G-7 देशों ने किया चीन का घेराव, 'कहां से पैदा हुआ Coronavirus, WHO कराए जांच'
लंदन। कोरोनावायरस महामारी ने दुनियाभर में हाहाकार मचा रखा है। वायरस को फैलाने को लेकर चीन पर सवाल उठते रहे हैं। ब्रिटेन के कॉर्नवाल में आयोजित जी-7 सम्मेलन में शामिल होने आए विश्व नेताओं ने कोविड-19 महामारी शुरू होने के पीछे मध्य चीन के वुहान स्थित प्रयोगशाला से वायरस के लीक होने की आशंका पर चर्चा की। वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख का कहना है कि प्राणघातक वायरस के उद्गम को लेकर सामने आ रही सभी परिकल्पनाएं जांच के लिए खुली हैं।
ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब ने कहा कि महामारी के वुहान की प्रयोगशाला से लीक वायरस से फैलने की आशंका को लेकर अधिकारियों के तुलनात्मक नोट और अधिक जांच की मांग करते हैं। हालांकि उन्होंने जोर दिया कि ब्रिटेन को प्राप्त सबसे विश्वसनीय सूचना के मुताबिक यह जानवरों से इंसान में फैला लेकिन साथ ही स्वीकार किया कि उनके पास अब भी सभी सवालों के जवाब नहीं हैं।
स्काई न्यूज ने रविवार को जब इस मामले में राब से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि इसलिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हम चाहतें है कि मामले की समीक्षा हो और विशेषज्ञ सभी सवालों के जवाब के लिए चीन जाएं, ताकि हमारे पास पूरी तस्वीर हो, बजाय कि इन संभव, संभावित, मुमकिन विकल्प के। राब ने कहा कि लेकिन संतुलन के लिए, हम यह नहीं मानते कि यह प्रयोगशाला से आया। हमारा मानना है कि बहुत संभव है कि यह जानवरों की प्रजाति से इनसानों तक पहुंचा।
उल्लेखनीय है कि डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अदनोम गेब्रेयसस ने शनिवार को पत्रकारों से कहा था कि कॉर्नवाल में आयोजित जी-7 सम्मेलन के दौरान स्वास्थ्य मामलों और महामारी के स्रोत का पता लगाने को लेकर आयोजित औपचारिक सत्र में इस आशंका को उठाया गया था। उन्होंने कहा कि सत्र का मुख्य हिस्सा महामारी से दुनिया भर में प्राण गंवाने वाले लाखों लोगों के प्रति सम्मान प्रकट करना था।
उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि हां, वायरस के उद्गम का मुद्दा उठा और हमने उसपर चर्चा की। उन्होंने कहा कि उद्गम के अध्ययन का पहला चरण निर्णायक नहीं था और वहां पर चार सिद्धांत थे लेकिन उनपर अबतक कोई निष्कर्ष नहीं निकला है। इसलिए हमारा मानना है कि सभी चारों सिद्धांत खुले होने चाहिए और हमें दूसरे चरण की ओर बढ़ना चाहिए ताकि वायरस के उद्गम का पता चल सके।
चीन को चुनौती देने पर बनी सहमति : जी-7 के नेताओं के कहा है कि वे चीन की बाजार निर्देशित अर्थव्यवस्था से भिन्न पद्धतियों को चुनौती देने के लिए मिलकर काम करेंगे। साथ ही उन्होंने उससे झिनजियांग एवं हांगकांग में मानवाधिकार का सम्मान करने का आह्वान किया।
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन चीन के साथ आर्थिक रूप से प्रतिस्पर्धा करने के लिए साथी लोकतांत्रिक नेताओं को अधिक एकजुट मोर्चा पेश करने पर राजी करना चाहते थे। उन्होंने चीन की बाजार निर्देशित अर्थव्यवस्था से भिन्न तरीकों एवं मानवाधिकार उल्लंघनों को लेकर उसकी निंदा की।
रविवार को प्रकाशित इस समूह के बयान में जी-7 ने कहा कि चीन और वैश्विक अर्थव्यवस्था को मिल रही प्रतिस्पर्धा के संदर्भ में , हम बाजार निर्देशित अर्थव्यस्था से भिन्न नीतियों एवं पद्धतियों को चुनौती देने के लिए सामूहिक पहल के वास्ते परामर्श करते रहेंगे क्योंकि ऐसे तरीके वैश्विक अर्थव्यवस्था के निष्पक्ष एवं पारदर्शी संचालन को कमजोर बनाते हैं।
जी-7 के नेताओं ने यह भी कहा कि वे चीन से झिनजियांग और अर्धस्वायत्त शहर हांगकाग में मानवाधिकारों का सम्मान करने का आह्वान करके अपने मूल्यों को बढ़ावा देते रहेंगे। चीन पर झिनजियांग में उईग्यूर अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन करने का आरोप है।