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Last Modified: बुधवार, 29 जनवरी 2020 (13:57 IST)

दिल्ली चुनाव में केवल शाहीन बाग को मुद्दा बनाने की कोशिश

Delhi Assembly elections | दिल्ली चुनाव में केवल शाहीन बाग को मुद्दा बनाने की कोशिश
शाहीन बाग में जारी विरोध प्रदर्शन को लेकर बीजेपी आक्रामक रुख अपनाती जा रही है। नागरिकता कानून को लेकर यहां प्रदर्शन कर रहे लोगों के खिलाफ बीजेपी के केंद्रीय मंत्री, सांसद और प्रवक्ता सब विवादित बयान दे रहे हैं।

बीजेपी का कहना है कि दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून के बहाने नरेन्द्र मोदी के खिलाफ विरोध हो रहा है। आम आदमी पार्टी कहती है कि दिल्ली का चुनाव खत्म होते ही बीजेपी शाहीन बाग का रास्ता खुलवा देगी, हालांकि 'आप' का कोई भी बड़ा नेता शाहीन बाग नहीं पहुंचा है।

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2015 में आम आदमी पार्टी (आप) ने अकेले 54 फीसदी वोटों के साथ 70 में से 67 सीटें जीती थीं। इसी इतिहास को दोहराने की चुनौती दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल पर है। दूसरे नंबर की पार्टी बीजेपी को 2015 में करीब 32 फीसदी वोट मिले लेकिन सीटें सिर्फ 3 मिलीं जबकि कांग्रेस को 2015 में सिर्फ 9.65 फीसदी वोट मिले थे और 62 सीटों पर पार्टी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी।

केजरीवाल के खिलाफ बीजेपी ने मुख्यमंत्री पद का चेहरा नहीं उतारा है बल्कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आगे रख कर दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने की ख्वाहिश रखती है। बीजेपी ने 2013 और 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में भी कोई सीएम चेहरा नहीं उतारा था, जिसका उसने खामियाजा भी उठाया।

चुनावी समीकरण को अपने पक्ष में करने के लिए इस बार सत्ताधारी दल मुफ्त बिजली-पानी, महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा और बुजुर्गों के लिए तीर्थयात्रा योजना लागू कर वोटरों को लुभाने की कोशिश में है। तो वहीं बीजेपी लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सातों सीट जीतकर गदगद है, लेकिन महाराष्ट्र, झारखंड से सत्ता गंवा बैठने के बाद उसके सामने अधिक बड़ी चुनौती है। शायद यही वजह है कि बीजेपी ने अब दिल्ली के चुनाव में बेहद आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया है।

दिल्ली के शाहीन बाग में एक महीने से अधिक समय से महिलाएं सीएए और एनआरसी के विरोध में धरने पर बैठी हुई हैं और बीजेपी नेताओं ने अब शाहीन बाग को ही निशाना बनाने की नीयत से बयान देने शुरू कर दिए हैं। 2013 और 2015 में बीजेपी का वोट प्रतिशत लगभग बरकरार था लेकिन उसे दिल्ली जीतने के लिए और वोटों की आवश्यकता है।

ऐसे में बीजेपी को उम्मीद है कि उसे अपने पक्ष में अधिक वोट करने के लिए शाहीन बाग में चल रहे विरोध को निशाना बनाना मददगार साबित हो सकता है। जानकारों का कहना है कि बीजेपी 'फ्लोटिंग वोटर' को अपने पक्ष में करने की उम्मीद जता रही है, जो कि शायद शाहीन बाग के विरोध प्रदर्शनों को दिल्ली में सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा मानने को तैयार हो जाएं।

शाहीन बाग को ही चुनावी मुद्दा बनाने की जुगत
पिछले कुछ दिनों से केंद्रीय मंत्रियों समेत बीजेपी के कई नेता शाहीन बाग और प्रदर्शनकारियों की धारणा एक राष्ट्र विरोधी समूह के रूप में कायम करने की कोशिश में लगे दिख रहे हैं जिससे उसके खिलाफ वोटरों को एकजुट कर अपनी तरफ लाया जा सके।

बीजेपी के एक सूत्र ने डीडब्ल्यू को बताया कि राज्य प्रवक्ताओं की मीटिंग में सभी प्रवक्ताओं को हिदायत दी गई है कि सभी शाहीन बाग को ही मुद्दा बनाएं और इसके अलावा कोई भी मुद्दा ना उठाया जाए। सूत्र ने बताया कि कई प्रवक्ताओं के विरोध करने के बावजूद उनसे कह दिया गया है कि अगर ज्यादा दिक्कत है तो यह प्रवक्ता डिबेट शो में ना जाएं लेकिन दिल्ली के मुद्दों को उठाने से लगेगा कि पार्टी की कोई एक लाइन नहीं है।

पिछले दिनों केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एक चुनावी रैली में कहा था कि ईवीएम का बटन इतने गुस्से के साथ दबाना कि बटन यहां बाबरपुर में दबे, करंट शाहीन बाग के अंदर लगे। इसके बाद सोमवार को केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर के दिए एक बयान पर भी खूब सियासी बवाल मचा।

ठाकुर ने रैली में नारे लगाए जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस रैली में ठाकुर नारे लगा रहे हैं और उसको पूरा वहां मौजूद जनता कर रही है। रैली में ठाकुर को बोलते देखा और सुना जा सकता है 'देश के गद्दारों' को... जिसके जवाब में वहां मौजूद लोग कह रहे हैं 'गोली मारो।

डर और आशंकाओं का माहौल
दो केंद्रीय मंत्रियों के बयानों पर बवाल थमा ही नहीं था कि एक और बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा ने शाहीन बाग की तुलना कश्मीर से कर दी। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल भी कहते हैं कि वे शाहीन बाग के साथ हैं। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी ऐसा ही कहते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली की जनता जानती है कि जो आग आज से कुछ साल पहले कश्मीर में लगी थी, वहां पर कश्मीरी पंडितों की बहन-बेटियों के साथ दुष्कर्म हुआ था, उसके बाद वो आग यूपी, हैदराबाद, केरल में लगती रही।

आज वो आग दिल्ली के एक कोने में लग गई है। वर्मा ने कहा कि दिल्ली वालों को सोच-समझकर फैसला लेना पड़ेगा। ये लोग आपके घरों में घुसेंगे, आपकी बहन-बेटियों को उठाएंगे और उनके साथ दुष्कर्म करेंगे, उनको मारेंगे, इसलिए आज समय है। कल मोदी नहीं आएंगे आपको बचाने, कल अमित शाह नहीं आएंगे बचाने। मोदी जब तक देश के प्रधानमंत्री हैं लोग सुरक्षित महसूस करते हैं और अगर कोई और देश का प्रधानमंत्री बन गया तो देश की जनता सुरक्षित महसूस नहीं करेगी।

बीजेपी कई इस बयानबाजी पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कासिम रसूल इलियास कहते हैं कि बीजेपी के पास कोई मुद्दा नहीं है, वह चाहती है कि शाहीन बाग का भी ध्रुवीकरण किया जाए। शाहीन बाग की चर्चा अब अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी हो रही है इसलिए यह इसको बदनाम करने की साजिश है।

बीजेपी के प्रवक्ता सुदेश वर्मा अनुराग ठाकुर का बचाव करते हुए कहते हैं कि अनुराग ने गलत नहीं बोला है, उन्होंने क्या बोला लोगों ने बोला है 'गोली मारो...' अनुराग ने सिर्फ कहा 'देश के गद्दारों को...' बाकी लोगों का सेंटीमेंट है। लोग चाहते हैं कि 'देश के गद्दारों' को सरकार सजा दे। जहां तक बात प्रवेश वर्मा की है वह उनके क्षेत्र का मामला है। उनके क्षेत्र में बिना किसी अनुमति के कई मस्जिदें बन गई हैं।

बीजेपी की गैरजिम्मेदाराना बयानबाजी पर कार्रवाई
अनुराग ठाकुर की विवादित नारेबाजी पर दिल्ली के मुख्य चुनाव अधिकारी ने रिपोर्ट तलब की है। दूसरी तरफ कांग्रेस ने भी चुनाव आयोग से इसकी शिकायत का मन बनाया है। कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया: 'बीजेपी कहती है कि 'देश के गद्दारों को, गोली मारो...' वहीं, कांग्रेस कहती है 'देश के बेरोजगारों को, काम दो सारों को' बस यही फर्क है।

दिल्ली चुनाव में हिन्दू-मुसलमान का मुद्दा उठने पर सुदेश वर्मा कहते हैं कि देश शाहीन बाग को बर्दाश्त नहीं कर सकता है। संसद ने एक कानून को पास किया है, संसद एक संवैधानिक संस्था है, अगर आपको कोई समस्या है तो आप विरोध कर सकते हैं लेकिन आप कहीं भी विरोध नहीं कर सकते हैं।

विरोध प्रदर्शनों के लिए जगह निर्धारित है। आपको कानून नहीं पसंद तो बीच सड़क पर बैठ जाएंगे क्या। देश में लोकतंत्र है और लोकतंत्र के ऊपर भीड़तंत्र हावी नहीं हो सकती है। दिल्ली चुनाव में धार्मिक बहस छिड़ने पर टीएमसी की सांसद काकोली घोष दस्तीदार कहती हैं कि दक्षिणपंथी पार्टियों का असल मकसद यही है। यह धर्मनिरपेक्ष देश और संविधान के लिए विनाशकारी है। यह सिर्फ वोटों के ध्रुवीकरण के लिए किया जा रहा है।
- रिपोर्ट आमिर अंसारी
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