Khelo India में पहला गोल्ड मेडल जीतने वाली यह लड़की है चाय वाले की बेटी (PIC)
पंचकुला: हरियाणा के पंचकुला में आयोजित खेलो इंडिया यूथ गेम्स का पहला स्वर्ण एक चाय वाले की बेटी ने जीत लिया है।तीन साल पहले तक काजोल सरगार का खेलों से सिर्फ इतना रिश्ता था कि वह अपने भाई संकेत को वेटलिफ्टिंग की ट्रेनिंग करते हुए देखने के लिये एक स्थानीय जिम्नेज़ियम तक जाती थीं। महाराष्ट्र के सांगली से आने वाली काजोल ने अपने भाई को भारत का शीर्ष वेटलिफ्टर बनते हुए भी देखा, लेकिन इससे भी उन्हें खेलों की तरफ़ आने की प्रेरणा नहीं मिली।
ऐसे शुरु किया भारोत्तोलन में करियरफिर एक दिन 2019 में, जब उन्होंने सांगली से ही आने वाली रूपा हांगंडी को पुणे के खेलो इंडिया यूथ गेम्स में स्वर्ण जीतते हुए देखा, और तब से काजोल के लिये सब बदल गया।काजोल सरगार ने रविवार को खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2021 में पहली स्वर्ण पदक विजेता बनने के बाद कहा, “मेरा भाई मुझसे पांच साल बड़ा है। मैंने उसके साथ पहले कभी खेल की बात नहीं की।” उन्होंने कहा, “खेलो इंडिया यूथ गेम्स में रूपा हांगंडी की सफलता के बारे में जानने के बाद ही मुझे लगा कि मुझे भारोत्तोलन का भी प्रयास करना चाहिए।”
मयूर सिंहसाने के नेतृत्व में प्रशिक्षण ले रही काजोल ने महिलाओं के 40 किग्रा वर्ग में कुल 113 किग्रा भार उठाकर महाराष्ट्र के पदक तालिका में शीर्ष की ओर बढ़ने की तरफ कदम बढ़ाया।काजोल स्नैच में केवल 50 किग्रा ही हासिल कर सकीं और तीसरे प्रयास में असम की रेखामोनी गोगोई से पीछे रह गईं, जिन्होंने क्लीन एंड जर्क में उनसे दो किलोग्राम ज़्यादा वजन उठाया।
इसके बाद रूपा क्लीन एंड जर्क में 60 किग्रा और 63 किग्रा भार उठाकर पोडियम के शीर्ष पर पहुंच गई। रेखामोनी (109 किग्रा; 52 किग्रा स्नैच, 57 किग्रा क्लीन एंड जर्क) तीसरे स्थान पर खिसक गईं और अरुणाचल प्रदेश की सांडिया गुंगली ने कुल 111 किग्रा (47 किग्रा स्नैच, 63 किग्रा क्लीन एंड जर्क) के साथ रजत पदक जीता।
इस साल चोटिल हो गई थी कलाईकाजोल ने अगस्त 2021 में पटियाला में यूथ नेशनल में कांस्य पदक जीता था, लेकिन इस साल की शुरुआत में कलाई की चोट के कारण वह इस वर्ष के अपने लक्ष्यों पर फिर से काम करने के लिए मजबूर हो गयीं।
उन्होंने कहा, “मैं प्रशिक्षण के दौरान 70 किग्रा उठाने की कोशिश कर रही थी और चोटिल हो गयी। मैं दो महीने से अधिक समय तक एक्शन से बाहर रही और यहां तक कि मार्च में भुवनेश्वर में नेशनल से भी चूक गयी। यह खिताब मेरी तीन साल की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और मुझे अधिक मेहनत करने के लिए प्रेरित करेगा।”
(वार्ता)