शुक्रवार, 24 मार्च 2023
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बाल गीत : बड़े पिताजी

शनिवार,मार्च 4, 2023
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अंग्रेजी के महीनों के संग, हिंदी माह किस तरह चलते। हिंदुस्तानी होकर भी हम, बात जरा भी नहीं समझते। माह जनवरी में हिंदी के, पूस, माघ का डेरा होता। माघ और फागुन ने मिलकर, माह फरवरी घेरा होता। माह मार्च में सजे हुए हैं, फागुन और चैत्र के मेले। चलता ले ...
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हमें नहीं बांचों चिट्ठी सा। नहीं पढ़ों अखबार सरीखा। हम बच्चों की दिनचर्या का, अब खोजो कुछ नया तरीका। सुबह आठ से शाम चार तक, दिन भर शाला में खटते हैं। और रात को होम वर्क से, बेदम होकर के थकते हैं। सुबह-सुबह जब हम उठते हैं, दिखता चेहरा नीरस फीका।
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छुपों न घर में, बाहर आओ। अपने ऊपर रंग डलवाओ। आफत आज तुम्हारी है, रंगों की बमबारी है। आद्या, वंशी, गुल्ली दी ने, कई डिब्बों में रंग घोले हैं। रुद्र, अमित पिचकारी भरकर, चिल्लाते ओले-ओले हैं।
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गणतंत्र दिवस हमारे लिए बहुत ही गौरवशाली पर्व है और 2023 में हम अपना 74वां गणतंत्र दिवस मानाने जा रहे हैं। दरअसल भारतीय संविधान के लिए डॉ. अंबेडकर की अध्यक्षता वाली मसौदा समिति को नियुक्त किया गया और 26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान को स्वीकारा गया।
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Republic Day 2023 : हर साल गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को मनाया जाता है और 1950 से अब तक हम 74वां गणतंत्र दिवस मानाने जा रहे हैं। दरअसल 26 जनवरी 1929 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारतीय स्वराज की घोषणा की थी, इसलिए भारतीय संविधान लागू करने के लिए 26 ...
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भारत के राष्ट्रीय ध्वज पर हिन्दी कविता। हिंदू-मुस्लिम मिल कर रहते, ईसाई भी यार। अलग नहीं है किसी तरह भी, सिखों का संसार। तीजों त्योहारों पर सब हैं, आपस में मिलते, खुशियों के मेले सजते तो, मस्ती के बाजार। ऐसी भारत भरत भूमि को, शत-नत वंदन है।।
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National Girl Child Day 2023: 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस है। यहां पढ़ें माता-पिता, देश का सम्मान बढ़ाती बालिाकाओं पर 4 प्रेरक कविताएं... Baby Girl Poems
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मक्खी के दादाजी मक्खे, अभी-अभी भागे गुड़ चख के। जरा देर में फिर आ धमके। बैठ गए हैं गुड़ पर जमके। आह! नहीं अब उनकी खैर। चिपक गए गुड़ में सब पैर।
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मैं पतंग हूं आकाश में उड़तीं, रंग-बिरंगी पतंगें, करती न कभी किसी से भेदभाव। जब उड़ नहीं पाती, किसी की पतंगें तो देते मौन हवाओं को अकारणभरा दोष। मायूस होकर बदल देते दूसरी पतंग भरोसा कहां रह गया? पतंग क्या चीज, बस हवा के भरोसे।
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Happy new year 2023 : नव वर्ष 2023 के आगमन पर पढ़ें बेहतरीन हिन्दी कविता। चटुकारिता चौमुखी है। मनुष्य बहुमुखी है। सच लिखना दायित्व है। सहमा-सा साहित्य है। सम्मान बिकता है। सृजन सिसकता है। स्मृतियों के दंश हैं। भविष्य के सुनहरे अंश हैं। नववर्ष का ...
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Happy New Year 2023 : नए साल के जश्न पर पढ़ें प्रेरक कविता। वर्ष बढ़ने के साथ ही नई जिम्मेदारियों से रूबरू कराती रोचक कविता। हर घर में खुशियों की सौगा‍त ला देगी यह मस्त कविता। आप भी पढ़ें और अपने परिवार वालों के साथ नववर्ष का वेलकम करें। poem on ...
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हवा भोर की करती अक्सर, काम दवा का जी। यही बात समझाते हर दिन, मेरे दादाजी। इसी हवा में मनभावन सी, धूप घुली रहती। और विटामिन 'डी' जैसी कुछ, चीज मिली रहती। भोर भ्रमण से दिन भर रहती, तबियत ताजा जी। सुबह-सुबह चिड़ियों की चें-चें, चूं-चूं भाती है। तोते ...
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कुछ घंटे जुड़वा दें, दिन में, कुछ घंटे बढ़वा दें रात। किसी तरह से क्यों न बापू, बड़े-बड़े कर दें दिन-रात। छोटे-छोटे दिन होते हैं, छोटी-छोटी होती रात। ना हम चंदा से मिल पाते, ना सूरज से होती बात। नहीं जान पाते हैं अम्मा, क्या होती तारों की जात। ना ही ...
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चिड़िया रानी, चिड़िया रानी, फुरर-फुरर कर कहां चली। दादी अम्मा जहां सुखातीं, छत पर बैठीं मूंगफली। चिड़िया रानी चिड़िया रानी, मूंग फली कैसी होती। मूंग फली होती है जैसे, लाल रंग का हो मोती। चिड़िया रानी चिड़िया रानी, मोती मुझे खिलाओ न। बगुला भगत बने क्यों ...
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सूरज प्रात: उद‍ित है होता, करने रोशनी का उजियारा। किरणें देती हैं हमें प्रेरणा, दूर हो जाता है आलस सारा। सुंदर पुष्प सर उठाए उपवन में, जैसे रंग-बिरंगे खेत लहरा रहे हों। चहचहाते पक्षियों की आवाज गगन में, जैसे मधुर गीत गुनगुना रहे हों।
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Deepawali Poem, दीपावली कविता : घर-घर बंदनवार सजे हैं, दिखती छटा निराली। जग-मग करते दीप कह रहे, जग में आज दिवाली। सजी रंग में इंद्र धनुष के, दीवारों की काया। दीप जले तो लगा, धरा पर, स्वर्ग उतर कर आया। Poem on Diwali
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Deepavali 2022 : यहां प्रस्तुत हैं बच्चों के लिए दिवाली के खास त्योहार पर मनोरंजक तथा छोटी कविताएं। दीप पर्व मनाने की यह छ: छोटी बेहतरीन हिंदी कविताएं दीपावली पर्व का आनंद और उत्साह बढ़ाएंगी। यहां पढ़ें और फेस्टिवल का उल्लास दोगुना करें-Diwali Poems
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Diwali Best Poems : चलो मनाएं दिवाली हम, सीधे सादे ढंग से। बिजली की लपझप लड़ियों का, मोह इस बरस त्यागें। ढेर पटाखे ढेर बमों के, पीछे हम ना भागें। मने दिवाली मुस्कानों की, फुलझड़ियों के रंग से। Poem On Diwali In Hindi, Kids Dipawali Poem
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Dussehra Festival Poem क्रोध, कपट, कटुता, कलह, चुगली अत्याचार। दगा, द्वेष, अन्याय, छल, रावण का परिवार॥ राम चिरंतन चेतना, राम सनातन सत्य। रावण वैर-विकार है, रावण है दुष्कृत्य॥ वर्तमान का दशानन, यानी भ्रष्टाचार... dussehra poem
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