Mahakumbh 2025 : आचमन तो छोड़िए, नहाने योग्य भी नहीं संगम का पानी, CPCB की रिपोर्ट से मचा हड़कंप
सीपीसीबी की रिपोर्ट में बताया गया है कि महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में मौजूद गंगा बैक्टीरिया से प्रदूषित है। इस बैक्टीरिया का नाम फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया है, जो आमतौर पर इंसानों व जानवरों के मल और वहां से सीवेज के पानी में मिलता है।
प्रयागराज महाकुंभ में अब तक 54 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। इस बीच केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की एक रिपोर्ट के माध्यम से राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को सूचित किया गया कि प्रयागराज महाकुंभ मेला 2025 के दौरान विभिन्न स्थानों पर अपशिष्ट जल का स्तर स्नान के लिए प्राथमिक जल गुणवत्ता के अनुरूप नहीं है। सीपीसीबी के अनुसार, अपशिष्ट जल संदूषण के सूचक फेकल कोलीफॉर्म की स्वीकार्य सीमा 2,500 यूनिट प्रति 100 एमएल है।
3 फरवरी को दायर की गई थी रिपोर्ट : एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की पीठ प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों में अपशिष्ट जल के बहाव को रोकने के मुद्दे पर सुनवाई कर रही थी। पीठ ने कहा कि सीपीसीबी ने 3 फरवरी को एक रिपोर्ट दाखिल की थी, जिसमें कुछ गैर-अनुपालन या उल्लंघनों की ओर इशारा किया गया।
क्या है फेकल कोलीफॉर्म : टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक सीपीसीबी की रिपोर्ट में बताया गया है कि महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में मौजूद गंगा बैक्टीरिया से प्रदूषित है। इस बैक्टीरिया का नाम फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया है, जो आमतौर पर इंसानों व जानवरों के मल और वहां से सीवेज के पानी में मिलता है। यह पानी की क्वालिटी को बिगाड़ देता है और शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
क्या है रिपोर्ट में : रिपोर्ट में कहा गया है कि नदी के पानी की गुणवत्ता विभिन्न अवसरों पर सभी निगरानी स्थानों पर अपशिष्ट जल फेकल कोलीफॉर्म के संबंध में स्नान के लिए प्राथमिक जल गुणवत्ता के अनुरूप नहीं थी। प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान बड़ी संख्या में लोग नदी में स्नान करते हैं, जिसमें अपशिष्ट जल की सांद्रता में वृद्धि होती है।
नहीं किया गया एनजीटी के नियमों का पालन : पीठ ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने समग्र कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने के एनजीटी के पूर्व के निर्देश का अनुपालन नहीं किया है। एनजीटी ने कहा कि यूपीपीसीबी ने केवल कुछ जल परीक्षण रिपोर्टों के साथ एक पत्र दाखिल किया। पीठ ने कहा कि यूपीपीसीबी की केंद्रीय प्रयोगशाला के प्रभारी द्वारा भेजे गए 28 जनवरी के पत्र के साथ संलग्न दस्तावेजों की समीक्षा करने पर भी यह पता चलता है कि विभिन्न स्थानों पर अपशिष्ट जल का उच्च स्तर पाया गया है।
1 दिन का समय मांगा : एनजीटी ने उत्तरप्रदेश राज्य के वकील को रिपोर्ट पर गौर करने और जवाब दाखिल करने के लिए एक दिन का समय दिया। पीठ ने कहा कि सदस्य सचिव, यूपीपीसीबी और प्रयागराज में गंगा नदी में पानी की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए जिम्मेदार संबंधित राज्य प्राधिकारी को 19 फरवरी को होने वाली अगली सुनवाई में डिजिटल तरीके से उपस्थित होने का निर्देश दिया जाता है। इनपुट भाषा
Edited by : Sudhir Sharma