नए वर्ष में होमलोन होगा सस्ता
नया साल कर्ज लेने वालों के लिए शुभ संदेश लेकर आया है। गृहऋण और उपभोक्ता ऋण सस्ते होने का अनुमान है, लेकिन ईंधन और खाद्यान्न की बढ़ती कीमतें इस खुशी को काफूर कर देंगी। बैंकर्स और अर्थशास्त्रियों के अनुसार वर्ष 2008 में इन कर्जों पर ब्याज दरें कम होने की आशा है। रिजर्व बैंक ने बीते वर्ष में भी आर्थिक वृद्धि दर को प्रभावित किए बिना मुद्रास्फीति पर लगाम थामे रखी। रिजर्व बैंक का उद्देश्य है कि मुद्रास्फीति की दर तीन प्रतिशत के आसपास रहे।यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंध निदेशक एमवी नायर के अनुसार अगर ऐसा होता है, तो ब्याज दरों का घटना भी लाजमी है। अप्रैल से प्रारंभ वित्त वर्ष में ब्याज दरों में आधा प्रतिशत की कमी का अनुमान लगाया जा रहा है। कुछ अन्य विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सरकार ने तेल कंपनियों को पेट्रोलियम मूल्यों में बढ़ोतरी की इजाजत दी, तो इसका असर मुद्रास्फीति पर होगा। खाद्यान्न और खाद्य तेलों के भाव पहले ही ऊँचे चल रहे हैं। अगर पेट्रोल-डीजल महँगा हुआ तो आम उपभोक्ता वस्तुओं पर असर पड़ेगा। ऐसी स्थिति में रिजर्व बैंक गत वर्ष की तरह इस वर्ष भी अपने सख्त मौद्रिक उपाय जारी रख सकता है। बैंकरों का कहना है कि पिछले वर्ष भर रिजर्व बैंक की कड़ाई से हमारी मार्जिन प्रभावित रही। अब बैंकों ने जमा पर दर घटाना शुरू कर दिया है।