Bangladesh demands from India: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के एक प्रमुख सहयोगी ने बुधवार को कहा कि भारत को द्विपक्षीय संबंधों को नए सिरे से शुरू करने के लिए देश में जुलाई-अगस्त में हुए उस विद्रोह को स्पष्ट रूप से मान्यता देनी चाहिए, जिसने प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार सत्ता से बाहर कर दिया था। अंतरिम सरकार में वस्तुत: मंत्री का दर्जा रखने वाले महफूज आलम ने एक फेसबुक पोस्ट में उल्लेख किया कि भारत सरकार ने विद्रोह को कुछ इस तरह से चित्रित करने की कोशिश की जैसे यह सत्ता पर कुछ अतिवादियों, हिंदू विरोधी और इस्लामी कट्टरपंथियों का कब्जा हो गया हो।
मान्यता से हो शुरुआत : आलम ने लिखा कि यह (मान्यता) सबसे पहली चीज है जिससे शुरुआत की जानी चाहिए। जुलाई के विद्रोह को दरकिनार करके, नए बांग्लादेश की नींव रखना दोनों देशों के रिश्तों के लिए हानिकारक होगा। आलम ने लिखा कि बंगाल के इस हिस्से में रहने वाले 'भारत-प्रेमी या भारतीय सहयोगी सोच रहे थे कि चीजें शांत हो जाएंगी और जुलाई के विद्रोह और फासीवादियों के अत्याचारों से उन्हें कुछ भी नुकसान नहीं होगा।
पांच अगस्त को हसीना के बांग्लादेश छोड़कर भारत चले जाने के तीन दिन बाद, नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार का पदभार संभाला था। दोनों पड़ोसी देशों के बीच 5 अगस्त से जारी तनाव पिछले सप्ताह हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद और बढ़ गया। आलम ने कहा कि यह एक गलत विचार है। लोग सब कुछ देख रहे हैं।
... तो आप कांप जाएंगे : यूनुस ने सितंबर में न्यूयॉर्क में क्लिंटन ग्लोबल इनिशिएटिव के एक समारोह में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन से आलम का परिचय देते हुए आलम को संपूर्ण क्रांति के पीछे का दिमाग बताया था। यूनुस (84) ने तब बांग्लादेशी छात्र नेताओं का परिचय कराते हुए कहा था- संपूर्ण क्रांति के पीछे इन्हीं लोगों का दिमाग माना जाता है। वे किसी अन्य युवा व्यक्ति की तरह दिखते हैं, आप उन्हें पहचान नहीं पाएंगे। लेकिन जब आप उन्हें कार्य करते हुए देखेंगे, जब आप उन्हें बोलते हुए सुनेंगे, तो आप कांप जाएंगे। उन्होंने पूरे देश को हिलाकर रख दिया।
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भारत का दुष्प्रचार : यूनुस ने विशेष रूप से छात्र कार्यकर्ता महफूज अब्दुल्ला की ओर इशारा किया था और कहा था कि इस इस क्रांति के पीछे उनका दिमाग था। आलम के फेसबुक बयान का शीर्षक भारत और बांग्लादेश के साथ उसके संबंध दिया गया है। इसमें कहा गया है कि भारतीय सरकार ने विद्रोह को चरमपंथी, हिंदू विरोधी और सत्ता पर इस्लामी कट्टपंथियों के कब्जे के रूप में चित्रित करने की कोशिश की, लेकिन उनका दुष्प्रचार और उकसावे विफल हो रहे हैं।
अंतरिम सरकार का मुख्य विचारक है आलम : आलम को कई लोग अंतरिम सरकार का मुख्य विचारक मानते हैं। आलम ने कहा कि वर्तमान बांग्लादेश परिदृश्य 1975 के बाद की स्थिति जैसा नहीं है क्योंकि जुलाई का विद्रोह एक लोकतांत्रिक और जिम्मेदार संघर्ष था। आलम ने कहा कि और यह संघर्ष लंबे समय तक जारी रहेगा। आलम की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब ढाका-दिल्ली संबंधों में भारी तनाव देखने को मिल रहा है। भारत ने बांग्लादेश के हिंदू समुदाय में उत्पन्न भय पर चिंता व्यक्त की है, हालांकि बांग्लादेश ने इस धारणा का कड़ा विरोध किया है। (एजेंसी/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala