मंगलवार, 4 फ़रवरी 2025
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. व्यापार
  3. समाचार
  4. money investment banks
Written By
Last Modified: रविवार, 11 सितम्बर 2016 (12:15 IST)

निवेश के विकल्प नहीं, बैंकों में बेकार पड़ा है पैसा

निवेश के विकल्प नहीं, बैंकों में बेकार पड़ा है पैसा - money investment banks
नई दिल्ली। उद्योग संगठन एसोचैम का कहना है कि शेयर बाजार और सोना अपनी ऊंचाइयों को छू चुके हैं तथा रियल एस्टेट खस्ताहाल है। ऐसे में लोगों के पास निवेश के विकल्प नहीं हैं और उनका पैसा बैंकों में बेकार पड़ा है।
 
एसोचैम द्वारा रविवार को जारी एक शोध पत्र में कहा किया है कि स्थिति ऐसी है कि निफ्टी और सेंसेक्स (वर्तमान परिस्थितियों में) अपने अधिकतम स्तर को छू चुके हैं। पिछले 8 महीने में सोना भी काफी चढ़ चुका है। 
 
इसमें कहा गया है कि रियल एस्टेट और प्रॉपर्टी बाजार की स्थिति काफी खराब है इसलिए वहां पैसा लगाना समझदारी नहीं होगी। इसलिए कम-ज्यादा जो भी ब्याज मिल रहा है लोग निवेश करने की बजाय अपना पैसा बैंकों में रख रहे हैं।
 
इसमें कहा गया है कि यहां तक कि उद्योग भी अभी निवेश करने के मूड में नहीं दिख रहे हैं। वास्तव में उद्योग अपनी मौजूदा क्षमता का भी पूरा इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। उद्योगों में जो भी निवेश आ रहा है वह प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के रूप में या टेलीकॉम स्पेक्ट्रम की खरीद जैसे जरूरी निवेश के रूप में आ रहा है। 
 
इसमें कहा गया है कि बाजार में तरलता विदेशों से आ रही है, जहां जमा पर मिलने वाली ब्याज दर लगभग शून्य या ऋणात्मक है। विकसित देशों के केंद्रीय बैंकों द्वारा छापे जा रहे मुद्रा नोट एफडीआई के रूप में भारतीय बाजार में आ रहे हैं। इससे अल्पकाल में रुपए के विनिमय को स्थिरता जरूर मिल रही है।
 
रियल एस्टेट के बारे में शोध पत्र में कहा गया है कि बिल्डरों ने जो परियोजनाएं हाथ में ले रखी हैं वे उसी की डिलीवरी समय पर नहीं कर पा रहे हैं। प्रॉपर्टी बाजार में निवेशकों और खरीददारों दोनों का विश्वास कमजोर पड़ा है इसलिए लोगों के पास बैंकों में पैसा पड़ा छोड़ने के अलावा कोई चारा नहीं है।
 
एसोचैम का कहना है कि अच्छे मानसून से पैदावार अच्छी होने की स्थिति में ग्रामीण मांग में सुधार आएगा। सेवा क्षेत्र और कृषि क्षेत्र अर्थव्यवस्था की गति बनाए रखेंगे, साथ ही चुनींदा उद्योग क्षेत्रों में भी तेजी देखी जाएगी, लेकिन इसका प्रभाव इतना ज्यादा नहीं होगा कि कंपनियां नए सिरे से निवेश शुरू कर सकें। (वार्ता) 
 
ये भी पढ़ें
कावेरी जल विवाद : कर्नाटक सुप्रीम कोर्ट की शरण में