केंद्र में भाजपा सरकार आने के बाद मध्यप्रदेश में कांग्रेस विधायकों के टूटने का खतरा
भोपाल। केंद्र में एक बार फिर मोदी सरकार बनने के बाद अब बीजेपी की नजर मध्य प्रदेश पर टिक गई है। लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में सत्तारुढ़ पार्टी कांग्रेस की बुरी तरह हार हुई है। कांग्रेस के सभी दिग्गज नेता चुनाव हारकर अब सियासी परिदृश्य पर सक्रिय भूमिका में नजर नहीं आएंगे। वहीं 15 साल बाद सत्ता में वापस लौटने वाली कांग्रेस के लिए अब अपनी सरकार बचाना किसी चुनौती से कम नहीं होगा।
6 महीने पहले सूबे के विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस किसी को अपने बल पर बहुमत नहीं मिला था। 114 सीटों के साथ कांग्रेस सबसे बड़े दल के रूप में सामने आई थी तो भाजपा कांग्रेस से सिर्फ 5 सीटें पीछे रहकर लगातार चौथी बार सरकार बनाने से चूक गई थी। निर्दलीय और बसपा, सपा के समर्थन से कांग्रेस सरकार बनने के बाद बीजेपी के सभी बड़े नेता पहले दिन से ही कमलनाथ सरकार के कभी भी गिरने की भविष्यवाणी करते आ रहे हैं।
वहीं लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने अपने भाषण में खुद इस बात का ऐलान किया कि लोकसभा चुनाव के बाद मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार गिर जाएगी और फिर एक बार भाजपा की सरकार होगी। ऐसे में अब जब केंद्र में फिर भाजपा सरकार बनने जा रही है तब कमलनाथ सरकार के भविष्य पर फिर सवाल खड़ा हो गया है।
कांग्रेस विधायकों के टूटने का खतरा : लोकसभा चुनाव के बाद अब देशभर की नजर मध्य प्रदेश पर टिक गई है। मुख्यमंत्री कमलनाथ पहले ही कह चुके हैं कि बीजेपी विधायकों की खरीद-फरोख्त की कोशिश कर रही है। मुख्यमंत्री कमलनाथ का दावा है कि बीजेपी विधायकों को मंत्री पद का लालच और करोड़ों रुपए का ऑफर देकर अपने साथ लाने की कोशिश में है। इसके बाद प्रदेश में सियासी हलचल फिर बढ़ गई है।
भाजपा नेता दावा कर रहे हैं कि कांग्रेस के कई विधायक उनके साथ आने को तैयार हैं। मध्यप्रदेश का सियासी इतिहास इस बात का गवाह रहा है कि भाजपा कैसे ऐनवक्त पर कांग्रेस के बड़े नेताओं को अपने पाले में करके लोगों को भौंचक्का कर देती है। मध्य प्रदेश कांग्रेस जिसमें कई क्षत्रप और गुट हैं, उसके सभी नेता अब चुनाव हार चुके हैं। ऐसे में इन गुटों के विधायकों को एकजुट रखना मुख्यमंत्री कमलनाथ के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा।
मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार शिवअनुराग पटैरिया का कहना है कि मध्य प्रदेश सरकार का भविष्य आने वाले दिनों में तय होगा, अगर मुख्यमंत्री कमलनाथ अपने विधायकों को संभालकर रख पाए तो सरकार चलेगी नहीं तो गिर जाएगी। शिवअनुराग साफ शब्दों में कहते हैं कि कमलनाथ विधायकों को एकजुट तभी रख पाएंगे जब उनको सिंधिया और दिग्विजय का साथ मिलेगा। इसके साथ ही भाजपा के सरकार गिराने के सवाल पर पटैरिया कहते हैं कि राजनीति में सत्ता प्राप्त करना किसी भी दल का अंतिम लक्ष्य होता है और भाजपा उससे कोई अलग नहीं है।