GIS: मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (Dr. Mohan Yadav) की अध्यक्षता में आज मंगलवार को यहां भोपाल में मंत्रिपरिषद की संपन्न हुई बैठक में संबंधित निजी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए 'एकीकृत टाउनशिप नीति 2025' लागू किए जाने की स्वीकृति दी गई। इससे राज्य में आर्थिक गतिविधियों को बढावा मिलेगा एवं रोजगार के अवसर सृजित होंगे और राज्य की जी.डी.पी. में वृद्धि होगी।
निर्णय अनुसार एकीकृत टाउनशिप को विकास के उन क्षेत्रों में लागू किया जाएगा जहां इंफ्रास्ट्रक्चर सुविधाएं उपलब्ध हैं। इस नीति में 5 लाख से कम आबादी वाले शहरों के लिए भूमि की न्यूनतम अर्हता 10 हैक्टेयर और 5 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों के लिए भूमि की न्यूनतम अर्हता 20 से 40 हैक्टेयर होगी। डेवलपर को इस नीति में सक्षम प्राधिकारी के साथ पंजीयन कराना आवश्यक होगा। टाउनशिप प्रस्ताव अनुमोदन के लिए राज्य स्तर पर प्रमुख सचिव एवं जिला स्तर पर कलेक्टर की अध्यक्षता में साधिकार समिति गठित की जाएगी। टाउनशिप नीति के क्रियान्वयन के लिए नोडल एजेंसी संचालनालय, नगर तथा ग्राम निवेश होगी।
टाउनशिप नीति में राज्य सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण, बाह्य विकास कार्य, समय पर समस्त अनुमतियां प्रदाय कराना, टीडीआर का लाभ, कृषि भूमि की अधिकतम सीमा में छूट, स्टॉम्प ड्यूटी पर रियायत, कॉलोनी नियमों में छूट, विकास योजना में संशोधन के लिए प्रक्रिया में आसानी, ग्रीन एफएआर, ऊर्जा के गैर-परंपरागत उपयोग के लिए एफएआर, अतिरिक्त ईडब्ल्यूएस/ एलआईजी/ किफायती आवास इकाइयों के लिए एफएआर तथा अंगीकृत विकास योजना में प्रस्तावित भूमि उपयोग में अधिनियम 1973 की धारा-23 के अंतर्गत उपांतरण के लिए विभाग स्तर पर साधिकार समिति को अधिकृत किया गया है। नीति से प्रदेश में व्यवस्थित शहरीकरण को बढ़ावा मिलेगा।
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वर्तमान में डेवलपर द्वारा कॉलोनियों का विकास छोटी-छोटी भूमियों पर किया जा रहा है जिससे नगर स्तर की अधोसंरचनाएं विकसित नहीं हो पाती है। प्रचलित नियमों में कॉलोनियों के विकास के लिए नियमों में न्यूनतम क्षेत्र का बंधन नहीं है इसके परिणामस्वरूप विकास के लिए नगरीय भूमि की मांग और आपूर्ति में तेजी से उतार-चढ़ाव होता है जिससे बुनियादी ढांचे और किफायती आवास के विकास में होने वाली देरी को रोकने के लिए 'एकीकृत टाउनशिप नीति' लागू की जा रही है।
मंत्रिपरिषद् द्वारा सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग के संवर्धन के लिए नवीन मध्यप्रदेश एमएसएमई विकास नीति-2025 का अनुमोदन दिया गया। निर्णय अनुसार औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग की म.प्र. लॉजिस्टिक नीति-2025 और एक्सपोर्ट पॉलिसी-2025 का लाभ एमएसएमई को प्रदान किया जाएगा। उद्योग संवर्धन नीति-2025 अंतर्गत वर्गीकृत एमएसएमई श्रेणी की मेगा इकाइयों को कस्टमाईज पैकेज प्रदान करने के लिए एमएसएमई विभाग को अधिकृत किया गया है।
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निवेश पर प्रोत्साहन के लिए 40 प्रतिशत तक की सहायता, नए उद्योगों में नवकरणीय ऊर्जा को प्रोत्साहन, अनुसूचित जाति/जनजाति, महिला उद्यमी इकाई को 48 प्रतिशत की सहायता के साथ पिछड़े विकासखण्डों में 1.3 गुना सहायता दी जाएगी। निर्यात प्रोत्साहन के रूप मे निर्यातक इकाई को निवेश पर 52 प्रतिशत तक की सहायता, निर्यात के लिए माल ढुलाई पर अधिकतम 2 करोड़ रुपए की सहायता और निर्यात के लिए प्रमाण-पत्र पर 50 लाख रुपए की सहायता दी जाएगी।
नई नीति में मध्यम इकाई को 100 से अधिक रोजगार देने पर डेढ़ गुना अनुदान, रोजगार सृजन सेक्टर में प्रति कर्मचारी 5 हजार रुपए प्रति माह 5 वर्ष के लिए एवं कौशल विकास प्रशिक्षण के लिए 13 हजार रुपए की सहायता दी जाएंगी। नवीन क्षेत्र जैसे एमएसएमई एक्सचेंज, लीन इंजीनियरिंग, टेस्टिंग लैब और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के लिए सहायता दी जाएगी। नीति में पहली बार सेवा क्षेत्र में लॉजिस्टिक, रिसाईकलिंग, मोटर यान स्क्रेपिंग और आरएंडडी को भी शामिल किया गया है। मेडिकल डिवाइस और फुटवियर क्षेत्र के लिए पहली बार विशेष पैकेज दिया जाएगा।
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मंत्रिपरिषद द्वारा मध्यप्रदेश एमएसएमई को औद्योगिक भूमि, भवन आवंटन एवं प्रबंधन नियम-2021 मे संशोधन का अनुमोदन दिया गया। निर्णय अनुसार विकसित औद्योगिक भू-खण्डों एवं फ्लैटेड इण्डस्ट्रियल एरिया/कॉम्पलेक्स का आवंटन 'ई-बिडिंग' पद्धति से तथा अविकसित भूमि का आवंटन ऑन लाईन प्रक्रिया आधारित पारदर्शी तरीके से आवेदन प्राप्त कर किया जाएगा। साथ ही अधिक सरल एवं पारदर्शी प्रक्रिया से गंभीर निवेशक को त्वरित गति से आवंटन किया जाएगा। औद्योगिक क्षेत्रों का संधारण उद्योग संघ अथवा अन्य एजेंसी से किया जाएगा।
मंत्रि-परिषद द्वारा प्रदेश में स्टार्टअप को प्रोत्साहित करने के लिए मध्यप्रदेश स्टार्टअप नीति एवं कार्यान्वयन योजना-2025 का अनुमोदन किया गया। नीति अन्तर्गत स्टार्टअप एवं इन्क्यूबेटर्स को वित्तीय एवं गैर वित्तीय सुविधा, सहायता एवं फेसिलिटेशन का प्रावधान किया गया है। प्रदेश में उपयुक्त स्थान पर एक मेगा इन्क्युबेशन सेंटर का विकास एवं संचालन, राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की अग्रणी संस्थाओं के साथ सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) अंतर्गत स्थापित कर इसके सैटेलाइट सेंटर प्रदेश के अन्य स्थानों में भी स्थापित किए जाएंगे।
मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना अंतर्गत स्टार्टअप्स को बैंकों के माध्यम से कोलेप्टल-फ्री ऋण उपलब्ध कराकर उन्हें केन्द्र सरकार की 'स्टार्टअप्स के लिए ऋण गारंटी स्कीम अंतर्गत कवरेज तथा प्रचलित दर पर देय गारंटी शुल्क की प्रतिपूर्ति (अधिकतम 05 वर्षों तक) एवं वितरित ऋण पर 05 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज अनुदान प्रतिपूर्ति (अधिकतम 05 वर्षों तक) की जाएगी। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में प्रति स्टार्टअप 10.2 रोजगार निर्माण हो रहा है। नीति अंतर्गत 10 हजार स्टार्टअप की स्थापना की जाना है। इस तरह 1 लाख 2 हजार रोज़गार सृजित हो सकेंगे।
मध्यप्रदेश स्टार्टअप पॉलिसी-2025 की प्रमुख विशेषताओं में स्टार्टअप के जीवन चक्र के प्रत्येक चरणों (आईडिएशन, वैलिडेशन, अली स्टेज, ग्रोथ) में नीति के माध्यम से सहायता, प्रत्येक स्टार्टअप को 12 महीने तक की अवधि के लिए आन्त्रप्रेन्योर-इन-रेसिडेंस (ईआईआर) के रूप में 10 हजार रुपए प्रति माह की वितीय सहायता, 100 करोड़ रुपए का स्टार्टअप कैपिटल फंड और प्रति स्टार्टअप अधिकतम 30 लाख रुपए तक का सीड अनुदान, विद्युत शुल्क में छूट, रोजगार सृजन प्रोत्साहन और विद्युत टैरिफ में प्रतिपूर्ति सहायता दी जाएगी।
मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना में 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान और ऋण गारंटी शुल्क प्रतिपूर्ति, डिजिटल मार्केटिंग एवं आयोजन सहभागिता और सहायता के साथ वर्किंग स्पेस और नवाचार-आधारित क्षेत्रीय क्लस्टर स्थापित किए जाएंगे। एक्सेलेरेशन और हैकाथॉन प्रोग्राम से नवाचार को उद्यमों में बदलने का प्रयास किया जाएगा। मध्यप्रदेश स्टार्टअप एडवाइजरी काउंसिल में स्टार्टअप उद्योग जगत के अग्रणी और वैश्विक निवेशकों का एक समूह स्टार्टअप्स को दीर्घकालिक स्थिरता प्रदान करेगा।
मध्यप्रदेश स्टार्टअप पॉलिसी और कार्यान्वयन योजना-2025 के शुभारंभ के साथ आर्थिक सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता को नई गति मिलेगी। यह नीति ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट, भोपाल में राज्य को भारत के अगले बड़े स्टार्टअप हब और वैश्विक नवाचार पॉवर हाउस के रूप में प्रदर्शित करेगी। यह नीति प्रधानमंत्री श्री मोदी के विकसित भारत-2047 के सपने को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मध्यप्रदेश नई स्टार्टअप नीति से प्रगति, समृद्धि और असीम संभावनाओं का एक नया अध्याय लिख रहा है।
मंत्रिपरिषद द्वारा मध्यप्रदेश में नए वायु मार्गों का विकास करने और देश के अन्य हिस्सों तथा दुनिया के साथ राज्य के प्रमुख पर्यटन एवं धार्मिक स्थानों को जोड़कर पर्यटन/धार्मिक एवं औद्योगिक क्षेत्रों की पूर्ण क्षमता का उपयोग करने के उद्देश्य से केन्द्र सरकार की उड़ान (राष्ट्रीय नागर विमानन प्रोत्साहन नीति) योजना के समन्वय से मध्यप्रदेश सिविल एविएशन पॉलिसी-2025 का अनुमोदन दिया गया हैं। इससे व्यापार और रोजगार के अवसरों के सृजन को बढ़ावा मिलेगा।
मध्यप्रदेश राज्य भौगोलिक दृष्टि से बड़ा है, देश के मध्य में स्थित होने से यहां औद्योगिक, पर्यटन धार्मिक क्षेत्र में अपार संभावनाएं है। नीति के तहत राज्य के सामाजिक, आर्थिक विकास को गति देने के लिए आधुनिक, किफायती, सुलभ, सुरक्षित एवं निवेश-अनुकूल विमानन इको सिस्टम विकसित किया जाएगा।
विमानन नीति के माध्यम से भविष्य में 3 एमआरओ हब विकसित करने का प्रयास किया जाएगा। साथ ही 75 कि.मी. के दायरे में एक हवाई पट्टी और 150 कि.मी के दायरे में एक हवाई अड्डा विकसित किया जाएगा एवं प्रत्येक तहसील स्तर पर 45 कि.मी. के दायरे में कम से कम एक पक्का हेलीपेड विकसित किया जाएगा। राज्य की पर्यटन/धार्मिक महत्व के स्थलों को वर्ष 2030 तक मजबूत एवं किफायती दामों में हवाई सम्पर्क से जोड़ा जाएगा।
विभिन्न सहायक विमानन सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए निवेश पर पूंजीगत सब्सिडी का प्रावधान किया जाएगा। प्रदेश में एयर क्रॉफ्ट की रात्रिकालीन पार्किंग करने वाले एयर क्रॉफ्ट पर एटीएफ पर वेट 1 प्रतिशत की दर से प्रभावी किया जाएगा। प्रदेश में कैपेसिटी बिल्डिंग एवं कौशल विकास के लिए, उड़ान प्रशिक्षण संस्थाओं की स्थापना के लिए, पूंजीगत निवेश राशि की 40 प्रतिशत तक निवेश प्रोत्साहन सहायता का प्रावधान किया जाएगा।
विमानन क्षेत्र को प्रोत्साहन देकर प्रदेश में कृषि उत्पादों के निर्यात, अन्य क्षरण योग्य वस्तुओं (पेरिशेवल वस्तुओं) के निर्यात, विनिर्माण और ई-कॉमर्स कारोबार को बढ़ावा देने के साथ, कुशल मानव संसाधन विकसित करने एवं प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष और रोजगार के अवसर सृजित करने में सहायता मिलेगीं। राष्ट्रीय नागर विमानन प्रोत्साहन नीति-2016 की परिकल्पना को साकार करने के लिए मध्यपदेश नागर विमानन नीति-2025 एक पहल है।
मंत्रिपरिषद द्वारा इलेक्ट्रिक वाहन को आमजन के लिए भविष्य का मुख्य परिवहन का साधन बनाने के उद्देश्य से मध्यप्रदेश इलेक्ट्रिक वाहन नीति-2025 की स्वीकृति दी गई है। नीति अंतर्गत 2 पहिया वाहन, 3 पहिया वाहन, इलेक्ट्रिक कार और इलेक्ट्रिक बसों इत्यादि के लिए प्रोत्साहन दिया जाएगा। साथ ही इलेक्ट्रिक वाहनों के चार्जिंग स्टेशन के लिए वित्तीय प्रोत्साहन प्रदाय किया जाएगा। मध्यप्रदेश ईवी प्रमोशन बोर्ड का गठन किया जाएगा।
नीति के उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहन अधोसंरचना एवं सम्बंधित विनिर्माण उद्योगों के लिए मध्यप्रदेश को आकर्षक डेस्टिनेशन के रूप में स्थापित करना, इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग अधोसंरचना का विकास, इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र में कौशल विकास एवं रोजगार से सम्बंधित संभावनाओं को विकसित करने के साथ सरकारी संस्थाओं, निजी क्षेत्र, अनुसंधानकर्ता संस्थानों एवं सामाजिक संसथाओं के मध्य सहकारिता को प्रोत्साहित करना है।
नीति का लक्ष्य भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर और उज्जैन शहरों को मॉडल इलेक्ट्रिक व्हीकल शहर बनाना, इलेक्ट्रिक वाहन को बढावा दिए जाने के लिए इलेक्ट्रिक वाहन रोड मेप तैयार करना, इलेक्ट्रिक वाहन पंजीकरण के लिए लक्ष्य का निर्धारण करना और पॉलिसी अवधि के अंत तक 80 प्रतिशत सरकारी वाहनों को इलेक्ट्रिक करना है।
वित्तीय प्रोत्साहन में वाहन कर एवं पंजीकरण शुल्क में छूट, रेट्रोफिटिंग के लिए प्रोत्साहन, छोटे, मध्यम तथा बड़े चार्जिंग स्टेशनों के बुनियादी ढांचे के लिए प्रोत्साहन और बैटरी स्वैपिंग स्टेशनों के लिए सेवा प्रदाता को प्रोत्साहन दिया जाएगा। इस के अतिरिक्त प्रोत्साहन के रूप में सभी पंजीकृत ईवी को भारत सरकार के दिशा-निर्देश अनुसार ग्रीन नंबर प्लेट जारी की जाएगी। व्यक्तिगत उपयोग वाले ईवी को सफेद अक्षरों वाली हरी नंबर प्लेट, व्यावसायिक उपयोग वाले ईवी को पीले अक्षरों वाली हरी नंबर प्लेट जारी की जाएगी।
ग्रीन जोन, ई-मोबिलिटी जोन अंतर्गत ईवी मॉडल शहरों के भीतर पायलट क्षेत्रों की स्थापना विशेष रूप से इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग के लिए की जाएगी जिसमें निर्दिष्ट पार्किंग क्षेत्र शामिल होंगे। पर्यटक गांव, धार्मिक और पुरातात्विक महत्व के स्थान, प्रौद्योगिकी केंद्र, विशेष आर्थिक क्षेत्र, व्यावसायिक क्षेत्र में ई-मोबिलिटी जोन बनाए जाएंगे।
चार्जिंग अधो-संरचना विकास के कार्यों के तहत राजमार्गों, प्रमुख सड़कों पर प्रत्येक 20 किलोमीटर पर कम से कम एक चार्जिंग स्टेशन बनाया जाएगा। राजमार्गों पर प्रत्येक 100 किलोमीटर पर लंबी दूरी, हेवी ड्यूटी इलेक्ट्रिक वाहन के लिए कम से कम एक फास्ट चार्जिंग स्टेशन (दोनों तरफ), के साथ चिह्नित ईवी मॉडल शहरों में प्रत्येक 1 कि.मी. x 1 कि.मी. ग्रिड में कम से कम एक चार्जिंग स्टेशन और पॉलिसी अवधि के अंत तक सभी पेट्रोल पंपों पर कम से कम एक इलेक्ट्रिक चार्जिंग प्वाइंट विकसित किया जाएगा।
नीति में अनुसंधान एवं विकास, कौशल विकास और रोजगार सृजन के लिए प्रोत्साहन दिया जाएगा। इसमें उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना के लिए एवं आवश्यक अनुसंधान और परीक्षण उपकरणों की खरीद के लिए अधिकतम राशि 2 करोड़ रुपए का एकमुश्त अनुदान किया जाएगा। इलेक्ट्रिक वाहनों के स्टार्टअप के लिए इन्क्यूबेशन केंद्रों की संख्या में वृद्धि की जाएगी। ईवी प्रकरणों से संबंधित सभी निर्णयों, दिशा-निर्देशों एवं आवश्यक समन्वय के लिए मध्यप्रदेश ईवी प्रमोशन बोर्ड का शीर्ष निकाय के रूप में गठन किया जाएगा।
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मंत्रिपरिषद द्वारा मध्यप्रदेश नवकरणीय ऊर्जा नीति-2025 अंतर्गत प्रदेश को जैव ईंधन उत्पादन में अग्रणी बनाने के लिए बॉयो फ्यूल योजना-2025 का अनुमोदन किया गया। योजना अंतर्गत बॉयोफ्यूल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट एवं बायो ऊर्जा संयंत्रों के लिए कई लाभ प्रदान किए गए है। साथ ही साथ इसमें किसान संस्थाओं को कृषि उपकरण के लिए सब्सिडी, बॉयो मास एवं खाद की बिक्री सुनिश्चित करना एवं सप्लाई चैन को विकसित किया जाएगा।
बॉयो फ्यूल उत्पादन सफल स्थापना के लिए भूमि प्राथमिकता पर दी जाएगी। बॉयो मास उत्पादन के लिए सरकारी भूमि के उपयोग की अनुमति कलेक्टर दर के 10% की राशि के वार्षिक शुल्क पर दी जाएगी। बॉयो फ्यूल योजना में मुख्यत बॉयो सीएनजी, बॉयो मास ब्रिकेट एवं पेलेट और बायोडीजल इत्यादि ईधन एवं उत्पादन के सभी पहलू शामिल है, जैसे फीडस्टॉक खेती, उत्पादन तकनीक, वितरण और उपयोग को शामिल किया गया हैं।
योजना अंतर्गत मुख्य प्रोत्साहन के रूप में बॉयो फ्यूल यूनिट को 1200 करोड़ रुपए तक का बुनियादी निवेश प्रोत्साहन के साथ बिजली, पानी, गैस पाइपलाइन, सड़क, जल निकासी, अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली (ईटीपी, एसटीपी, प्रदूषण नियंत्रण उपकरण) इत्यादि के विकास के लिए लिए 50 प्रतिशत प्रोत्साहन अधिकतम 5 करोड़ रुपए तक सहायता दी जाएगी। विद्युत शुल्क एवं ऊर्जा विकास उपकर में दस साल तक छूट दी जाएगी। औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग द्वारा 500 करोड़ रुपए से अधिक के निवेश पर अनुकूलित पैकेज दिया जाएगा। साथ ही आईपीआर एवं क्वालिटी कंट्रोल सहायता का प्रोत्साहन भी दिया जाएगा।
बॉयो फ्यूल योजना राज्य को जैव ईंधन उत्पादन में अग्रणी बनाने में योगदान देगी साथ ही साथ इससे कृषि एवं जैव अपशिष्ट का सही उपयोग होगा एवं हरित ऊर्जा उत्पादित होगीं। बॉयो फ्यूल की ऊर्जा आपूर्ति एवं कार्बन उत्सर्जन घटाने में महत्वपूर्ण भूमिका है। योजना द्वारा प्रदेश अपनी कृषि शक्ति का लाभ उठाकर और नवाचार को बढ़ावा देकर, प्रदेशवासियों के लिए हरित और समृद्ध भविष्य की ओर कदम बढ़ा रहा है।
मध्यप्रदेश में नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में गत वर्षों में उल्लेखनीय प्रगति की है। वर्ष 2012 में स्थापित लगभग 500 मेगावाट क्षमता आज लगभग 14 गुना बढकर 7000 मेगावाट से अधिक हो गई है। अब तक सौर एवं पवन ऊर्जा के क्षेत्र में अच्छी प्रगति की है मध्यप्रदेश कृषि प्रधान प्रदेश है, अब फसल के कटने के बाद अवशेष से जंगल के अनुपयोगी घास नगरीय अपशिष्ट आदि से भी ऊर्जा के अन्य प्रकार जैसे बॉयो सी.एन.जी. ब्रिकेट, पैलेट व बॉयो डीजल को भी बनाया जाना एवं इन्हें प्रोत्साहन दिया जाएगा। हाईड्रोजन को भविष्य की ऊर्जा माना जा रहा है जिससे इस क्षेत्र में भी प्रगति संभव हो सकेगी। इन सभी प्रयासों से जहां एक ओर विदेशी मुद्रा की बचत होगी वहीं दूसरी ओर पर्यावरण की सुरक्षा भी होगी। यह नीति प्रदेश सरकार के ग्रीन ऊर्जा और पर्यावरण सुरक्षा के प्रति गंभीरता का द्योतक है।
मंत्रिपरिषद ने लेक व्यू रेसीडेंसी होटल, भोपाल को विकास, संचालन एवं रखरखाव और प्रबंधन के लिए पब्लिक-प्रायवेट पार्टनरशिप में 60 वर्षों की लीज पर दिए जाने का अनुमोदन प्रदान किया है। लीज अवधि को आपसी सहमती से समान शर्तों पर आगामी 10 वर्षों हेतु एक बार बढ़ाया जा सकेगा। निर्णय अनुसार होटल लेक व्यू रेसीडेंसी भोपाल की मध्यप्रदेश होटल कार्पोरेशन लिमिटेड के पक्ष में कलेक्टर भोपाल द्वारा निष्पादित श्यामला हिल्स स्थित खसरा क्रमांक 21/3 में से 7.16 एकड़ की लीज अवधि में वर्ष 2042 से 60 वर्ष अर्थात वर्ष 2102 तक एकमुश्त वृद्धि किए जाने एवं उक्त लीज को निजी निवेशक के पक्ष में एमपीएसटीडीसी/एमपीएचसीएल द्वारा सबलीज (उपपट्टा) दिए जाने का अनुमोदन प्रदान किया गया है।
Edited by: Ravindra Gupta