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Written By DW
Last Updated : मंगलवार, 12 जुलाई 2022 (18:03 IST)

ओलंपिक चैंपियन मो. फरा की असली कहानी, तस्करी कर अनजान महिला ब्रिटेन ले आई थी

ओलंपिक चैंपियन मो. फरा की असली कहानी, तस्करी कर अनजान महिला ब्रिटेन ले आई थी - Olympic Champion Mohd. Fara's real story
बचपन में मानव तस्करी का शिकार हुआ सोमालिया का एक बच्चा ब्रिटेन लाया गया। घर में नौकर बनाकर रखा गया। यह कहानी है मो. फरा की, जो आगे चलकर ब्रिटेन के लिए ओलंपिक में 4 गोल्ड मेडल जीतकर लाए।
 
पहली बार मो. फरा ने अपने जीवन से जुड़ी ऐसी बातें बीबीसी की एक डॉक्यूमेंट्री 'दि रियल मो. फरा' में बताई हैं। अपना असली नाम हुसैन अब्दी काहिन और जन्मस्थान दिजिबूती बताया है। मो. फरा ने अपनी आपबीती बयान करते हुए यह भी बताया कि 8 या 9 साल की उम्र में उन्हें एक अनजान महिला तस्करी कर ब्रिटेन ले आई थी और घर में नौकर बनाकर रखा था। डॉक्यूमेंट्री में मो. फरा कहते हैं कि सच यह है कि मैं वह नहीं हूं, जो आप सोचते हैं कि मैं हूं। मो. फरा न तो मेरा नाम है और न ही मेरी सच्चाई।
 
पूर्वी अफ्रीका के देश सोमालिया से लाने के बाद उस महिला ने उनका नाम मोहम्मद फरा रखा और किसी और परिवार के बच्चों के देखभाल के काम में लगा दिया। अब तक मो. फरा ने बताया था कि वह अपने परिवार के साथ सोमालिया से ब्रिटेन रिफ्यूजी के रूप में आए थे। मो. फरा की गिनती ओलंपिक के महानतम एथलीटों में होती है। उन्होंने 2012 के लंदन ओलंपिक और 2016 के रियो ओलंपिक दोनों में 5,000 और 10,000 मीटर दौड़ में दोहरे स्वर्ण पदक जीते हैं। इस तरह मो. फरा ओलंपिक में 4 स्वर्ण जीतने वाले पहले अश्वेत ब्रिटिश ट्रैक एंड फील्ड एथलीट बने।
 
अब 39 साल के हो चुके मो. फरा ने खुलासा किया है कि उनके माता-पिता तो कभी ब्रिटेन आए ही नहीं। उन्होंने बताया कि जब वे केवल 4 साल के थे तभी उनके पिता की मौत सोमालिया में नागरिक हिंसा की चपेट में आने से हो गई थी। उनकी मां और 2 भाई सोमालिया से अलग होकर बसे सोमालीलैंड में रहते हैं जिसकी कोई अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं है।
 
जिस महिला ने उन्हें सोमालिया से तस्करी कर बाहर निकाला था, उसी ने यात्रा के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार करवाए थे और उन्हें मो. फरा नाम दिया था। अब अपने जीवन के सच को दुनिया से शेयर करने की प्रेरणा उन्हें उनके बच्चों से मिली है। मो. फरा कहते हैं कि अपनी कहानी बताने का सबसे बड़ा कारण यही है कि मैं सामान्य महसूस करना चाहता हूं और ऐसा नहीं जैसे कि मैंने कुछ पकड़कर रखा है।
 
फरा की पत्नी तानिया को 2010 में उनकी शादी के पहले पता चलने लगा था कि महान एथलीट की कहानी में 'कई टुकड़े गायब' हैं। कुछ समय बाद फरा ने उन्हें अपनी सच्चाई बता दी थी। फरा ने बताया कि अनजान महिला के साथ यूके पहुंचने के बाद उनसे वह कागज लेकर फाड़ दिया गया था जिसमें उनके रिश्तेदार का पता लिखा था। घर में नौकर का काम करते हुए उन्होंने अपने परिवार को सुरक्षित रखने के लिए कभी मुंह नहीं खोला। वे बताते हैं कि अकसर मैं बाथरूम लॉक करके खूब रोता था।
 
मो. फरा के जीवन में नया मोड़ आया तब उनके फिजिकल एजुकेशन टीचर ऐलन वॉटकिंसन ने ध्यान दिया कि कैसे दौड़ते समय इस युवा लड़के का मूड बिलकुल बदल जाता था। फरा ने बताया कि एथलेटिक्स ने उन्हें मुक्ति का रास्ता दिखाया। अपनी सच्चाई सबसे उन्होंने वॉटकिंसन को बताई और उन्होंने ने ही मो. फरा को ब्रिटिश नागरिकता दिलाने के लिए आवेदन करवाया। एक लंबी प्रक्रिया के बाद 25 जुलाई 2000 को फरा ब्रिटिश नागरिक बने।
 
मानव तस्करी का अपना अनुभव साझा करने के लिए समाज कल्याण संस्थाओं ने उनकी प्रशंसा की है। ब्रिटेन की रिफ्यूजी काउंसिल ने ट्वीट कर लिखा है कि 'दिल तोड़ देने वाली अपनी कहानी बताने की बहादुरी के लिए @Mo_Farah प्रशंसा के पात्र हैं। शरणार्थियों के हितों के लिए काम करने वाले संगठन ने कहा कि उनकी कहानी से शरण चाहने वाले तमाम लोगों की मजबूरियां रेखांकित होती हैं।'
 
इधर मो. फरा अब भी उम्मीद करते हैं कि जिस लड़के मो. फरा के पासपोर्ट पर उन्हें ब्रिटेन लाया गया था, वह जहां कहीं भी हो ठीक हो।(फोटो सौजन्य : डॉयचे वैले)
 
आरपी/सीके (एपी, एएफपी)
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