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Written By DW
Last Updated : शनिवार, 28 दिसंबर 2024 (10:00 IST)

रिपोर्ट: इनकम टैक्स कटौती पर भारत सरकार कर रही विचार

रिपोर्ट: इनकम टैक्स कटौती पर भारत सरकार कर रही विचार - Indian government is considering income tax cut
-एए/वीके (रॉयटर्स)
 
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार अगले बजट में इनकम टैक्स में कटौती कर सकती है। भारत की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को देश का आम बजट पेश करेंगी और सरकार 15 लाख रुपए सालाना तक आय वाले व्यक्तियों के लिए इनकम टैक्स में कटौती पर विचार कर रही है।
 
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक इसका मकसद मिडिल क्लास को राहत देना और खर्च बढ़ाना है। रॉयटर्स को 2 सरकारी सूत्रों ने कहा कि धीमी आर्थिक बढ़त और महंगाई ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है।
 
ज्यादा खर्च कर पाएंगे लोग
 
इस कदम से लाखों करदाताओं को फायदा हो सकता है, खासतौर से शहर में रहने वाले लोग जो कि अक्सर हाई कॉस्ट ऑफ लिविंग के बोझ तले जीते हैं। इसका लाभ उन टैक्स देने वालों को मिलेगा, जो 2020 में शुरू की गई नई टैक्स प्रणाली को अपनाते हैं जिसमें हाउस रेंट और बीमा पर छूट नहीं शामिल है।
 
नई टैक्स प्रणाली के तहत 3 से 15 लाख रुपए तक की सालाना आमदनी पर 5 से 20 प्रतिशत तक टैक्स लगाया जाता है। 15 लाख रुपए से अधिक आय पर 30 प्रतिशत टैक्स दर लागू होती है।
 
भारतीय करदाता के पास 2 टैक्स प्रणालियों का विकल्प है। पुरानी प्रणाली के तहत हाउस रेंट और बीमा पर छूट की अनुमति है और 2020 में शुरू की गई एक नई योजना, जो थोड़ी कम दरों की पेशकश करती है, लेकिन बड़ी छूट की अनुमति नहीं देती है।
 
सूत्रों ने बताया कि टैक्स कटौती के आकार पर अभी फैसला नहीं हुआ है। इस पर आखिरी फैसला 1 फरवरी को बजट के करीब लिया जाएगा। भारत के वित्त मंत्रालय ने टिप्पणी के अनुरोध पर जवाब नहीं दिया है।
 
टैक्स में कटौती का असर
 
अगर यह प्रस्ताव बजट में लागू होता है तो यह मिडिल क्लास के लिए एक बड़ी राहत होगी। भारत में हाल के महीनों में आर्थिक विकास दर धीमी हुई है और महंगाई ने लोगों के खर्च पर असर डाला है।
 
सूत्रों ने किसी भी टैक्स कटौती से होने वाले राजस्व नुकसान को साझा करने से इनकार कर दिया, लेकिन एक सूत्र ने कहा कि टैक्स दरों को कम करने से अधिक लोग नई प्रणाली को चुनेंगे, जो कम जटिल है।
 
भारत को अपने आयकर का बड़ा हिस्सा उन व्यक्तियों से मिलता है जिनकी सालाना आय 15 लाख से अधिक है और उन पर 30 प्रतिशत टैक्स लगाया जाता है। मिडिल क्लास के हाथों में अधिक पैसा अर्थव्यवस्था को गति देने में मदद कर सकता है, जो दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जो कि जुलाई और सितंबर के बीच सात तिमाहियों में सबसे धीमी गति से बढ़ी है।
 
उच्च खाद्य महंगाई दर भी साबुन और शैम्पू से लेकर कारों और दोपहिया वाहनों तक जैसी चीजों की मांग को प्रभावित कर रही है, खासकर शहरी इलाकों में।
 
लोगों के हाथों में आएगा पैसा
 
ऐसे में टैक्स कटौती होने से मिडिल क्लास के हाथों में ज्यादा पैसे आने से अर्थव्यवस्था को गति मिल सकती है। मिडिल क्लास अक्सर ज्यादा टैक्स और सामानों पर लगने वाले जीएसटी को लेकर शिकायत करता रहता है।
 
हाल में ही पॉपकॉर्न पर 3 तरह के जीएसटी लगाए जाने को लेकर सोशल मीडिया पर खूब बहस छिड़ गई थी। अब पॉपकॉर्न पर 3 अलग-अलग स्लैब (5%, 12% और 18%) के तहत टैक्स लगाया जाएगा।