शनिवार, 20 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. डॉयचे वेले
  3. डॉयचे वेले समाचार
  4. why indian rupee is falling against us dollar
Written By DW
Last Modified: गुरुवार, 14 जुलाई 2022 (07:49 IST)

अमेरिकी डॉलर के आगे क्यों गिर रहा है रुपया?

अमेरिकी डॉलर के आगे क्यों गिर रहा है रुपया? - why indian rupee is falling against us dollar
अमेरिकी डॉलर के आगे भारतीय रुपया इतना गिर चुका है जितना इतिहास में पहले कभी नहीं गिरा। क्या कहती है यह गिरावट भारतीय अर्थव्यवस्था के ताजा हालात के बारे में?
 
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया इतिहास में पहली बार 80 के काफी करीब पहुंच चुका है। सवाल उठ रहे हैं कि लगातार हो रही इस गिरावट में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए क्या संदेश हैं। लेकिन रुपए की कीमत के गिरने के पीछे एक नहीं बल्कि कई कारण हैं।
 
डॉलर के मुकाबले यह साल रुपये के लिए अच्छा नहीं रहा है। 2022 की शुरुआत से ही रुपए की कीमत में गिरावट दर्ज की जा रही है और फरवरी में यूक्रेन युद्ध के शुरू हो जाने के बाद से संकट और बढ़ गया। इस साल जनवरी से अभी तक रुपए की कीमत करीब छह प्रतिशत गिर चुकी है।
 
रुपए के गिरने के सबसे बड़े कारणों में से विदेशी निवेशकों के भारत से अपने निवेश को निकाल लेना बताया जा रहा है। एक अनुमान के मुताबिक पिछले छह महीनों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारत से करीब 2,320 अरब रुपए निकाल लिए हैं। विदेशी निवेशकों का पैसे निकाल लेना इस बात का संकेत है कि वो भारत को इस समय निवेश करने के लिए सुरक्षित नहीं समझ रहे हैं।
 
मजबूत होता डॉलर
गिरावट का एक और कारण डॉलर सूचकांक का लगातार बढ़ना भी बताया जा रहा है। इस सूचकांक के तहत पौंड, यूरो, रुपया, येन जैसी दुनिया की बड़ी मुद्राओं के आगे अमेरिकी डॉलर के प्रदर्शन को देखा जाता है। सूचकांक के ऊपर होने का मतलब होता है सभी मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती। ऐसे में बाकी मुद्राएं डॉलर के मुकाबले गिर जाती हैं।
 
इस साल डॉलर सूचकांक में अभी तक नौ प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है जिसकी बदौलत सूचकांक इस समय 20 सालों में अपने सबसे ऊंचे स्तर पर है। यही वजह है कि डॉलर के आगे सिर्फ रुपया ही नहीं बल्कि यूरो की कीमत भी गिर गई है।
 
रुपए की गिरावट का तीसरा कारण यूक्रेन युद्ध माना जा रहा है। युद्ध की वजह से तेल, गेहूं, खाद जैसे उत्पादों, जिनके रूस और यूक्रेन बड़े निर्यातक हैं, की आपूर्ति कम हो गई है और दाम बढ़ गए हैं। चूंकि भारत विशेष रूप से कच्चे तेल का बड़ा आयातक है, देश का आयात पर खर्च बहुत बढ़ गया है। आयात के लिए भुगतान डॉलर में होता है जिससे देश के अंदर डॉलरों की कमी हो जाती है और डॉलर की कीमत ऊपर चली जाती है।
 
यूरो के मुकाबले बढ़ रहा रुपया
रुपए के अलावा यूरो भी डॉलर के आगे गिर रहा है। मंगलवार को यूरो गिर कर डॉलर के बराबर पहुंच गया। ऐसे इससे पहले सिर्फ 2002 में हुआ था और अब हुआ है। माना जा रहा है कि इसका कारण भी निवेशकों का यूरोजोन से पैसे बाहर निकाल कर अमेरिका में डालना है।
 
इसका मतलब है वैश्विक निवेशकों को इस समय अपने निवेश के लिए अमेरिका ही सबसे सुरक्षित जगह लग रही है। यूरो की तरह ही रुपये के लिए भी यह अच्छी खबर नहीं है। यूरो के मुकाबले रुपए की हालत काफी बेहतर है और उसमें लगातार बढ़ोतरी ही देखी जा रही है। 2022 की शुरुआत में एक यूरो 90 रुपए के आस पास था और इस समय 80 के आस पास है।
 
लेकिन कुछ जानकारों का मानना है कि अगर यूरो भी इसी तरह गिरता रहा तो यह रुपए के लिए भी ठीक नहीं होगा। यूरो के भारत और दूसरी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के साथ गहरे व्यापारिक संबंध हैं जिसकी वजह से आशंका है कि यूरो की बिगड़ती हालत का असर रुपये और दूसरी मुद्राओं पर भी पड़ेगा।
 
रिपोर्ट : चारु कार्तिकेय
ये भी पढ़ें
श्रीलंका को आर्थिक चक्रव्यूह से निकलने के लिए क्या करना होगा?