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Written By DW
Last Updated : सोमवार, 18 जुलाई 2022 (09:00 IST)

NATO में योगदान के लिए कितनी तैयार है जर्मनी की सेना?

NATO में योगदान के लिए कितनी तैयार है जर्मनी की सेना? - How ready is Germany's army to contribute to NATO
रिपोर्ट : राल्फ बोजेन
 
नाटो खुद को फिर से संगठित कर रहा है और जर्मनी पूर्वी हिस्से में नाटो के रैपिड रिस्पॉन्स फोर्स के लिए अपने 15 हजार सैनिक भेज रहा है। हालांकि इस वजह से जर्मन सेना के सामने भी कई समस्याएं खड़ी हो रही हैं। नाटो रिस्पॉन्स फोर्स यानी एनआरएफ इसकी 'फायरवॉल' जैसी होती हैं। इसकी बहुराष्ट्रीय युद्धक इकाइयों को स्टैंडबाई यानी आपातस्थिति के लिए सुरक्षित रखा जाता है। आपातस्थिति में इसकी पहली यूनिट जिन्हें एनआरएफ कहा जाता है, वो संकटग्रस्त इलाकों में 48 घंटे के भीतर पहुंचकर जमीन, हवा अथवा समुद्र में अपने मिशन में लग जाती हैं।
 
एनआरएफ से उम्मीद है कि वो जल्दी ही और प्रभावी तरीके से कार्रवाई करेगा। पिछले हफ्ते मैड्रिड में हुए नाटो सम्मेलन में गठबंधन ने अपनी पूर्वी सीमाओं को और मजबूत करने के लिए रिस्पॉन्स फोर्स की संख्या को 40 हजार से बढ़ाकर तीन लाख करने का फैसला किया है।
 
जर्मनी की रक्षा मंत्री क्रिस्टीन लैंब्रेष्ट ने घोषणा की है कि जर्मनी अपने उन 3-5 हजार सैनिकों को यहां भेजेगा जो अभी तक लिथुआनिया में तैनात हैं। अब तक पूर्वी इलाके में जर्मनी के करीब एक हजार सैनिक ही तैनात हैं। इसके अलावा जर्मनी 65 एअरक्राफ्ट और 20 पानी के जहाज के साथ ही विशेष कमांडो दस्ते भी भेज रहा है।
 
नाटो के महासचिव येंस स्टोल्टेनबर्ग चाहते हैं कि यहां अगले साल तक नई रैपिड रिएक्शन बल काम करना शुरू कर दे और उनकी इसी इच्छा ने जर्मन सशस्त्र बल यानी बुंडेसवेयर पर दबाव बढ़ा दिया है।
 
बुंडेसवेयर की परेशानी
 
ब्रसेल्स का नाटो मुख्यालय अब और आत्मविश्वास से भरा दिख रहा है, क्योंकि गठबंधन पहले की तुलना में अब कहीं ज्यादा जीवंत हो गया है। वही गठबंधन, जिसे कभी फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने "ब्रेन डेड कहा था। हालांकि जर्मनी की प्रतिक्रिया कहीं ज्यादा समझदारी वाली है। बुंडेसवेयर की मौजूदा स्थिति इस बात पर संदेह पैदा करती है कि क्या वह नाटो की नई जिम्मेदारी को निभा पाएगी,, क्योंकि शीतयुद्ध की समाप्ति के बाद से इसे काफी घटा दिया गया है।
 
जर्मनी की सेना में कितनी बुराइयां भरी हैं इसे अप्रैल में जर्मन संसद में एक बहस के दौरान लैंब्रेष्ट के भाषण में देखा जा सकता है। सोशल डेमोक्रेट नेता का कहना था कि कागज पर हमारे पास 350 प्यूमा इंफैंट्री फाइट वेहिकल हैं जबकि उनमें से सिर्फ 150 गाड़ियां ही काम लायक हैं।
 
यही स्थिति टाइगर कॉम्बैट हेलीकॉप्टर की है। 51 में से सिर्फ नौ ऐसे हैं जो उड़ सकते हैं। इसके अलावा सुरक्षात्मक वेस्ट्स, बैकपैक्स और रात में देखने में मदद करने वाले उपकरणों की भी कमी है। यहां तक कि पूर्वी हिस्से में तैनात नाटो के सैनिकों के लिए गर्म अंडरवेयर की भी कमी है।
 
बुंडेस्टाग डिफेंस कमिश्नर और चांसलर ओलाफ शॉल्त्स की सेंटर लेफ्ट सोशल डेमोक्रेट पार्टी की सदस्य एफा होगल को लगता है कि एनआरएफ को बढ़ावा देने से बुंडेसवेयर पर बोझ बढ़ेगा। अखबार ऑग्सबुर्गर अल्गेमाइने से बातचीत में वो कहती हैं कि ऐसा लगता है कि जर्मनी से अपेक्षाएं और बढ़ेंगी। इसका मतलब है कि बुंडेसवेयर के सामने बड़ी चुनौती है, क्योंकि उससे सैनिक, सामान, उपकरण और आधारभूत ढांचे में मदद की उम्मीद की जाएगी।
 
बड़ी चुनौतियां
 
जर्मन सशस्त्र बल एसोसिएशन यानी बुंडेसवेयर फर्बैंड सेना के 183,000 सैनिकों के हितों का प्रतिनिधित्व करता है। इस एसोसिएशन के अध्यक्ष आंद्रे वुसनर कहते हैं कि 'सेना इस मुद्दे पर बड़ी चुनौती का सामना कर रही है जो कि बुंडेसवेयर को इससे पहले कभी नहीं करना पड़ा।'
 
वुसनर मानते हैं कि यूक्रेन पर रूस के हमले के तुरंत बाद शॉल्त्स ने सेना के पुनर्गठन के लिएसौ अरब यूरो के जिस विशेष फंड की घोषणा की थी, वो उसके लिए पर्याप्त नहीं होगी। पब्लिक ब्रॉडकास्टर जेडडीएफ से बातचीत में वो कहते हैं कि नाटो जो सोच रहा है, यदि हम उसे हासिल करना चाहते हैं तो उसके लिए हमें कम से कम दो सौ अरब यूरो की जरूरत होगी।
 
हालांकि इस सौ अरब यूरो में क्या खरीदा जाना है, इस पर भी रक्षा मंत्रालय के रणनीतिकार अभी विचार-विमर्श कर रहे हैं।  सरकार के पास समय बहुत नहीं है। सशस्त्र बलों को फिट बनाने के लिए रफ्तार बढ़ानी होगी। अन्यथा उपकरणों की खरीद भी नाकामी में बदल सकती है।
 
सेना के पास उपकरणों की कमी है
 
जर्मन काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस में रक्षा नीति विशेषज्ञ क्रिश्चियान मोलिंग चेतावनी देते हैं कि आलमारियां खाली पड़ी हैं। आपको इन सबके बारे में इसी तरह से सोचना होगा। बाजार में तब तक किसी चीज का उत्पादन शुरू नहीं होगा जब तक कि कोई यह नहीं कहेगा कि हमें इसे खरीदना है। यह किसी सुपरमार्केट की तरह नहीं है कि आप गए और अपने जरूरत का सामान आलमारी से उठा लाए। यहां तो पहले उन्हें बनाना होगा।
 
रक्षा उपकरण बनाने वाली कंपनियां भी पहले से मिले ऑर्डर के आधार पर निर्माण कार्य करती हैं। डीडब्ल्यू से बातचीत में मोलिंग कहते हैं कि यदि बुंडेसवेयर चाहता है कि उसे जरूरी उपकरण मिलें तो उसे टैंकों, तोपखाने और ऐसी ही अन्य चीजों के लिए उसे जल्दी ही ऑर्डर देना होगा।
 
इन सबके अलावा सैनिकों को कमांड स्ट्रक्चर और लॉजिस्टिक्स की भी जरूरत होगी। मोलिंग कहते हैं कि उन्हें आसान परिवहन और संवाद क्षमता भी सुलभ करानी होगी जो कि सेना में सबसे जरूरी चीज होती है। इसका मतलब है कि नए रेडियो और संचार के कुछ अन्य अत्याधुनिक साधन। हालांकि हमारे पास इस तरह की बहुत सी चीजें हैं भी।
 
युद्ध के दौरान कोई शक नहीं
 
मोलिंग कहते हैं कि शांति के समय में ऐसी कमियों से निपटा जा सकता है कि लेकिन युद्ध की स्थिति में यही चीजें बेहद खतरनाक दिखाई देने लगती हैं। यदि आप उनसे निपट नहीं सकते हैं तो समझिए कि आप बेकार हैं।
 
प्रगति की इस दौड़ में कई लोग चाहते हैं कि बुंडेसवेयर को अपनी मानसिकता में बदलाव लाना चाहिए। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सैन्य संयम जर्मन सुरक्षा नीति की एक बुनियादी चीज बन गई थी जो कि जर्मन राजनीति और समाज दोनों की सहमति से तय होती थी। शांति के दौरान, जर्मन सेना सहज हो जाती है। कई प्रक्रियाएं जरूरत से ज्यादा नौकरशाही आधारित हो गई हैं और निर्णय लेने में काफी देरी होने लगी है।
 
इसका असर अब दिखने लगा है। ऐसा लगता है कि अब सबसे खराब स्थिति आने वाली है, तो बुंडेसवेयर को भी अपने में बदलाव लाना होगा और एक लड़ाकू शक्ति के रूप में खुद को तब्दील करना होगा ताकि वो खतरनाक युद्धों को लड़ने में सक्षम हो सके।
 
यूक्रेन पर रूसी आक्रमण शुरू होने पर चांसलर शॉल्त्स के भाषण की ओर इशारा करते हुए म्यूनिख के बुंडेसवेयर विश्वविद्यालय के फ्रांक साउवर कहते हैं कि समय फिर बहुत तेजी से बदल रहा है। सैद्धांतिक रूप से बाल्टिक के पूर्वी तट पर तैनात नाटो दल सिर्फ एक ट्रिप वायर जैसे थे। इसके पीछे आइडिया यह था कि रूसी आक्रमण को सिर्फ कमजोर किया जाए ताकि गठबंधन सेना को संगठित होने का मौका मिल सके।
 
साउवर का यह भी कहना है कि लेकिन यूक्रेन में रूसी आक्रामकता को देखते हुए वे अब कह रहे हैं कि हम यहां सिर्फ एक ट्रिप वायर लगाकर शांत नहीं बैठ सकते। हमें शुरू से ही बचाव के लिए सक्षम होना पड़ेगा। इसीलिए फैसला किया गया कि सैन्य शक्ति को बढ़ाया जाए।
 
बुंडेसवेयर के बारे में वो कहते हैं कि यह ना केवल लिथुआनिया में सुरक्षा बलों को बढ़ाने में मदद कर रहा है बल्कि जर्मनी को एक लॉजिस्टिक हब के तौर पर भी बढ़ाने में मदद कर रहा है जहां से हर चीजें नियंत्रित की जाएंगी। वो कहते हैं कि यह यूरोप में एक बड़ा रणनीतिक पुनर्गठन है और बुंडेसवेयर पर इसका स्थायी प्रभाव पड़ेगा।
 
साउवर कहते हैं कि यदि यह सवाल किया जाता है कि क्या ऐसा किया जा सकता है तो मेरा जवाब होगा हां। लेकिन यदि यह पूछा जाए कि क्या हम ऐसा करने में सक्षम हैं, तो मेरा जवाब होगा कि मैं नहीं जानता।, क्योंकि यह एक ऐसी ही चुनौती है।(फोटो सौजन्य : डॉयचे वैले)
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