- खुशबू मेस्सुरानी
कोरोना काल में हर माता-पिता, छात्र और शिक्षकों के लिए चिंतित करने वाली बात थी कि छात्र अपना अध्ययन कैसे करेंगे? वहीं शिक्षकों के लिए भी समस्या थी कि छात्रों को अध्ययन कैसे कराया जाए? वहीं दूसरी ओर स्कूल और कॉलेज की परीक्षाएं कैसे आयोजित की जाएं, जैसे कई सवाल हमारे सामने थे। ऐसे मुश्किल समय में ऑनलाइन शिक्षा या ई-लर्निंग हमारे बीच मददगार बनकर उभरी है, जिसने अध्ययन को आसान बना दिया है।
ऐसे समय में जहां सभी विद्यालय और कॉलेज बंद हैं। इस बीच सभी कक्षाओं की पढ़ाई ऑनलाइन से ही संभव हो पाई है। क्योंकि महामारी कोरोनावायरस के दौरान लगे लॉकडाउन में अध्ययन करना कठिन हो रहा था। जिससे हर माता-पिता, छात्र और शिक्षक परेशान थे। हर किसी के मन में कई सवाल थे कि छात्र कैसे अध्ययन करेंगे? स्कूल अंतिम परीक्षा कैसे आयोजित करेगा? ऐसे में हर सवाल का एक ही जवाब था ऑनलाइन यानी ऑनलाइन शिक्षा या ई-लर्निंग। यह अपने घर में ही बैठकर इंटरनेट के जरिए पढ़ाई करने का एक आसान तरीका है।
ऑनलाइन शिक्षा गूगल क्लास रूम, स्काइप और ज़ूम जैसे प्लेटफार्मों पर होती है, जहां शिक्षक कक्षाएं संचालित करते हैं। हालांकि कोरोन महामारी के कारण पाठ्यक्रम को कम कर दिया गया है और नोट्स/ अध्ययन सामग्री पीडीएफ और डॉक्स के रूप में साझा की जाती हैं।ऑनलाइन शिक्षा के दौरान शुरू में माता-पिता के लिए ई-असाइनमेंट के साथ मिलना, किताबों के बिना कोर्स पर नज़र रखना, मोबाइल और कम्प्यूटर में अत्यधिक समय के खर्च होने का डर था।
बाद में तकनीक के साथ अभ्यस्त होने में समय लगा, लेकिन परिणाम बेहतर और प्रशंसनीय निकले। ऑनलाइन शिक्षा केवल शाब्दिक ज्ञान तक ही सीमित नहीं सीमित है, यह शिक्षार्थी के कौशल, ज्ञान, व्यवहार और रणनीतिक उद्देश्यों के साथ बंधा हुआ है। कक्षा में प्रस्तुत दृश्यों और तस्वीरों की मदद से शिक्षार्थी को अध्ययन करने में रुचि बढ़ती है।
भारत में हालांकि ग्रामीण क्षेत्र के लोग अभी भी ऑनलाइन शिक्षा से परिचित होने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। वे खराब नेटवर्क, इंटरनेट तक सीमित पहुंच और घर पर कोई भी एंड्रायड फोन न होने के कारण सीखने की प्रक्रिया में रुकावट महसूस कर रहे हैं। ऐसे में ऑनलाइन शिक्षा के दौरान हरियाणा के ग्राम झमरी में सभी छात्र अपनी पाठ्य पुस्तकों को खोलकर बैठते हैं, जहां शिक्षक एक गाड़ी में लगे लाउडस्पीकर का उपयोग करके व्याख्यान देते हैं।इस बीच सामाजिक दूरी को ध्यान में रखते हुए शिक्षक अपनी गाड़ी को कुछ दूरी पर पार्क करते हैं और छात्रों को अध्ययन कराते हैं।
इतना ही नहीं शिक्षकों ने उन माता-पिता के लिए आर्थिक मदद की पहल की है, जो इस खर्च को वहन नहीं कर सकते, ताकि उनके बच्चों की पढ़ाई न रूके। इसके अलावा शिक्षक भी माता-पिता के किसी एक मोबाइल में नोट्स/ असाइनमेंट भेजते हैं, ताकि 5-10 छात्र नोट्स ले सकें, दिए गए असाइनमेंट को पूरा कर सकें और उस मोबाइल के माध्यम से वापस भेज सकें। एक स्थान पर इकट्ठा होने से बचने के लिए समय का प्रबंधन किया जाता है।
आज के इस दौर में ऑनलाइन शिक्षा या ई-लर्निंग ने प्रौद्योगिकी प्रगति के बारे में सभी को जागरूक किया है और हमें किसी भी परिस्थिति से बचने के लिए तैयार किया है। ऑनलाइन शिक्षा की वजह से ट्रैकिंग अटेंडेंस, असाइनमेंट, नोट्स और नियमित ऑनलाइन टेस्ट करना संभव हो पाया है।
यह सुनिश्चित करने के लिए कई सरकारी नीतियां और धन जुटाए गए हैं कि गरीब छात्रों को किसी भी कीमत पर उनकी शिक्षा का नुकसान न हो। ऑनलाइन शिक्षा के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि आप आराम से और तनाव रहित होकर अध्ययन कर सकते हैं। आपको केवल सीखने के लिए जुनून की जरूरत है।