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क्या फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों की पत्नी पहले पुरुष थीं?

French President Emmanuel Macron
French President Emmanuel Macron: सोशल मीडिया के आज के ज़माने में सब कुछ संभव है – स्त्री को पुरुष और पुरुष को स्त्री बना देना भी! तब भी, जब स्त्री का पति फ्रांस जैसे देश का राष्ट्रपति हो। फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों और उनकी पत्नी ब्रिजित माक्रों को, इसी सोशल मीडिया-चमत्कार के कारण, अमेरिका के डेलावेयर राज्य की अदालत में बाक़ायदा मानहानि का मुकदमा दायर करना पड़ा है।
 
माक्रों दंपति पहले तो कुछ समय तक चुप रहे। सोचते थे कि अफवाह जैसे उठी है, वैसे ही बैठ भी जाएगी। पर, ऐसा हो नहीं रहा है। अफ़वाह यह है कि राष्ट्रपति महोदय की पत्नी लिंगपरिवर्तन द्वारा महिला बनी हैं, यानी वे पहले एक पुरुष थीं। अफ़वाह की जड़ है, अमेरिकी सोशल मीडिया की 36 वर्षीय कुख्यात दक्षिणपंथी महिला पॉडकास्टर और 'इन्फ्लुएंसर', कैंडेस ओवन्स।
 
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थन और लिंगपरिवर्तन पर टीका-टिप्पणियों के लिए प्रसिद्ध, कैंडेस ओवन्स द्वारा किए गए मुख्य दावों में से एक यह है कि फ्रांसीसी राष्ट्रपति की पत्नी ब्रिजित (Brigitte) माक्रों का जन्म एक पुरुष के रूप में हुआ था। नाम था ज़ाँ-मिशेल त्रोन्यू (Jean-Michel Troneux, जो असल में ब्रिजित माक्रों के भाई का नाम है)। इस महिला ने यह भी दावा किया है कि राष्ट्रपति माक्रों और उनकी पत्नी ब्रिजित के बीच ख़ून का रिश्ता है। माक्रों दंपति ने इन अफ़वाही आरोपों पर रोक लगाने के लिए अमेरिका में डेलावेयर की अदलात में दायर 218 पृष्ठों के अपने दस्तावेज़ में, ओवन्स पर 'बेतुके, मानहानिकारक और पूरी तरह से काल्पनिक' बयान फैलाने का आरोप लगाया है।
 
अमेरिका जाना पड़ सकता है : माक्रों के वकील थॉमस क्लेयर ने, बीबीसी के 'फेम अंडर फायर' पॉडकास्ट के प्रस्तोता से बात करते हुए बताया कि माक्रों दंपति द्वारा वैज्ञानिक और फोटोग्राफिक, दोनों तरह के सबूत अदालत में पेश किए जाएंगे। उनमें, अमेरिकी न्यायिक नियमों के अनुसार, ब्रिजित माक्रों की गर्भावस्था और उनके बच्चों के पालन-पोषण के समय की तस्वीरें भी होंगी। मुकदमा यदि चला, तो माक्रों दंपति जूरी-मंडल द्वारा सुनवाई के समय गवाही देने के लिए अमेरिका भी जायेंगे।
 
फ्रांसीसी साप्ताहिक पत्रिका 'नोवेल ऑब्स' की वरिष्ठ पत्रकार इमानुएल अनिज़ों ने, इस अफवाह की उत्पत्ति की पड़ताल करते हुए "ल'अफेयर मदाम" नामक एक पुस्तक भी लिख डाली। अपनी पुस्तक में उनका कहना हैः "लोकप्रियता के मामले में यह दुनिया भर में सबसे बड़ी झूठी खबरों में से एक है – इसे एक अरब लोग देख-सुन चुके हैं।...नई बात यह है कि पहली बार (राष्ट्रपति) इमानुएल माक्रों अपनी पत्नी के साथ मिलकर कानूनी कार्रवाई करने में शामिल हुए हैं।"
 
भाई-बहन के बीच घालमेल : मुकदमे के लिए दायर दस्तावेज़ों में राष्ट्रपति माक्रों का कहना है, कि यह बात कि उनकी पत्नी ब्रिजित का जन्म ज़ाँ-मिशेल त्रोन्यू नाम के एक पुरुष के रूप में हुआ था, सरासर झूठा है। त्रोन्यू वास्तव में ब्रिजित के बड़े भाई हैं। 80 वर्षीय त्रोन्यू उत्तरी फ्रांसीसी शहर अमींस में रहते हैं, जहां वे ब्रिजित और चार अन्य भाई-बहनों के साथ अपने स्थानीय चॉकलेट व्यवसाय के लिए प्रसिद्ध परिवार में पले-बढ़े हैं। राष्ट्रपति माक्रों ने यह भी उल्लेख किया है कि पहली बार 2017 में, और दूसरी बार 2022 में जब वे राष्ट्रपति चुने गए, तब राष्ट्रपति पद के दोनों उद्घाटन समारोहों में ब्रिजित भी सार्वजनिक रूप से उनके साथ मौजूद थीं।
 
ब्रिजित के पुरुष होने का झूठा दावा फ्रांस में पहली बार 2021 में वायरल हुआ था; एक ऐसे समय में जब वहां सरकार विरोधी विरोधी आंदोलन और कोविड महामारी के बाद राजनेताओं के प्रति अविश्वास चरम पर था। कोविड महामारी ने फ्रांस में 1,30,000 से अधिक लोगों की जान ली थी। अफवाह आंशिक रूप से इसलिए फैली क्योंकि माक्रों और ब्रिजित के बीच रिश्ते पर लंबे समय से सोशल मीडिया में चर्चा हो रही थी।
 
शिक्षिका-छात्र विवाह : इस समय 72 वर्षीय ब्रिजित अपने पति से 24 साल बड़ी हैं। वे 3 बच्चों की मां तथा 7 और बच्चों की दादी-नानी हैं। इमानुएल माक्रों से ब्रिजित पहली बार तब मिली थीं, जब वे अमींस स्थित उनके जेसुइट सेकेंडरी स्कूल में फ्रेंच भाषा की शिक्षिका थीं और स्कूल में एक नाटक का निर्देशन कर रही थीं। स्कूल के नाटक वाले कार्यक्रम के माध्यम से दोनों के बीच एक गहरा बौद्धिक संबंध बना और समय के साथ उनके बीच निकटता बढ़ती गई। ब्रिजित के पहले विवाह से उनके तीन बच्चे हैं। पहले विवाह का 2006 में तलाक के साथ अंत हो गया। अगले ही वर्ष उन्होंने इमानुएल माक्रों से विवाह कर लिया। माक्रों उस समय 30 वर्ष के थे।
 
राष्ट्रपति माक्रों के अमेरिकी वकील का कहना है कि वे पॉडकास्टर और 'इन्फ्लुएंसर' कैंडेस ओवन्स की सोशल मीडिया पर मनगढ़ंत घटिया कथा-कहानियों के कारण आपे से बाहर नहीं हैं; लेकिन जिस किसी को भी अपने पद और परिवार की प्रतिष्ठा के लिए लड़ना पड़ रहा हो, उसे चिंताएं तो सताएंगी ही। राष्ट्रपति माक्रों को इस बीच अमेरिका की कैंडेस ओवन्स द्वारा की जा रही बदनामी की ही नहीं, रूसी मीडिया के 2017 से चल रहे इस दुष्प्रचार का भी सामना करना पड़ रहा है कि वे समलैंगिक (होमोसेक्सुअल) हैं। कैंडेस ओवन्स ने उनके विरुद्ध जो अभियान छेड़ रखा है, उसे माक्रों के वकील पूरी दुनिया में उन्हें बदनाम करने वाला ही नहीं, ''अमानुषिक'' दिखाने वाला भी बताते हैं। 
 
प्रकरण का ट्रंप कनेक्शन : पेरिस से प्रकाशित होने वाली फ्रांस की प्रसिद्ध पत्रिका 'पारी माच (Paris Match)' को माक्रों ने पिछले अगस्त में बताया कि उन्होंने कैंडेस ओवन्स के विरुद्ध मुकदमा दायर करने का निर्णय क्यों लिया। उनका कहना था, ''इस व्यक्ति (महिला) का उद्देश्य, घोर दक्षिणपंथी नेताओं के साथ साठगांठ करके एक खास विचारधारा की सेवा करते हुए उन्हें भारी क्षति पहुंचाना है।' उनका इशारा इस बात की तरफ था कि कैंडेस ओवन्स की विचारधारा भी वही है, जो अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की और उनके घोर दक्षिणपंथी ''मागा'' (MAGA / मेक अमेरिका ग्रेट अगेन) आन्दोलन की है। यही कारण है कि लाखों-करोड़ों लोग सोशल मीडिया पर इस छिछोरी महिला ढिंढोरची को देखते-सुनते और उसकी बातों पर विश्वास भी करते हैं।
 
कैंडेस ओवन्स ने अपने सोशल मीडिया पर, फ्रांस की प्रथम महिला ब्रिजित माक्रों को बदनाम करने के लिए झूठे दावों वाली एक लंबी कड़ी पेश की है और इस क्रम को चालू रखना चाहती है। उसका परिचय यह है कि वह 2017 से 2019 को बीच अमेरिका के दक्षिणपंथियों की ''टर्निंग प्वाइंट यूएसए'' नाम की एक संस्था के संचार विभाग की निदेशक थी। इस संस्था की स्थापना डॉनल्ड ट्रंप के भक्त रहे, हाल ही में एक आततायी की गोली का शिकार बने चार्ली कर्क ने की थी। 
 
कोरोना महामारी के समय यह महिला टीका लगवाने का विरोध किया करती थी। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय हिटलर द्वारा यहूदियों के नरसंहार को भी वह सच नहीं मानती। इसी कारण ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड की सरकारों ने उसे अपने यहां आने देने से मना तक कर दिया। उसकी देखादेखी फ्रांस की दो महिलओं ने भी ब्रिजित माक्रों के बारे में वही कहना शुरू कर दिया है, जिसका राग कैंडेस ओवन्स अलापती है। ब्रिजित माक्रों को इन दोनों फ्रांसीसी महिलाओं से भी क़ानूनी लड़ाई लड़नी पड़ रही है। माक्रों दंपति की परेशानी उदाहरण है कि ऊंचे पदों पर रहना या प्रसिद्ध होना, कई बार मज़ा से अधिक सज़ा भी बन सकता है। भारत में देश के बेघरबार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निन्दा-आलोचना भी ऐसा ही एक उदाहरण है।
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