बुधवार, 24 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. नन्ही दुनिया
  3. कविता
  4. Poem do dino ka mela

बाल गीत : दो दिन का मेला

बाल गीत : दो दिन का मेला - Poem do dino ka mela
अभी डाल में फूल खिला है,
इतराता है फूला फूला।
उसे पता है कुछ घंटों में,
बिखर जाएगा यह घरघूला।
 
पल दो पल के इस जीवन में,
फिर क्यों जिएं उदासी ओढ़े।
क्यों न फर्राकर दौड़ाएं,
मस्ती के, खुशियों के घोड़े।
 
कलियों पत्तों और हवा के,
अभी सामने तथ्य कबूला।
झूम-झूम कर लगा झूलने,
फिर-फिर वह हंस-हंसकर झूला।
 
छोड़ी दुनिया की चिंताएं,
भूत भविष्य सभी कुछ भूला।
झूले पर ही लगा नाचने,
मटका-मटका कर वह कूल्हा।  
 
उसकी मस्ती देख पत्तियों,
डालों ने भी होश गवाएं।
ऊपर-नीचे आगे पीछे,
अगल-बगल में मुंह मटकाए।
 
छोड़ झमेले नाचो गाओ,
दुनिया तो दो दिन का मेला।

(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)