रिपोर्ट: लेखानंद पांडेय (काठमांडू)
ओमिक्रॉन वैरिएंट की वजह से नेपाल में एक बार फिर से कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों को चिंता सताने लगी है कि ऐसे में हालात बेकाबू हो सकते हैं। नेपाल में कोरोना संक्रमण के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं। बीते मंगलवार को 1 दिन में संक्रमण के 10,200 से ज्यादा मामले सामने आए। यह 1 दिन में अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। पिछले साल जब पूरी दुनिया में कोरोनावायरस का डेल्टा वैरिएंट तबाही मचा रहा था, तब मार्च 2021 में नेपाल में 1 दिन में सबसे ज्यादा 9,300 मामले सामने आए थे। इस बार वह रिकॉर्ड टूट गया है।
राजधानी काठमांडू और आसपास के इलाके कोरोनावायरस के हॉटस्पॉट बन चुके हैं। सबसे ज्यादा मामले इन्हीं इलाकों से सामने आ रहे हैं। वायरोलॉजिस्ट का अनुमान है कि संक्रमण की सही संख्या रिपोर्ट किए गए आंकड़े से बहुत अधिक हो सकती है, क्योंकि कई सारे लोग जांच और इलाज के लिए अस्पताल नहीं आ रहे हैं। वायरोलॉजिस्ट का यह भी कहना है कि पिछले वैरिएंट की तुलना में ओमिक्रॉन वैरिएंट तेजी से लोगों को संक्रमित कर रहा है।
जनवरी की शुरुआत में नेपाल के स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जानकारी दी गई थी कि संक्रमण के कम से कम 22 फीसदी मामले ओमिक्रॉन वैरिएंट के थे। काठमांडू के सुकरराज ट्रॉपिकल हॉस्पिटल के क्लिनिकल रिसर्चर शेर बहादुर पुन ने डीडब्ल्यू को बताया कि यह आंकड़ा काफी ज्यादा हो सकता है। उन्होंने कहा कि अब यह पता लगाना मुश्किल हो रहा है कि आखिर इतनी तेजी से संक्रमण कैसे फैल रहा है, क्योंकि प्रयोगशालाओं में पूरी व्यवस्था नहीं है। इस वजह से यह साफ तौर पर पता नहीं चल पा रहा है कि तेजी से बढ़ते मामलों के लिए कौनसा वैरिएंट जिम्मेदार है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि नया वैरिएंट तेजी से फैल रहा है।
भारत से नेपाल पहुंचा ओमिक्रॉन
कोरोनावायरस से संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या जनवरी के दूसरे सप्ताह से बढ़नी शुरू हुई। इससे पहले हर दिन 100 से भी कम लोग संक्रमित हो रहे थे। संक्रमित लोगों की संख्या काफी कम होने लगी थी। नेपाल के प्रमुख महामारी विज्ञानी कृष्ण प्रसाद पौडेल ने स्थानीय मीडिया को बताया कि संक्रमण की मौजूदा लहर पड़ोसी देश भारत में शुरू हुई। वहां तेजी से मामले बढ़े और इसके बाद यह नेपाल के सीमावर्ती इलाकों में पहुंचा। अब यह राजधानी काठमांडू तक पहुंच गया है।
'हिमाल' पत्रिका ने पौडेल के हवाले से लिखा कि ओमिक्रॉन वैरिएंट सामुदायिक स्तर पर फैल गया है। सीमावर्ती इलाकों के लगभग सभी लोग ओमिक्रॉन वैरिएंट की वजह से कोरोनावायरस से संक्रमित हुए। नेपाल और भारत के बीच 1,800 किलोमीटर लंबी सीमा रेखा है। हजारों लोग प्रतिदिन एक देश से दूसरे देश में आते-जाते हैं। भारत में हाल के दिनों में 1 दिन में संक्रमण की दर 2 लाख 27 हजार से ज्यादा तक पहुंच गई है।
महामारी विज्ञानी और रोग नियंत्रण के पूर्व निदेशक बाबूराम मरासिनी ने डॉयचे वेले को बताया कि दिसंबर महीने में आयोजित राजनीतिक सम्मेलनों की वजह से डेल्टा और ओमिक्रॉन दोनों वैरिएंट के मामले बढ़े।
स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं स्वास्थ्यकर्मी
दुनिया के अन्य देशों की तरह, नेपाल में भी ओमिक्रॉन वैरिएंट की वजह से स्वास्थ्य देखभाल से जुड़ी सेवाओं पर असर पड़ा है। डॉक्टर और अन्य स्वास्थ्यकर्मी भी कोरोना की चपेट में आ रहे हैं। काठमांडू में पांच सबसे बड़े सरकारी अस्पताल के 600 से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मी हाल के हफ्तों में संक्रमित हुए हैं। डॉक्टरों ने एक बार फिर से आगाह किया है कि कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों की वजह से इन अस्पतालों की सेवा प्रभावित हो सकती है। स्थानीय मीडिया में यह भी बताया गया है कि दवा की दुकानों में बुखार के लिए इस्तेमाल होने वाली पैरासिटामोल जैसी दवाओं की भी कमी है।
मरासिनी ने चेतावनी दी है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट का लहर पिछले साल के मई के डेल्टा वैरिएंट की तरह खतरनाक साबित हो सकता है। देश की स्वास्थ्य प्रणाली प्रभावित हो सकती है। 2021 में नेपाल में 1 दिन में संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या 9,000 तक पहुंच गई थी और मौतों की संख्या 200 तक। ऑक्सीजन, अस्पताल में बेड और वेंटिलेटर की कमी सहित तुरंत इलाज न मिलने की वजह से सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी।
टीका लगवाना हुआ अनिवार्य
नई लहर को देखते हुए नेपाल की सरकार ने टीकाकरण को लेकर नया आदेश जारी किया है। इसमें कहा गया है कि 21 जनवरी से लोगों को सार्वजनिक कार्यक्रमों, रेस्तरां, होटल में जाने या हवाई जहाज से यात्रा करने से पहले यह साबित करना होगा कि उन्होंने टीका लगवा लिया है। अधिकारियों ने जनवरी के अंत तक सिनेमाघर, डांस बार, धार्मिक स्थल, सार्वजनिक पार्क और जिम जैसी जगहों को भी बंद कर दिया है। दुकानों में एक समय में 25 से ज्यादा लोगों को इकट्ठा होने की अनुमति नहीं है।
सरकार को महामारी से निपटने, टीकाकरण की धीमी रफ्तार और सीमा पर जांच को लेकर पर्याप्त चौकसी न बरतने के लिए तीखी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक 18 जनवरी तक नेपाल के 3 करोड़ लोगों में से महज 40 फीसदी लोगों का ही पूरी तरह टीकाकरण हुआ है जबकि 53 फीसदी को अब तक एक खुराक लगी है। मरासिनी ने वैक्सीन-कार्ड नियम के आदेश पर सवाल उठाया है, क्योंकि अधिकांश आबादी को अभी तक पूरी तरह से टीका नहीं लगाया गया है। वह कहते हैं कि अगर हम अपनी आबादी के दो-तिहाई लोगों का टीकाकरण कर चुके होते तो ऐसा नियम लागू कर सकते थे। मौजूदा हालात में ऐसे नियमों का पालन करना मुश्किल है।
टीके की खुराक 'गायब'
नेपाल ने जनवरी 2021 की शुरुआत में अपनी आबादी को टीका लगाना शुरू कर दिया था, लेकिन कुछ ही समय बाद टीकाकरण अभियान ठप हो गया, क्योंकि टीके की पर्याप्त खुराक या सीरिंज नहीं थे। नेपाल के स्वास्थ्य सचिव रोशन पोखरेल ने डीडब्ल्यू को बताया कि आपूर्ति की कमी के कारण शुरुआती टीकाकरण अभियान में बाधा आई थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है।
हालांकि, पोखरेल ने मंगलवार को एक संसदीय पैनल को बताया कि सरकारी स्टॉक से टीके की लगभग 25 लाख खुराक का हिसाब नहीं दिया जा सकता है। साथ ही, उन्होंने यह भी संकेत दिया कि इस खुराक का अवैध रूप से इस्तेमाल किया गया हो। उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया कि खुराक तक पहुंच रखने वाले लोगों द्वारा टीके का दुरुपयोग एक समस्या बन गया है। सरकार ने अभी तक टीके के दुरुपयोग की जांच नहीं की है। टीके की ये ज्यादातर खुराक देश ने खुद खरीदी थीं या अंतरराष्ट्रीय टीकाकरण अभियान के दौरान दान के तौर पर मिले थे।
एक ओर जहां देश की करीब आधी आबादी को अभी तक टीके की एक भी खुराक नहीं लगी है, वहीं दूसरी ओर पहुंच वाले लोगों ने बूस्टर शॉट भी ले लिए हैं। सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े कर्मचारियों, सफाईकर्मियों, सरकारी अधिकारियों सहित फ्रंटलाइन वर्कर को बूस्टर शॉट देना शुरू कर दिया है। हालांकि स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इन खुराकों को उन लोगों के लिए प्राथमिकता दी जानी चाहिए जिनका अभी तक टीकाकरण नहीं हुआ है।