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Last Updated : बुधवार, 5 फ़रवरी 2025 (13:08 IST)

चीन ‍तैयार कर रहा है तबाही का सामान, जमीन से लेकर स्पेस तक दुनिया को बड़ा खतरा

China
High Power Microwave Weapon: भारत के लिए ही नहीं, चीन पूरी दुनिया की सुरक्षा के लिए ख़तरा बनता जा रहा है। वह ऐसे-ऐसे नित नए हथियार बना रहा है, जो अमेरिका को भी भौचक्का कर देते हैं। सितंबर 2024 में सुनने में आया था कि चीन उच्च शक्तिमान लेज़र-किरणपुंज (Laser Beam) वाले उपकरणों से लैस पनडुब्बियों का उपयोग करके, अंतरिक्ष में एलन मस्क के 'स्टारलिंक नेटवर्क' जैसे उपग्रहों को 'पंगु', अर्थात बेकार बनाने में सक्षम होने के रास्ते पर है।
 
अब सुनने में आया है कि चीन ने एक नई तकनीक का इस्तेमाल करते हुए, अपूर्व शक्तिमान माइक्रोवेव (High Powar Microwave-HPM) हथियारों का परीक्षण करने में सफलता प्राप्त की है। इन माइक्रोवेव हथियारों का इस्तेमाल 'स्टारलिंक' उपग्रहों तथा सैन्य उपग्रहों सहित अन्य प्रकार के उपग्रहों या इलेक्ट्रॉनिक अवयवों वाले लक्ष्यों के खिलाफ भी किया जा सकता है। बिजली से पैदा होने वाली ये वही विद्युत चुंबकीय तरंगें हैं, जो रसोईघरों में खाना पकाने व गरम करने वाले माइक्रोवेव ओवन में भी काम करती हैं। ALSO READ: अमेरिका के लिए चीन बना इतिहास की सबसे बड़ी चुनौती
 
प्रचंड विद्युत चुम्बकीय स्पंद : अंतर इतना ही है कि घरेलू माइक्रोवेव ओवन में प्रतिघंटे 600 से 1000 वॉट बिजली ख़र्च होती है, जबकि एचपीएम हथियार 1 गीगावॉट (1अरब वॉट) विद्युतशक्ति से भी अधिक प्रचंडता वाले स्पंद (पल्स) पैदा करते हैं। कोई परमाणु बम नहीं फूटता। किसी प्रकार का रेडियोधर्मी विकिरण पैदा नहीं होता। पारंपरिक हथियारों के विपरीत, किसी परमाणु विस्फोट जैसी ही ऊर्जा वाले माइक्रोवेव के एचपीएम हथियार, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को अक्षम बनाने और महत्वपूर्ण प्रतिरक्षा या संचार प्रणालियों पर कहर बरपाने के लिए ज़ोरदार विद्युत चुम्बकीय स्पंद (electromagnetic pulse- emp) पैदा करते हैं। जो चीज़ इसे और अधिक असाधारण बनाती है, वह है हथियारों का नपातुला (कॉम्पैक्ट) आकार। ALSO READ: क्या मृत्यु जीवन की अंतिम अवस्था है? एक और अवस्था के बारे में पढ़कर चौंक जाएंगे
 
चीन का हाई पावर माइक्रोवेव हथियार एक तकनीकी चमत्कार है, जो परमाणु विस्फोटों से पैदा होने वाले विनाशकारी नतीजों के बिना, इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियों को निष्क्रिय करने के लिए प्रचंड विद्युत चुम्बकीय स्पंद का उपयोग करता है। यह स्पंद 1 गीगावाट से अधिक बिजली की कौंध के समान होता है और किसी भी इलेक्ट्रॉनिक सर्किट को क्षणभर में अक्षम या नष्ट कर सकता है। इसे अब से पहले अव्यवहार्य माना जाता था।
 
लक्ष्य टूटता-फूटता नहीं, निकम्मा बन जाता है : उच्च शक्तिमान माइक्रोवेव (एचपीएम) हथियार, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को इस तरह नष्ट नहीं करता कि उनके टुकड़े-टुकड़े बिखर जाएं। वह अपने लक्ष्य को अपने विद्युत चुम्बकीय स्पन्द के झटके से निकम्मा बना देता है। यह हथियार 1 गीगावाट से भी अधिक शक्तिमान ऐसे स्पंद (emp) उत्पन्न करता है, जो आज से पहले ऐसी किसी अस्त्र-प्रणाली के लिए असंभव माने जाते थे। स्पंद (पल्स) बड़े प्रभावी ढंग से ड्रोनों, उपग्रहों तथा आधुनिक दूरसंचार (टेलीकम्युनिकेशन) प्रणालियों के लिए महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक सिस्टमों में प्रयुक्त होने वाले सर्किट बेकार कर देता है, न कि उन्हें तोड़ता-फोड़ता है। ALSO READ: Vaccine for cancer: कैंसर से मुक्ति के लिए सही वैक्सीन की खोज
 
पारंपरिक एचपीएम हथियारों के प्रसंग में लक्ष्यों पर निशाना साधने के लिए घूम रहे डिश एंटेना का उपयोग किया जाता था। लेकिन अब, कई एंटेना वाले, चरणबद्ध रूप से क्रम-विन्यासित ऐसे 'अरे सिस्टम' अपनाए जा रहे हैं, जो एक साथ कई दिशाओं में ऊर्जा को सटीक रूप से अभिकेंद्रित करने की अनुमति देते हैं। यह विधि, एचपीएम हथियारों को असाधारण सटीकता के साथ, एक ही बार में कई खतरों को निशाने पर लेते हुए उन्हें निष्क्रिय करने की संभावना देती है। 
 
परमाणु विस्फोटों जैसा स्पंद : यह प्रणाली 8 स्वतंत्र चैनलों के माध्यम से विद्युत चुम्बकीय तरंगें उत्सर्जित करते हुए अपना लक्ष्य साधती है। अपनी चैनलों के लिए आवश्यक बिजली उसे एक क्रांतिकारी 'पावर डिवाइडर' द्वारा मिलती है। 'पावर डिवाइडर' एक घरेलू पेडस्टल फैन के आकार का होता है और प्रति मीटर 80,000 वोल्ट के बराबर विद्युतचुम्बकीय बलक्षेत्र पैदा करता है। तुलना के लिए, परमाणु विस्फोटों के दौरान उत्पन्न होने वाले विद्युत चुंम्बकीय स्पंद की तीव्रता भी इसी के बराबर होती है। 'पावर डिवाइडर' ने कठोर परीक्षणों में 5000 से अधिक पूर्ण शक्तिमान स्पंद सहन किए हैं, बिना किसी ख़ास गिरावट के। एचपीएम अस्त्र प्रणालियां आरंभ में अस्थिरता से पीड़ित रहा करती थीं। ऊर्जा के तीव्र उत्पादन के समय वे स्वयं ही नष्ट हो जाया करती थीं। अब ऐसा नहीं है।
 
माना जाता है कि चीनी शोधकर्ताओं ने इस बाधा को पार करते हुए घूर्णनशील विद्युत चुंबकीय तरंगों को एक अधिक स्थिर स्वरूप में परिवर्तित किया है। पश्चिमी विशेषज्ञों का मानना है कि यह नवाचार, चीनी एचपीएम अस्त्र प्रणाली को न केवल कार्य कुशल  बनाता है, बल्कि वास्तविक दुनिया में तैनाती के लिए व्यावहारिक भी बनाता है। इसका अर्थ है कि इस हथियार के स्थायित्व, सटीकता और कार्यकुशलता की सैन्य आवश्यकताओं को अब पूरा हुआ माना जा सकता है।
 
संचार उपग्रह बनेंगे आसान शिकार : चीन के एचपीएम अस्त्र के सैन्य संचालन पर प्रभाव व्यापक और परिवर्तनकारी होंगे। यह तकनीक राष्ट्रों की आत्मरक्षा और आक्रमकता के दृष्टिकोण को पूर्णतः बदल सकती है, विशेष रूप से ड्रोन, उपग्रह और अन्य महत्वपूर्ण प्रणालियों का सामना करते समय, जो बुनियादी इलेक्ट्रॉनिक ढांचे पर निर्भर होती हैं। सबसे चौंकाने वाले अनुप्रयोगों में से एक यह है कि एचपीएम तकनीक वाले अस्त्र, एलन मस्क वाले 'स्टारलिंक नेटवर्क' जैसे किसी भी देश के संचार उपग्रहों को पूर्णतः निष्क्रिय करने की क्षमता रखते हैं।
 
पृथ्वी से ऊपर की निचली परिक्रमा कक्षा में घूम रहे वाणिज्यिक (कमर्शियल) उपग्रह कम लागत वाली इलेक्ट्रॉनिक पद्धति के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं, न कि सैन्य कार्यों के लिए। अपने 'कूप बैंड' विद्युतचुम्बकीय स्पंद के साथ, एचपीएम हथियार इन प्रणालियों को बाधित या निष्क्रिय कर सकता है, जिससे संचार सेवाएं किसी 'ब्लैकआउट' की तरह बड़े पैमाने पर ठप हो सकती हैं। तब देशों के बीच किसी तनातनी या लड़ाई की स्थिति में, अंतरिक्ष में घूम रहे उपग्रहों के द्वारा गोपनीय जानकारी संप्रेषित करने की क्षमता गंभीर रूप से बाधित होगी।
 
एक साथ कई ड्रोनों की छुट्टी : एचपीएम हथियारों की हवाई ड्रोनों को निशाना बनाने की क्षमता भी कतई कम नहीं होगी। ड्रोनों को निष्क्रिय करने के पारंपरिक तरीके मुख्यतः उन्हें मार गिराने वाले गोले और मिसाइलें हैं। उनका दायरा अक्सर सीमित होता है। एचपीएम हथियार एक विस्तृत दायरे में एक साथ कई ड्रोनों की इलेक्ट्रानिक प्रणाली को बहुत सस्ते में निष्क्रिय कर उन्हें गिरा देगा। एचपीएम सिस्टम तब तक बार-बार फायर करते रह सकते हैं जब तक बिजली है।
 
यह विकास निर्देशित ऊर्जा वाले हथियारों की दौड़ को निश्चित रूप से तेज करेगा। अमेरिकी नौसेना  अपने जहाजों पर 'हेलिओस' जैसी उन्नत लेजर प्रणाली को तैनात करने वाली ऐसी ही तकनीकों में भारी निवेश कर रही है। भारतीय सेना भी, विशेषकर ड्रोनों से निपटने के लिए एचपीएम माइक्रोवेव तकनीक अपनाने जा रही है। भारत और चीन एक-दूसरे के न केवल पड़ोसी और प्रतिस्पर्धी हैं, दोनों के बीच 1962 में एक युद्ध भी हो चुका है और सीमा पर अब भी झड़पें होती रहती हैं। इसलिए चीन की तैयारियों की भारत अनदेखी नहीं कर सकता।  
 
दुनिया के लिए नए प्रश्न : चीन के एचपीएम हथियार का उद्भव युद्ध, सुरक्षा और प्रौद्योगिकी के भविष्य के बारे में पूरी दुनिया के लिए नए प्रश्न पैदा करता है। एचपीएम हथियार किसी ड्रोन, हेलिकॉप्टर, विमान या उपग्रह को सीधे ध्वस्त नहीं करता, उनमें लगी इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियों को निकम्मा बनाकर उन्हें बेकार कर देता है। इससे भावी लड़ाइयों को लड़ने का तरीका बदलेगा। युद्ध छिड़ने की संभवनाएं बढ़ जाएंगी। वैश्विक सुरक्षा, औद्योगिक नवाचार और अंतर्राष्ट्रीय नियमों में उलटफेर होंगे।
 
एक सबसे तात्कालिक चिंता मौजूदा प्रणालियों की संवेदनशीलता है। नागरिक और सैन्य उपग्रह, संचार नेटवर्क और ड्रोन अक्सर ऐसे इलेक्ट्रॉनिक घटकों पर निर्भर करते हैं, जो उच्च तीव्रता के विद्युत चुम्बकीय स्पंदों को सहन करने के लिए डिज़ाइन नहीं किए गए हैं। उदाहरण के लिए, एलन मस्क के उपग्रहों का 'स्टारलिंक नेटवर्क,' जो रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे संघर्षों में टेलीफ़ोन सेवा के लिए महत्वपूर्ण रहा है, अपने नेटवर्क की लागत को कम रखने के लिए वाणिज्यिक स्तर की सामग्री का उपयोग करता है। ऐसी सामग्री सामान्य संचालन के लिए प्रभावी होते हुए भी एचपीएम हथियारों द्वारा उत्पन्न शक्तिशाली विद्युत चुम्बकीय स्पंद (emp) को झेल नहीं सकती। ऐसे स्पंद झेलने के लिए कहीं अधिक मज़बूत व ख़र्चीले इलेक्ट्रॉनिक तानेबाने वाले डिज़ाइन की आवश्यकता पड़ेगी। 
 
लक्ष्यों के बीच सीमा रेखा धुंधली हो जाएगी : एचपीएम हथियारों से बिजली ग्रिड, संचार नेटवर्क और वित्तीय प्रणालियां जोखिम में पड़ सकती हैं। एक ऐसे नए प्रकार के युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जो सैन्य और नागरिक लक्ष्यों के बीच की सीमा रेखाओं को धुंधला कर देगी। सुझाव दिया जा रहा है कि चीन, रूस और अमेरिका जैसे देश एचपीएम हथियारों से क्योंकि परहेज़ नहीं करेंगे, इसलिए भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए आज के नियमों और भू-राजनीतिक स्तर पर के अंतरराष्ट्रीय कानूनों का अभी से पुनर्मूल्यांकन करने की आवश्यकता है। 
 
अमेरिका, चीन व अन्य प्रमुख शक्तियां, तकनीकी बढ़त प्रप्त करने के विचार से एचपीएम हथियारों और लेज़र-गनों जैसे सिस्टमों के विकास में अभी से भारी निवेश कर रही हैं। उनके बीच प्रतिस्पर्धा दक्षिण चीन सागर जैसे क्षेत्रों को, जहां क्षेत्रीय विवाद पहले से ही तनाव पैदा करते रहे हैं, और अधिक अस्थिर कर सकती है। ऐसे अस्थिर वातावरण में एचपीएम हथियारों का होना किसी भी समय युद्ध भड़का सकता है या वर्तमान संघर्षों को बढ़ा सकता है। 
 
एचपीएम हथियार केवल तकनीकी चमत्कार नहीं : चीन द्वारा उच्च शक्तिमान माइक्रोवेव हथियारों का विकास केवल एक तकनीकी मील का पत्थर नहीं है, एक चेतावनी भी है। यह नवाचार इस बात को उजागर करता है कि सैन्य प्रौद्योगिकियां कितनी तेज़ी से विकसित हो रही हैं और वैश्विक सुरक्षा को लेकर उनके कितने दूरगामी गहरे निहितार्थ हैं।
 
विध्वंसक न सही, पर लक्ष्यबद्ध सटीकता के साथ ड्रोन, विमान, उपग्रह और आधुनिक जीवन की अन्य महत्वपूर्ण प्रणालियों को निष्क्रिय करने की क्षमता रखने वाले उच्च शक्तिमान माइक्रोवेव हथियारों के उद्भव से युद्ध के नियमों को फिर से परिभाषित करना होगा। दुनिया संभवतः एक ऐसे भविष्य की ओर बढ़ रही है, जिसमें भावी लड़ाइयां गोलियों या बमों के साथ नहीं, प्रचंड विद्युत ऊर्जा-संपन्न स्पंदों (पल्स) के साथ लड़ी जाएंगी। मकान आदि नहीं गिरेंगे। टूट-फूट नहीं होगी, पर माइक्रोवेव की चपेट में आने वाले लोग मरेंगे ज़रूर।