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Written By BBC Hindi
Last Modified: गुरुवार, 30 जनवरी 2020 (11:31 IST)

कोरोना वायरस : जिसकी फ़िलहाल कोई दवा नहीं, एहतियात ही बचाव है

Corona virus | कोरोना वायरस : जिसकी फ़िलहाल कोई दवा नहीं, एहतियात ही बचाव है
संदीप सोनी (बीबीसी संवाददाता, दिल्ली)
 
नए साल में चीन एक नई और बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है। इस चुनौती का नाम है कोरोना वायरस। कोरोना वायरस चीन की सीमाओं से निकलकर दुनिया के अन्य हिस्सों में भी अपना असर दिखा रहा है।
 
चीन के वुहान शहर में पैदा हुए कोरोना वायरस की थाईलैंड, वियतनाम, ताईवान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, नेपाल, जापान, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस में मौजूदगी का पता चला है। ब्रिटेन और कनाडा समेत कई अन्य देशों में संदिग्ध मामले सामने आए हैं। इन मामलों की जांच करके पता किया जा रहा है कि कहीं इनके पीछो कोरोना वायरस तो नहीं है।
 
चीन के आसमान से उड़कर दुनिया के बाकी देशों में जाने वाले हवाई जहाज़ों से उतरने वाले यात्रियों की वैज्ञानिक तरीकों से जांच की जा रही है। कोरोना वायरस की वजह से दुनिया के बाक़ी देशों से हवाई यात्री इन दिनों चीन जाने से परहेज कर रहे हैं।
कोरोना का क़हर
 
ये वायरस बहुत तेज़ी से अपने पैर पसारता है। इसके संक्रमण की वजह से न्यूमोनिया होने का भ्रम होता है। यही वजह है कि शुरुआत में चीन के स्वास्थ्यकर्मी कोरोना वायरस के संक्रमण को मामूली न्यूमोनिया समझते रहे, लेकिन जल्द ही उन्हें समझ आ गया कि ये कोई मामूली संक्रमण नहीं है और इससे निपटने के लिए ऐड़ी-चोटी का ज़ोर लगाना होगा।
 
कोरोना वायरस का विकराल रूप सामने आने से पहले ही संकट के संकेत मिलने लगे थे। नॉटिंघम यूनिवर्सिटी के सोफ़ी हंट और जेसन नील साल 2019 के आख़िरी महीनों में वुहान में थे।
 
सोफ़ी ने बताया वुहान में उन्होंने क्या देखा था, 'हम ख़रीदारी करने के लिए वॉलमार्ट गए थे। वहां अफ़रा-तफ़री मची थी। जिसे देखिए वही खाने-पीने की चीज़ें ख़रीदकर जमा कर लेना चाहता था। फिर हम मास्क ख़रीदने के लिए मेडिकल स्टोर पर भी गए। लेकिन लोग पहले ही इतने मास्क ख़रीद चुके थे कि मेडिकल स्टोर पर मास्क बचे ही नहीं थे। वुहान की ये हालत देखकर बहुत दुख हुआ, लेकिन तब पता नहीं था कि आने वाले दिनों में हालात इतने ख़राब हो जाएंगे।'
घरों में दुबके लोग
 
चीन का हुबेई प्रांत कोरोना वायरस से बुरी तरह प्रभावित हुआ है। पूरे देश में संक्रमण के एक हज़ार से अधिक मामले सामने आए हैं। इनमें से अधिकतर संक्रमण हुबेई प्रांत में हुए हैं। एक ही जगह संक्रमण के इतने अधिक मामलों ने चीन में प्रशासन की नींद उड़ा दी है।
 
वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए चीन में अधिकारियों ने कई कदम उठाए हैं। हुबेई प्रांत में यात्रा प्रतिबंध लगाकर लोगों को एक जगह से दूसरी जगह जाने से रोका जा रहा है। राजधानी वुहान के एक होस्टल में रहने वाले छात्र ने बीबीसी को बताया कि लोग मन मसोसकर चार दीवारी में दुबक रहे हैं।
 
अपना नाम ज़ाहिर नहीं करने की शर्त पर उन्होंने बताया, 'हर कोई घर के भीतर दुबका है, कोई बाहर नहीं निकलना चाहता। अब तो बात यहां तक आ गई है कि बहुत मजबूरी होने पर घर से बाहर निकलने के लिए मंज़ूरी लेना पड़ती है, बताना पड़ता है कि आपको बाहर क्यों जाना है।
 
हम कहते हैं कि हमें खाने-पीने का सामान लेने बाहर जाना है, तो जवाब मिलता है कि हम घर ही ये सब ला देते हैं, आपको बाहर निकलने की कोई ज़रूरत नहीं है। अधिकारियों की इस सख़्ती का नतीजा ये है कि सड़कें खाली पड़ी हैं। बीमार पड़ने पर भी अस्पताल जाने के बजाए अपने कमरे में ही रहने के लिए कहा जा रहा है।'
फीका पड़ा नए साल का जश्न
 
पाबंदियों की वजह से चीन के 10 शहरों में रहने वाले कम से कम 2 करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं। बढ़ते संक्रमण की वजह से चीन में सरकार ने कई सार्वजनिक जगहों को बंद कर दिया है। इनमें विश्वविख्यात चीन की दीवार का एक बड़ा हिस्सा भी शामिल है।
 
चाइनीज़ कैलेंडर की महत्वपूर्ण तारीख़ों में से एक लूनर न्यू इयर का जश्न कोरोना वायरस की वजह से फीका पड़ गया है। लूनर न्यू इयर की छुट्टियों के दौरान लाखों लोग यात्रा करते हैं। लेकिन इस बार प्रतिबंधों की वजह से रंग में भंग पड़ गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई है।
 
कोरोना क्यों है ख़तरनाक
 
संगठन की आपात स्वास्थ्य सेवाओं से संबद्ध डॉक्टर अबदी मोहम्मद ने बीबीसी को बताया कि वैज्ञानिकों को कोरोना वायरस के बारे में अभी बहुत कुछ जानना बाकी है।
 
उन्होंने कहा, 'अभी तक हमारे पास बस इतनी जानकारी है कि मरीज़ों में लक्षण नज़र आ रहे हैं। लेकिन चिंता की बात इसलिए है, क्योंकि ये एक नई बीमारी है। हमें नहीं पता कि ये किस तरह असर दिखाएगी। कोरोना से संक्रमित लगभग 4 प्रतिशत मरीज़ों ने दम तोड़ा है। ये वो लोग थे जिनकी प्रतिरोधी क्षमता कमज़ोर थी। अभी ये कहना जल्दबाज़ी होगी कि कोरोना किस हद तक जानलेवा साबित हो सकता है।'
 
बीबीसी के हेल्थ एडिटर जेम्स गैलाघर के मुताबिक कोरोना वायरस अपने आप ख़त्म होने वाला वायरस नहीं है। संक्रमित शहरों में आवाजाही पर पाबंदी लगाकर इसके प्रसार को रोका जा सकता है।
 
उनका मानना है, 'यदि आपका चीन से किसी तरह का संपर्क है या आप हाल के दिनों में वुहान से लौटे हैं और आपको बुखार आ रहा है या कफ़ बन रहा है, सांस लेने में किसी तरह की दिक्कत हो रही है तो आपको फौरन डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
 
लेकिन आपको सिर्फ इस वजह से परेशान होने की ज़रूरत नहीं है कि आपने सी-फूड खाया है। ये वायरस सार्स की तरह ख़तरनाक तो नहीं है, लेकिन यदि इसके लक्षण पकड़ में न आएं तो इसे क़ाबू में करना मुश्किल होगा। कोरोना का संक्रमण किसे है किसे नहीं, ये जानना इतना भी आसान नहीं है। पता तभी चलता है, जब लक्षण उभरते हैं या मरीज़ की हालत बहुत ख़राब हो जाती है।'
 
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस को चीन के लिए इमरजेंसी बताते हुए कहा है कि अभी इसे ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी नहीं कहा जा सकता। लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ये भी कहा है कि कोरोना वायरस चीन के साथ-साथ बाकी दुनिया के लिए भी बहुत गंभीर ख़तरा बन सकता है।
वायरस के आगे बौने हुए
 
कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप ने ये सवाल खड़ा कर दिया है कि अत्याधुनिक होती जा रही दुनिया में चीन जैसे भारी-भरकम अर्थव्यवस्था वाले देश भी किसी वायरस से निपटने के लिए कितने तैयार हैं?
 
पहले ये दावा किया गया कि कोरोना वायरस एक इंसान से दूसरे इंसान में नहीं फैलता। लेकिन जल्द ही ये दावा ग़लत साबित हुआ और इस ग़लती ने ये साबित कर दिया कि अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाओं के बावजूद किसी नए वायरस की पहचान और उसकी ताक़त को समझना बहुत मुश्किल है।
 
कभी चमगादड़, तो कभी सांप को और कभी भोजन की थाली में परोसे गए समुद्री जीव यानी सी फूड को कोरोना वायरस की वजह बताया गया, लेकिन पक्के तौर पर ये पता नहीं चल पाया है कि कोरोना वायरस इनमें से किसकी वजह से पैदा हुआ?
 
बीते कुछ वर्षों में दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में सार्स, बर्ड फ्लू, स्वाइन फ्लू, इबोला और ज़ीका वायरस की वजह से मानव जाति को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। वैज्ञानिकों ने टीके विकसित करके इनका ख़तरा तो कम कर दिया है लेकिन कोरोना वायरस की अभी तक कोई दवा या टीका नहीं है।
 
कोरोना वायरस को लेकर दुनियाभर में चिंता की असल वजह यही है और उम्मीद की जा रही है कि शोधकर्ता जल्द ही इसका समाधान खोज निकालेंगे। तब तक भारत जैसे देशों के पास एहतियात के सिवा दूसरा कोई विकल्प नहीं है। (फ़ाइल चित्र)
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