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Written By DW
Last Modified: गुरुवार, 2 मार्च 2023 (07:49 IST)

पाकिस्तान: गिरती अर्थव्यवस्था और पढ़ाई से दूर जाते बच्चे

पाकिस्तान: गिरती अर्थव्यवस्था और पढ़ाई से दूर जाते बच्चे - crumbling pakistan economy puts childrens futures on hold
बढ़ती महंगाई के कारण कई माता-पिता अपने बच्चों की पढ़ाई छुड़वाने और उनसे काम कराने को मजबूर हैं। राष्ट्रपति का कहना है कि देश में पांच से सोलह साल के बच्चों की आधी आबादी के मजदूर या भिखारी बनने का खतरा है।
 
सोलह साल की नादिया अपनी मां के साथ हर दिन लाहौर की भीड़भाड़ वाली सड़कों से थका देने वाली यात्रा करती हैं। वह बार-बार रुकती ताकि उसकी मां आराम कर सके, यह उसके घर से एक घंटे की लंबी यात्रा है। वह एक घर में एक घरेलू सहायिका के रूप में काम करती हैं।
 
नादिया की कठिन यात्रा पिछले साल शुरू हुई जब उन्हें अपनी मां के साथ काम करने के लिए अपनी पढ़ाई छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। उनके पास अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के लिए अभी भी सात साल थे, लेकिन गरीब परिवार को भी आर्थिक सहायता की दरकार थी।
 
नादिया के पिता अमीन सुरक्षा गार्ड हैं, जिनकी मासिक आय लगभग 18,000 पाकिस्तानी रुपये हैं। नादिया के स्कूल छोड़ने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "वह मेरी बेटी है लेकिन हमारे पास और कोई चारा नहीं था। आगे क्या होगा उसका मालिक अल्लाह है।"
 
अब नादिया और उनकी मां परिवहन लागत बचाने के लिए हर दिन पैदल चलकर काम पर जाती हैं। पाकिस्तान में अब पतन के कगार पर खड़ी अर्थव्यवस्था के प्रभावों से जूझ रहे लोगों के लिए यह स्थिति असामान्य नहीं है।
 
पाकिस्तान की बिगड़ती आर्थिक स्थिति
सालों के वित्तीय कुप्रबंधन और राजनीतिक अस्थिरता ने पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को गंभीर बना दिया है। पिछले साल आई विनाशकारी बाढ़ और बढ़ती वैश्विक ऊर्जा कीमतों ने स्थिति को और खराब कर दिया है।
 
अब हालत यह है कि पाकिस्तान गहरे कर्ज में डूबा हुआ है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने टैक्स में बढ़ोतरी और ऊर्जा कीमतों में वृद्धि जैसी शर्तों लगाईं हैं ताकि उसे और कर्ज दिया जा सके।
 
पिछले हफ्ते सरकार ने लग्जरी सामानों के एक्सपोर्ट पर टैक्स बढ़ाने का ऐलान किया था। सरकार का मानना ​​है कि इन उपायों से केवल अमीर वर्ग ही प्रभावित होगा। लेकिन साथ ही अधिकारियों ने ईंधन सब्सिडी को भी खत्म कर दिया है और सामान्य बिक्री कर में वृद्धि की है, जिसका निम्न-आय वाले परिवारों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
 
इस बारे में नादिया की मां मिराज ने कहा कि जब गैस, बिजली और घर के अन्य खर्चों के बढ़ते खर्च के कारण उनका गुजारा करना मुश्किल हो रहा है तो वे नादिया को स्कूल कैसे भेज सकती हैं।
 
लड़कियों की शिक्षा पर असर
वैश्विक लैंगिक समानता रैंकिंग में पाकिस्तान की रैंकिंग लगातार निराशाजनक रही है। और शादी के समय दहेज प्रथा के कारण बेटियों को को अक्सर आर्थिक बोझ के तौर पर माना जाता है। लेकिन अमीन की सोच थोड़ी अलग है। वह अपनी छह बेटियों को इस उम्मीद में पढ़ाना चाहते हैं कि वे अपने परिवार की पीढ़ियों की गरीबी को समाप्त कर देंगी। अमीन की पांच बेटियां अभी पढ़ रही हैं, जिनकी स्कूल फीस उनके मालिक भरते हैं। लेकिन बढ़ती महंगाई और बिगड़ती आर्थिक स्थिति के चलते अब उन्हें अपनी तेरह साल की दूसरी बेटी की पढ़ाई खत्म करानी पड़ सकती है। अगर ऐसा होता है तो वो भी नादिया की तरह जीने को मजबूर हो जाएगी।
 
अपनी मां के साथ काम से लौटने के बाद नादिया हर दिन अपने परिवार के लिए खाना बनाती हैं। देर रात जब उनकी बहनें पढ़ाई में व्यस्त होती हैं, वे अपने दो कमरे के किराए के घर के फर्श पर थकावट से गिर जाती हैं।
 
नादिया कहती हैं कि क्योंकि उसका परिवार जिंदा रहने के लिए संघर्ष कर रहा है, इसलिए वह अपनी सारी आय अपनी मां को देती हैं। उन्हें उम्मीद है कि अपने माता-पिता के आर्थिक बोझ को साझा करके वह अपनी बहनों के भविष्य को उज्जवल बनाने में सफल होंगी।
 
बीते दिनों पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने एक बयान में कहा था कि देश में पांच से सोलह साल की उम्र के बच्चों की आधी आबादी को मजदूर या भिखारी के रूप में काम करना पड़ सकता है।
 
पाकिस्तान की वर्तमान में कुल आबादी 22 करोड़ है और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और एशियाई विकास बैंक के मुताबिक इसका पांचवां हिस्सा गरीबी रेखा से नीचे रहता है। बढ़ती महंगाई ने लोगों की मुसीबतों को और बढ़ा दिया है।
एए/सीके (एएफपी)
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