दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए गेमचेंजर बनेगा ‘शाहीन बाग’ ?
दिल्ली विधानसभा चुनाव की पूरी सियासी लड़ाई अब शाहीन बाग पर आकर केंद्रित हो गई है। नागरिकता संशोधन कानून के विरोध 15 दिसंबर से दिल्ली के शाहीन बाग में जो विरोध प्रदर्शन चल रहा था उसको लेकर भाजपा अब पूरी तरह अक्रामक हो गई है। सोमवार को दिल्ली में अपनी चुनावी रैली के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शाहीन बाग जाने की चुनौती दे डाली जिससे की लोग ये तय कर सकें कि उन्हें वोट किसे देना है। इससे पहले रविवार को बाबरपुर विधानसभा में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए शाह ने कहा था कि बटन इतने गुस्से के साथ दबाना कि बटन यहां बाबरपुर में दबे और करंट शाहीन बाग के अंदर लगे।
जैसे – जैसे दिल्ली में चुनाव प्रचार जोर पकड़ता जा रहा है और मतदान की तारीख नजदीक आती जा रही है भाजपा CAA और शाहीन बाग के मुद्दें पर वोटों के ध्रुवीकरण की कोशिश में जुट गई है। दिल्ली में विकास के मुद्दें पर आम आदमी पार्टी से कड़ी चुनौती का सामना करने वाली भाजपा की चुनावी रणनीतिकारों की पूरी कोशिश है कि शाहीन बाग के मुद्दा गर्मा कर किसी तरह वोटों का ध्रुवीकरण किया जा सकते है। भाजपा के अक्रामक रुख देखकर अब ये कहा जा रहा है कि शाहीन बाग दिल्ली चुनाव में भाजपा का सबसे बड़ा सियासी हथियार बन गया है।
वहीं दूसरी दिल्ली मुख्यमंत्री और पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को शाहीन बाग के मुद्दें पर ट्वीट कर भाजपा पर पलटवार करते हुए कहा कि ‘शाहीन बाग में बंद रास्ते की वजह से लोगों को परेशानी हो रही है। भाजपा नहीं चाहती कि रास्ते खुलें। भाजपा गंदी राजनीति कर रही है। भाजपा के नेताओं को तुरंत शाहीन बाग जाकर बात करनी चाहिए और रास्ता खुलवाना चाहिए।
दिल्ली चुनाव पर अपनी पैनी नजर बनाए हुए चुनाव विश्लेषक और पत्रकारिता के प्रोफेसर डॉक्टर सुशील कुमार शर्मा कहते हैं कि शाहीन बाग दिल्ली चुनाव का बहुत बड़ा मुद्दा बनने जा रहा है और शाहीन बाग दिल्ली चुनाव में गेमचेंजर भी साबित हो सकता है। वह कहते हैं कि दिल्ली में चुनाव लड़ रही तीनों प्रमुख पार्टियों भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के लिए CAA और उसके विरोध में हो रहे शाहीन बाग जैसे विरोध प्रदर्शन बहुत बड़ा दांव है और खासकर भाजपा और कांग्रेस के लिए ये भविष्य की राजनीति तय करेगा।
वेबदुनिया से बातचीत में कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक डॉक्टर सुशील कहते हैं कि जैसे जैसे दिल्ली चुनाव में मतदान की तारीख नजदीक आ रही है वैसे वैसे शाहीन बाग के मुद्दें पर जमीनी स्तर पर मतों को बंटवारा होता दिख रहा है और अगर वोटिंग की तारीख तक शाहीन बाग का मुद्दा नहीं हल हुआ तो इस पर वोटों को बंटवारा भी हो सकता है और जिसका सबसे ज्यादा फायदा भाजपा को मिलेगा। वह कहते हैं कि इस वक्त CAA के मुद्दें पर देश मुस्लिम वर्सेस अन्य में बंटता हुआ दिख रहा है और चुनावी राज्य दिल्ली में इसको साफ महसूस भी किया जा सकता है।
वह कहते हैं जितना लंबा और जिस तरह CAA का मुद्दा खिंच रहा है उतना नुकसान कांग्रेस और आप को ही होगा और ये पूरा मुद्दा दिल्ली चुनाव में विपक्ष के लिए सेल्फ गोल भी साबित हो सकता है। वह साफ कहते हैं कि दिल्ली चुनाव में CAA और उसके विरोध में जिस तरह शाहीन बाग और अन्य जगह विरोध प्रदर्शन हो रहे है उतना ही भाजपा अपने पक्ष में वोटों के ध्रुवीकरण में सफल होगी।