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Last Modified: शनिवार, 9 अप्रैल 2022 (15:14 IST)

पाम ऑइल पर महंगाई की मार, क्या है इंडोनेशिया से संबंध?

पाम ऑइल पर महंगाई की मार, क्या है इंडोनेशिया से संबंध? - connection of hike in Palm oil with indonesia
नई दिल्ली। पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के बाद CNG, पीएनजी, रसोई गैस, खाद्य तेल पर भी महंगाई की मार पड़ रही है। सनफ्लावर के बाद देश में पाम ऑइल के दाम भी तेजी से बढ़ रहे हैं। हालांकि इसका संबंध रूस से नहीं होकर इंडोनेशिया से है। रूस सबसे बड़ा सनफ्लावर ऑइल का एक्सपोर्टर है तो इंडोनेशिया पाम ऑइल का सबसे बड़ा निर्यातक है। वहीं इस तेल का सबसे ज्यादा इस्तेमाल भारत में होता है।
 
भारत वनस्पति तेल का सबसे बड़ा आयातक है। वह अपनी जरूरत का करीब 60 प्रतिशत तेल आयात करता है। कुल 14-15 मिलियन टन तेल आयात होता है इसमें भी 8-9 मिलियन टन पाम ऑइल है।
 
रूस यूक्रेन युद्ध की वजह से सनफ्लावर और सोयाबीन तेल की सप्लाय दुनियाभर में ठप हो गई। इस वजह से पाम ऑइल की मांग तेजी से बढ़ रही है। इस वजह से इंडोनेशिया में पाम ऑइल के दाम तेजी से बढ़ रहे हैं। मार्च में यहां 1 लीटर ऑइल 14000 रुपिहे (इंडोनेशियाई मुद्रा) में बिक रहा था। फिलहाल इसके दाम 22 हजार रुपिहे प्रति डॉलर हैं। अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में भी पाम ऑइल के दाम 1400 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 1700 डॉलर प्रति टन पहुंच गए। ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले समय में खाद्य तेल के दाम भी तेजी से बढ़ेंगे। रिजर्व बैंक ने भी अपनी मौद्रिक नीति में खाद्य तेलों के दाम बढ़ने की आशंका जताई है।
 
भारत में कोरोना से पहले जो पाम ऑइल 60 रुपए प्रति लीटर था अक्टूबर 2021 में 90 रुपए के करीब पहुंच गया। फिलहाल इसके दाम 150 रुपए प्रति लीटर है।
 
अमेरिकी कृषि विभाग के अनुसार, इंडोनेशिया में 2021-22 में 45.5 मिलियन टन उत्पादन हुआ। यह कुल वैश्विक उत्पादन का लगभग 60% है जबकि दूसरे सबसे बड़े उत्पादक मलेशिया ने मात्र 18.7 मिलियन टन पाम ऑइल का उत्पादन हुआ।
 
खाद्य तेल में निर्भरता चाहती है मोदी सरकार : मोदी सरकार खादय तेलों बढ़ते दामों को देखते हुए यहां भी ऑत्मनिर्भरता चाहती है। इसलिए तिलहन के उत्पादन पर खासा जोर दिया जा रहा है। सरसों के तेल का रकबा भी बढ़ा है। सरकार के दबाव में सोयाबीन तेल के दामों में भी नरमी दिखाई दे रही है।
 
कहां इस्तेमाल होता पाम ऑइल : पाम ऑइल का उपयोग खाद्य तेल के रूप में किया जाता है। दुनिया के कई देशों में पाम ऑइल का इस्तेमाल बॉयो फ्यूल के रूप में होता है। साबुन, शैम्पू, टूथपेस्ट, विटामिन की गोलियों में भी पाम ऑइल लगता है।
 
पर्यावरण को नुकसान : पाम की खेती बढ़ने से जंगलों का सफ़ाया हो रहा है. इंडोनेशिया और मलेशिया में एक करोड़ तीस लाख हेक्टेयर में ताड़ की खेती हो रही है। 2001 से 2018 के बीच इंडोनेशिया में लगभग ढाई करोड़ हेक्टेयर के जंगल काटे जा चुके हैं। पाम ऑयल के बेतहाशा इस्तेमाल से पर्यावरण को भारी नुक़सान हो रहा है