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Written By WD Feature Desk
Last Updated : मंगलवार, 25 जून 2024 (17:53 IST)

Asteroid Near Earth: विशाल एस्टेरॉयड टकरा सकता है धरती से, नासा ने दी चेतावनी, जानें कब टकराएगा?

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने बताया कि एस्टेरॉयड कब टकराएगा धरती से

Asteroid
Asteroid: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने बताया कि धरती की ओर तेजी से आ रहा है एक विशाल एस्टेरॉयड जिसके धरती से टकराने की संभावना 72 फीसदी है और इसे रोक पाने के लिए अभी धरती पर पूरी तैयारी नहीं है। 20 जून को मैरिलैंड स्थित जॉन्स हॉपकिन्स एप्लाइड फिजिक्स लैबोरेटरी में इसके मुख्य निष्कर्ष जारी किए गए।
 
  • पृथ्वी की तरफ तेजी से बढ़ रहा विशाल एस्टेरॉयड
  • नासा ने बताया 72 फीसदी है धरती से टकराने की संभावना
  • करीब 14 साल बाद धरती से होगी एस्टेरॉयड की जोरदार टक्कर
 
प्लैनेटरी डिफेंस इंटरएजेंसी टेबलटॉप अभ्यास में हुआ खुलासा:
नासा का कहना है कि एक काल्पनिक अभ्यास में यह पाया गया है कि विशाल एस्टेरॉयड धरती से टकरा सकता है। नासा की आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल में एजेंसी ने पांचवां प्लैनेटरी डिफेंस इंटरएजेंसी टेबलटॉप अभ्यास आयोजित किया था, जिसमें अमेरिकी सरकारी एजेंसियों और अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों के करीब 100 प्रतिनिधि शामिल थे। यह अभ्यास एस्टेरॉयड के खतरे का प्रभावी ढंग से जवाब देने की पृथ्वी की क्षमता का जवाब देने के लिए किया गया है।
 
कब टकराएगा एस्टेरॉयड?
अभ्यास के निष्कर्ष में बताया है कि इस दौरान प्रतिभागियों ने एक ऐसे एस्टेरॉयड की पहचान की, जिसके बारे में पहले कभी पता नहीं था। प्रारंभिक गणना के मुताबीक इसके करीब 14 वर्षों में धरती से टकराने की 72 प्रतिशत संभावना थी। नासा ने इसके 12 जुलाई 2038 में दिन के 2 बजकर 25 मिनट पर पृथ्वी से टकराने की संभावना जताई। वाशिंगटन स्थित नासा मुख्यालय में ग्रह रक्षा अधिकारी लिंडले जॉनसन ने कहा, एस्टेरॉयड एकमात्र प्राकृतिक आफदा है, जिसके बारे में इंसान के पास वर्षों पहले भविष्यवाणी करने और उसे रोकने के लिए कार्रवाई करने की तकनीक है।
एस्टेरॉयड क्या होते हैं?
एस्टेरॉयड को किसी ग्रह या तारे का टूटा हुआ टुकड़ा माना जाता है। ये पत्थर या धातु के टूकड़े होते हैं जो एक छोटे पत्थर से लेकर एक मील बड़ी चट्टान तक और कभी-कभी तो एवरेस्ट के बराबर तक हो सकते हैं। आकाश में कभी-कभी एक ओर से दूसरी ओर अत्यंत वेग से जाते हुए अथवा पृथ्वी पर गिरते हुए जो पिंड दिखाई देते हैं उन्हें उल्का और साधारण बोलचाल में 'टूटते हुए तारे' अथवा 'लूका' कहते हैं।  कहते हैं कि हमारे सौर मंडल में करीब 20 लाख एस्ट्रेरॉयड घूम रहे हैं। हिंदी में इसे उल्कापिंड या क्षुद्रग्रह कहते हैं।
 
1994 में एक ऐसी ही घटना घटी थी। पृथ्वी के बराबर के 10-12 उल्का पिंड बृहस्पति ग्रह से टकरा गए थे जहां का नजारा महाप्रलय से कम नहीं था। आज तक उस ग्रह पर उनकी आग और तबाही शांत नहीं हुई है।
 
3 बड़े एस्टेरॉयड पृथ्वी की ओर आ रहे हैं:-
तीनों एस्टेरॉयड जुलाई में अलग अलग तारीखों पर पृथ्वी के पास से गुजरेंगे। 2023 MT-1 एस्टेरॉयड और ME-4 एस्टेरॉयड 8 जुलाई को पृथ्वी से 1.36 लाख किलोमीटर की दूरी से गुजरेंगे। ये एस्टेरॉइड पृथ्वी के करीब से 12 किलोमीटर प्रति सेकेंड से गुजरेंगे। वहीं तीसरा यूक्यू 3 एस्टेरॉयड 18 जुलाई को पृथ्वी और चंद्रमा के बीच से गुजरेगा जो करीब 18 से 20 मीटर व्यास का होगा। उल्लेखनीय है कि हर साल एस्टेरॉयड पृथ्वी की ओर आते हैं। इनमें से कुछ के पृथ्वी से टकराने का खतरा बना रहता है। इन्हें खतरनाक श्रेणी में रखा जाता है।
 
एपोफिस एस्टेरॉयड:
अतीत में इन उल्कापिंडों से कई बार जीवन लगभग समाप्त हो चुका है। एक बार फिर मंडरा रहा है डायनासोर के जमाने का खतरा। अंतरिक्ष में भटक रहा सबसे बड़ा उल्का पिंड '2005 वाय-यू 55' है लेकिन फिलहाल खतरा एस्टेरॉयड एपोफिस से है। कई बड़े वैज्ञानिकों को आशंका है कि एपोफिस या एक्स नाम का ग्रह धरती के काफी पास से गुजरेगा और अगर इस दौरान इसकी पृथ्वी से टक्कर हो गई तो पृथ्वी को कोई नहीं बचा सकता। हालांकि कुछ वैज्ञानिक ऐसी किसी भी आशंका से इनकार करते हैं। 
 
अमेरिका में खगोल भौतिकी के हारवर्ड-स्मिथसोनियन सेंटर के डॉ. अर्विंग शापिरो बताते हैं कि पृथ्वी को अतीत में कई बार इस तरह के पिंडों के साथ टक्कर झेलनी पड़ी है। वे कहते हैं, 'इस तरह का सबसे पिछला प्रलयंकारी पिंड साढ़े छह करोड़ साल पहले टकराया था। उसने न जाने कितने जीव-जंतुओं की प्रजातियों का पृथ्वी पर से अंत कर दिया। डायनासॉर इस टक्कर से लुप्त होने वाली सबसे प्रसिद्ध प्रजाति हैं। समस्या यह है कि हम नहीं जानते कि कब फिर ऐसा ही हो सकता है।' वह लघु ग्रह सन फ्रांसिस्को की खाड़ी जितना बड़ा था और आज के मेक्सिको में गिरा था। इस टक्कर से जो विस्फोट हुआ, वह दस करोड़ मेगाटन टीएनटी के बराबर था। पृथ्वी पर वर्षों तक अंधेरा छाया रहा।