ट के आधार पर कड़ा एक्शन लिया गया है। बच्चों की दुखद मृत्यु के बाद स्थानीय स्तर पर कार्रवाई चल रही थी। राज्य स्तर पर भी इस मामले में जांच के लिए टीम बनाई गई है। दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।

गौरतलब है कि छिंदवाड़ा के परासिया ब्लॉक में सर्दी, बुखार और जुकाम से पीड़ित 9 छोटे बच्चों की मौत के बाद प्रदेश में हड़कंप मचा हुआ है। परासिया में पिछले एक महीने में 9 बच्चों की मौत हो चुकी है, मरने वाले बच्चों की उम्र 5 साल से कम थी। पहला संदिग्ध मामला 24 अगस्त को सामने आया, जबकि पहली मौत 7 सितंबर को दर्ज की गई. बच्चे पहले सामान्य लग रहे थे, लेकिन कुछ दिनों बाद पेशाब बंद हो गया और किडनी फेलियर हो गया। कई बच्चों को छिंदवाड़ा और नागपुर के अस्पतालों में भर्ती कराया गया, लेकिन इलाज के बावजूद वे बच नहीं सके।

अब तक की जांच में बच्चों के इलाज के लिए गई जो दवाएं सामने आई है उसमें कोल्ड्रिफ और नेक्सट्रो-डीएस सिरप लिखा था। जांच में पता चला है कि यह दोनों सिरप निजी डॉक्टरों और कुछ सरकारी डॉक्टरों के पर्चे पर उपलब्ध हुए। गौर करने वाली बात  यह है कि यह सिरप केवल छिंदवाड़ा में  ही सप्लाई हो रहे थे। जांच में पता चला कि इन सिरप में डायथाइलीन ग्लाइकॉल (DEG) नामक जहरीला रसायन मिला हो सकता है, जो औद्योगिक सॉल्वेंट है और किडनी को नुकसान पहुंचाता है। यह रसायन खाने लायक नहीं होता और इससे किडनी को  नुकसान पहुंचता है। मृचक बच्चों की किडनी बायोप्सी रिपोर्ट्स में टॉक्सिन से जुड़ी क्षति की पुष्टि हुई। दिल्ली के सीडीएससीओ, पुणे के वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट और मध्य प्रदेश सरकार ने सैंपल जांच शुरू की. राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) भी पानी, दवा और अन्य सैंपल इकट्ठा कर जांच कर रहा है।
 
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