शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. अंतरराष्ट्रीय
  4. Nobel Prize for chemistry to three scientists
Written By
Last Updated : बुधवार, 9 अक्टूबर 2019 (19:36 IST)

3 वैज्ञानिकों को रसायन शास्त्र का 'नोबेल पुरस्कार'

3 वैज्ञानिकों को रसायन शास्त्र का 'नोबेल पुरस्कार' - Nobel Prize for chemistry to three scientists
स्टाकहोम। लीथियम आयन बैटरी का विकास करके स्मार्टफोन और पेट्रोल-डीजल जैसे जीवाश्म ईंधन मुक्त समाज का रास्ता साफ करने वाले 3 वैज्ञानिकों को रसायन शास्त्र का नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) देने का बुधवार को ऐलान किया गया।

यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास से जुड़े अमेरिकी वैज्ञानिक जॉन गुडइनफ, बिंघमटन में स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क के एम स्टेनली व्हिटिंघम तथा जापान के असाही कासेई कॉर्पोरेशन एंड मीजो यूनिवर्सिटी के अकीरा योशिनो को नोबेल पुरस्कार से नवाजा जाएगा।

97 वर्षीय गुडइनफ नोबेल पुरस्कार पाने वाले सबसे उम्रदराज व्यक्ति होंगे। रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेस ने बताया कि तीनों 90 लाख स्वीडिश क्रोनोर (9,14,000 डॉलर) की राशि समान रूप से साझा करेंगे।

निर्णायक मंडल ने कहा, इन हल्की, पुन: रिचार्ज हो सकने वाली और शक्तिशाली बैटरियों का इस्तेमाल अब मोबाइल फोन से लेकर लैपटॉप और इलेक्ट्रॉनिक वाहनों आदि सभी में होता है। इनमें सौर और पवन ऊर्जा की अच्छी खासी मात्रा संग्रहित की जा सकती है जिससे पेट्रोल-डीजल जैसे जीवश्म ईंधन से मुक्त समाज की ओर बढ़ना संभव होगा।

उन्होंने कहा कि 1991 में पहली बार बाजार में आने के बाद से इन बैटरियों ने हमारी जिंदगी को ही बदल दिया है। नोबेल समिति ने कहा कि लीथियम आयन बैटरी के विकास की शुरुआत 1970 के दशक में तेल संकट के दौरान हुई थी जब व्हिटिंघम ऐसी ऊर्जा तकनीकों पर काम कर रहे थे जो पेट्रोल-डीजल जैसे जीवाश्म ईंधन से मुक्त हों।

उन्होंने आंशिक रूप से लीथियम से बनी बैटरी तैयार की जिसने इलेक्ट्रॉन छोड़कर ऊर्जा प्रवाहित करने के एलीमेंट के प्राकृतिक गुण का इस्तेमाल किया। हालांकि बैटरी उपयोग के लिहाज से बहुत अस्थिर थी।

गुडइनफ ने व्हिटिंघम के प्रोटोटाइप पर आगे काम किया और एक अलग पदार्थ का इस्तेमाल कर बैटरी की क्षमता को बढ़ाया। इससे भविष्य में और अधिक शक्तिशाली तथा लंबे समय तक चलने वाली बैटरियों के विकास का रास्ता साफ हुआ।

1985 में योशिनो ने एक कार्बन आधारित पदार्थ का इस्तेमाल किया जिसमें लीथियम आयन संग्रहित होते हैं। इसके बाद अंतत: व्यावसायिक रूप से व्यावहारिक बैटरी तैयार हो सकी। तीनों के अनुसंधान के फलस्वरूप अब तक की सबसे अधिक शक्तिशाली, हल्की और पुन: रिचार्ज हो सकने वाली बैटरी तैयार हुई।
फोटो सौजन्‍य : टि्वटर