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दो क्षुद्रग्रह गुजर रहे हैं पृथ्वी के पास से, यदि टकराए तो...

दो क्षुद्रग्रह गुजर रहे हैं पृथ्वी के पास से, यदि टकराए तो... - International Asteroid Day
International Asteroid Day: 30 जून अंतरराष्ट्रीय क्षुद्रग्रह (एस्टेरॉइड) दिवस है। इस विशेष दिन का उद्देश्य है, उन ख़तरों की ओर सबका ध्यान आकर्षित करना, जो पृथ्वी के पास से गुज़र रहे या गुज़रने वाले आकाशीय पिंडों से उत्पन्न हो सकते हैं। इस बार, इस तारीख़ के केवल 40 घंटों के भीतर, दो क्षुद्रग्रह पृथ्वी के पास से गुज़र जाएंगे। उनमें से एक को अभी-अभी खोजा गया है। 
 
अंतरिक्ष एजेंसियों के पास इस समय लगभग 13 लाख क्षुद्रग्रहों की जानकारी है। जो दो क्षुद्रग्रह पृथ्वी के पास से गुजरेंगे, वे इतने बड़े हैं कि पृथ्वी से वे यदि टकराए, तो इसके बहुत ही विनाशकारी परिणाम होंगे। लेकिन, शुभ समाचार यह है कि दोनों के मार्ग की भलीभांति जांच-परख के बाद, इटली में रोम के पास फ्रस्काती में स्थित यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ईसा (ESA) के 'क्षुद्रग्रह रक्षा कार्यालय' ने स्पष्ट कर दिया है कि कोई ख़तरा नहीं है।
 
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के इस कार्यालय का कहना है कि 2.3 किलोमीटर व्यास वाला एक क्षुद्रग्रह गुरुवार, 27 जून को, पृथ्वी से 60 लाख 66 हज़ार किलोमीटर की दूरी पर से गुज़र गया। पृथ्वी से उसके टकराने के विनाशकारी परिणामों की सही कल्पना तक नहीं की जा सकी होती। तुलना के लिए, फरवरी 2013 में, रूसी शहर चेल्याबिंस्क के ऊपर केवल क़रीब 20 मीटर बड़े एक क्षुद्रग्रह का विस्फोट हुआ था। विस्फोट से उत्पन्न प्रघात लहर से लगभग 1,500 लोग घायल हो गए, अधिकतर लोग घरों की खिड़कियों के शीशे टूटने से घायल हुए थे।
 
ESA के अनुसार, 27 जून वाले क्षुद्रग्रह को, लंबी दूरी के बावजूद, रात में आसमान साफ़ होने पर एक बेहतर दूरबीन से देखा जा सकता था। इसके लिए समय भी काफी अच्छा था, यूरोपीय ग्रीष्मकालीन समय के अनुसार रात में करीब 10:14 बजे, यानी भारतीय समय के अनुसार, गुरुवार और शुक्रवार के बीच वाली रात में क़रीब डेढ़ बजे।
 
नहीं टकराएगा पृथ्‍वी से : ठीक 40 घंटे बाद, 30 जून को, अंतराष्ट्रीय क्षुद्रग्रह दिवस से कुछ समय पहले, 120 से 260 मीटर के बीच वाले आकार का एक तथाकथित NEO (नीयर-अर्थ ऑब्जेक्ट) पृथ्वी के बहुत करीब आता दिखेगा। पृथ्वी से उसकी निकटतम दूरी केवल लगभग 2,90,000 किलोमीटर होगी, यानी पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी से भी कम। तब भी, वह पृथ्वी से नहीं टकराएगा।
 
ESA के अनुसार, कई देशों में इसे रात के आकाश में दूरबीन से भी देखा जा सकता है। भारत में उस समय सुबह सवा सात बजे का समय होगा। इस क्षुद्रग्रह की खोज 16 जून को ही हुई थी। ESA ने कहा कि ठीक इन दिनों, इतने बड़े खगोलीय पिंडों का पृथ्वी के इतना निकट आना और इसके संभावित ख़तरनाक परिणामों की याद दिलाना दिखाता है, कि हमें ऐसे आकाशीय पिंड़ों की निगरानी करने की अपनी क्षमता में सुधार करने की कितनी अधिक आवश्यकता है। 
 
13 लाख क्षुद्रग्रह : अंतरिक्ष पर नज़र रखने वाले अधिकारियों को वर्तमान में लगभग 13 लाख क्षुद्रग्रहों के बारे में पता है। पृथ्वी की निकटवर्ती लगभग 35,000 पंजीकृत वस्तुओं से संबंधित अगले सौ वर्षों के परिदृश्यों और उनके परिणामों के बार-बार अनुमान लगाए जाते रहे हैं। रविवार 30 जून के अंतर्राष्ट्रीय क्षुद्रग्रह दिवस का उद्देश्य, रूसी साइबेरिया में घटी 1908 की  'तुंगुस्का' घटना को याद करना भी है। 
 
आज के रूसी क्रास्नोयार्स्क इलाके की तुंगुस्का नदी के पास,1908 के 30 जून के ही दिन, संभवतः एक खगोलीय पिंड पृथ्वी से टकराया था। एक भयंकर विस्फोट हुआ था, जिससे साइबेरिया का लगभग 2,000 वर्ग किलोमीटर जंगल नष्ट हो गया था। 30 किलोमीटर के दायरे में सारे पेड़ उखड़ गए थे और 65 किलोमीटर की दूरी पर की एक बस्ती के घरों की खिड़कियां और दरवाज़े टूट-फूट गए थे। 
 
स्थानीय समय के अनुसार, सुबह 7:15 बजे हुई इस घटना के समय 500 किलोमीटर दूर आग की एक लंबी लपट दिखी थी। एक ज़ोरदार कंपन्न हुआ था और एक गर्जना जैसे शोर के साथ हवा की प्रघात तरंगों का असर दूर-दूर तक महसूस किया गया था। बताया जाता है कि उस समय घटनास्थल से बहुत दूर, ट्रांस साइबेरियन ट्रेन के यात्रियों ने भी यह सब अनुभव किया था।
 
450 किलोमीटर दूर, किरेंस्क नाम की जगह के लोगों ने आग, धुंए और धूल का फ़ौव्वारा उठता देखा। मुख्य घटनास्थल और इस जगह के बीच की दूरी के आधार पर अमुमान लगाया गया, कि आकाश को छूता यह फ़ौव्वारा कम से कम 20 किलोमीटर ऊंचा ज़रूर रहा होगा। यूरोप और अमेरिका के मौसमी कार्यालयों के भूकंप मापियों (साइस्मोग्रफ़) ने भी भूकंपन दर्ज किया। प्रघात तरंग तो 8 घंटे बाद अमेरिका के वॉशिंगटन में भी दर्ज की गई। 
 
क्षुद्रग्रह दिवस का लक्ष्य जनता को ऐसे खगोलीय पिंडों के अध्ययन और बचाव के वैज्ञानिक प्रयासों के बारे में सूचित करना है। क्षुद्रग्रह दिवस मानान 2014 में शुरू हुआ था।
 
 
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