क्या लिखा गांधी और आइंस्टीन ने एक दूसरे को चिट्ठी में
महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन, महात्मा गांधी के मुरीद थे। वह गांधी से मिलना भी चाहते थे। इसका पता दोनों के बीच हुए पत्राचार से चलता है। गांधी सर्व फाउंडेशन में दोनों के एक दूसरे को लिखे गए खत हैं।
आइंस्टीन का पत्र
1931
आदरणीय मिस्टर गांधी
हमारे घर में आपके मित्र की उपस्थिति का फायदा उठाते हुए मैं आपको ये पंक्तियां भेज रहा हूं। आपने अपने कार्यों से दिखा दिया है कि बिना हिंसा के सफल होना संभव है, वो भी उन लोगों के साथ जो हिंसक तरीके से अलग नहीं हुए। हम उम्मीद कर सकते हैं कि आपका उदाहरण आपके देश की सीमाओं के बाहर फैलेगा, और ऐसी अंतरराष्ट्रीय अथॉरिटी स्थापित करने में मदद करेगा, जिसका सम्मान सब करें, जो फैसले करे और युद्ध वाले विवादों को खत्म करे।
हार्दिक स्नेह के साथ,
आपका
(हस्ताक्षर, ए आइनस्टाइन)
मुझे उम्मीद है कि किसी दिन में आपसे फेस टू फेस मिल सकूंगा।
गांधी का जवाब
लंदन
अक्टूबर 18, 1931
प्यारे मित्र,
सुंदरम के जरिए भेजे गए आपके सुंदर पत्र को पाकर मैं आनंदित हूं। मेरे लिए यह महान सांत्वना की बात है कि जिस काम को मैं कर रहा हूं वह आपकी नजरों को पसंद आ रहा है। मैं भी वाकई में कामना करता हूं कि हम आमने सामने मिल सकें, वह भी भारत में, मेरे आश्रम में।
आपका निष्ठावान,
(हस्ताक्षर, एम के गांधी)
रिपोर्ट ओंकार सिंह जनौटी