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Last Modified: नई दिल्ली , बुधवार, 19 फ़रवरी 2025 (00:30 IST)

तो क्या थी भगदड़ की वजह? RPF की जांच रिपोर्ट को रेल मंत्रालय ने बताया भ्रामक

तो क्या थी भगदड़ की वजह? RPF की जांच रिपोर्ट को रेल मंत्रालय ने बताया भ्रामक - railway ministry termed rpf investigation report regarding stampede at-new-delhi-railway station as wrong and misleading
रेल मंत्रालय ने मंगलवार को उन मीडिया खबरों को ‘गलत और भ्रामक’ बताते हुए खारिज कर दिया, जिनमें रेलवे सुरक्षा बल (RPF) की जांच का हवाला देते हुए बताया गया कि 15 फरवरी को नई दिल्ली स्टेशन पर भगदड़ की वजह ‘ट्रेन का प्लेटफॉर्म आखिरी समय में बदलने की उदघोषणा’ थी।

मंत्रालय ने कहा कि आरपीएफ ने घटना की कोई जांच नहीं की है, बल्कि उत्तरी रेलवे द्वारा गठित एक उच्च स्तरीय समिति द्वारा जांच की जा रही है। मंगलवार को एक बयान में मंत्रालय ने कहा कि कुछ मीडिया खबरों में दावा किया गया कि आरपीएफ ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ की ‘जांच’ की है और कहा कि ट्रेन का प्लेटफॉर्म आखिरी समय में बदलने की उदघोषणा के कारण भगदड़ हुई।
मंत्रालय ने कहा कि ये खबर ‘गलत और भ्रामक’ हैं। साथ ही उसने कहा कि जांच उत्तर रेलवे द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति द्वारा की जा रही है। इसने कहा, ‘‘समिति द्वारा 100 से अधिक लोगों से बयान लिए जा रहे हैं। सभी बयान दर्ज करने के बाद समिति घटनाओं की कड़ियों को जोड़ने सवाल-जवाब सहित गहन जांच करेगी।’’ उसने कहा कि समिति द्वारा जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी।’’
 
मीडिया संस्थानों से उच्च स्तरीय समिति की अंतिम रिपोर्ट का इंतजार करने का आग्रह करते हुए मंत्रालय ने कहा, ‘‘अगर कोई ऐसी जानकारी है जो उच्च स्तरीय समिति को उसकी जांच प्रक्रिया में मदद कर सकती है, तो कृपया इसे सीधे समिति के सदस्यों के साथ साझा करें। 
 
स्वतंत्र जांच की मांग : नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 15 फरवरी को मची भगदड़ के कारण के बारे में प्रत्यक्षदर्शियों, रेलवे सुरक्षा बल और मंत्रालय के अधिकारियों के विरोधाभासी दावे के बीच सुरक्षा एवं कानूनी विशेषज्ञों ने इस त्रासदी की वजह का पता लगाने के लिए मंगलवार को स्वतंत्र जांच की मांग की।
 
सुरक्षा एवं कानूनी विशेषज्ञों ने कहा कि तथ्य को सामने लाने, जवाबदेही तय करने और सुधारात्मक कदम उठाने के लिए स्वतंत्र जांच की आवश्यकता है। इस घटना के शीघ्र बाद रेल मंत्रालय ने जांच के लिए उत्तर रेलवे के वाणिज्यिक और सुरक्षा विभाग के उच्च प्रशासनिक अधिकारियों की दो सदस्यीय समिति नियुक्त की थी। इस घटना में 18 लोगों की जान चली गई थी। हालांकि, रेलवे सुरक्षा और कानूनी विशेषज्ञों का मानना ​​है कि विरोधाभासी बयानों के मद्देनजर तथ्य सामने लाने के लिए स्वतंत्र जांच आवश्यक है।
 
रेल मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के एक वर्ग ने कहा है कि एक घोषणा के बाद यात्री 'प्रयागराज एक्सप्रेस' और 'प्रयागराज स्पेशल' के बीच भ्रमित हो गए तथा अपना प्लेटफॉर्म बदलने के लिए दौड़ पड़े, जिसके कारण भारी भीड़ हो गई और भगदड़ मच गई। कई लोगों ने तर्क दिया कि मंत्रालय ने भगदड़ के लिए यात्रियों को दोषी ठहराने का प्रयास किया ताकि रेल प्रशासन की छवि खराब न हो।
 
दूसरी ओर, रेलवे पुलिस बल के निरीक्षक स्तर के एक अधिकारी ने मंत्रालय के बयान का खंडन करते हुए वरिष्ठ मंडल सुरक्षा अधिकारी (सीनियर डीएसओ) को लिखे पत्र में कहा कि प्रयागराज विशेष ट्रेन के लिए प्लेटफॉर्म का नंबर 12 से बदलकर 16 करने की घोषणा की गई थी, जिसके कारण भगदड़ मची।
 
घटना के दिन से ही आरपीएफ सूत्र इस तरह का दावा करते रहे हैं और उन्होंने इस दुखद घटना के लिए प्लेटफार्म परिवर्तन की घोषणा को जिम्मेदार ठहराया है। घटना के तुरंत बाद कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने भी विभिन्न मीडियाकर्मियों के समक्ष इसी तरह के बयान दिए थे।
 
दिल्ली पुलिस के सूत्रों और रेल मंत्रालय के अधिकारियों ने भी विरोधाभासी बयान दिए हैं। उदाहरण के लिए मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि एक विशेष ट्रेन लगभग आठ बजकर 50 मिनट पर प्रस्थान करने वाली थी और तीन अन्य को रात 10 बजे के बाद संचालित किया जाना था। दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने कहा कि प्रयागराज जाने वाली चार ट्रेनों में से तीन देरी से चल रही थीं, जिससे अप्रत्याशित भीड़भाड़ हो गई।
 
रेल मंत्रालय ने 16 फरवरी को एक बयान जारी किया, जो अब भी पत्र सूचना कार्यालय की वेबसाइट पर उपलब्ध है। उसमें कहा गया कि भगदड़ एक अफवाह के कारण हुई थी।
 
प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि भविष्य में किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए, भारतीय रेलवे मीडिया के माध्यम से आम जनता से अपील करता है कि वे अफवाहों का शिकार न हों, जैसा कि कल नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना में देखा गया।
 
विशेषज्ञों ने कहा कि विरोधाभासी बयान एक गंभीर मुद्दा है और इसके लिए कठोर कार्रवाई के साथ-साथ सुधारात्मक उपायों की भी आवश्यकता है, क्योंकि किसी की लापरवाही के कारण 18 लोगों की मौत हो गई।
 
दिल्ली उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आर एस सोढ़ी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘जो भी घटना की जांच कर रहा है, उसे निष्पक्ष और न्यायसंगत होना चाहिए। हालांकि, मेरा मानना ​​है कि साक्ष्यों और परिणामों के आकलन की विश्वसनीयता के लिए एक स्वतंत्र निकाय को जांच का जिम्मा सौंपा जा सकता है।’’
 
वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने ‘पीटीआई  से कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा जांच का आदेश दे सकता है क्योंकि सभी सुरक्षा एजेंसियां ​​सरकार के नियंत्रण में हैं, इसलिए आप उनसे निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं कर सकते।’’
 
रेलवे सुरक्षा के विशेषज्ञों ने भी इसी प्रकार का विचार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि ‘न्याय न केवल किया जाना चाहिए, बल्कि यह भी दिखना चाहिए कि न्याय किया जा रहा है।’ रेलवे सुरक्षा के एक सेवानिवृत्त आयुक्त (सीआरएस) ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘‘यदि दो सदस्यीय समिति साक्ष्यों का निष्पक्ष मूल्यांकन करने के बाद अपनी तथ्य-खोजी रिपोर्ट में रेल मंत्रालय के अधिकारियों द्वारा व्यक्त किए गए विचारों से सहमत होती है, तो इसकी विश्वसनीयता संदेह के घेरे में रहेगी। मंत्रालय के अधिकारियों ने दो ट्रेनों के नामों को लेकर अपने स्वयं के भ्रम के कारण यात्रियों पर दोष मढ़ने का प्रयास किया है।’’
 
उन्होंने कहा कि सीआरएस इसकी जांच नहीं कर सकता क्योंकि यह रेल दुर्घटना नहीं है, लेकिन यदि कोई अदालत आदेश जारी करती है तो वह ऐसा कर सकता है। यह किसी भी अन्य निकाय की तुलना में अधिक सक्षम है क्योंकि यह विमानन मंत्रालय के अंतर्गत आता है और रेलवे के कामकाज को समझता है।’’
 
रेल मंत्रालय ने 18 फरवरी को जारी एक बयान में उन मीडिया रिपोर्टों को ‘गलत और भ्रामक’ बताते हुए खारिज कर दिया, जिनमें कहा गया था कि आरपीएफ की जांच में पाया गया है कि भगदड़ ट्रेन के लिए प्लेटफॉर्म बदलने की आखिरी मिनट की घोषणा के कारण मची थी। मंत्रालय ने कहा कि आरपीएफ ने घटना की कोई जांच नहीं की है, बल्कि उत्तर रेलवे द्वारा गठित एक उच्च स्तरीय समिति द्वारा जांच की जा रही है। इनपुट भाषा