1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. Who are bedroom jihadis Why are security agencies in Kashmir worried about them
Last Updated :श्रीनगर , मंगलवार, 12 अगस्त 2025 (19:14 IST)

कौन हैं बेडरूम जिहादी? कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियां क्यों परेशान हैं इनसे

Who are bedroom jihadis
Who are bedroom jihadis: जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियां ‘बेडरूम जिहादियों’ के रूप में एक नए और छिपे हुए खतरे से जूझ रही हैं। ये वे लोग हैं जो अपने घरों की सुरक्षित चारदीवारी में रहकर सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर गलत सूचना फैलाते हैं और सांप्रदायिक तनाव भड़काते हैं। अधिकारियों ने कहा कि इस प्रकार का शत्रु पारंपरिक सशस्त्र आतंकवादियों से बहुत अलग है और क्षेत्र को अस्थिर करने के लिए सीमा पार से जारी पेचीदा प्रयासों के केंद्र में है।
 
इस संबंध में एक गहन जांच में विभिन्न सोशल मीडिया हैंडल के एक नेटवर्क का पता चला है, जिसके बारे में माना जाता है कि यह पाकिस्तान में आतंकवादी समूहों और उनके समर्थकों द्वारा नियंत्रित है। ये स्थानीय डिजिटल क्षेत्र में सक्रिय रूप से घुसपैठ कर रहे हैं तथा कश्मीर घाटी में सांप्रदायिक तनाव और अशांति पैदा करने के स्पष्ट उद्देश्य से भड़काऊ सामग्री एवं दुष्प्रचार का प्रसार कर रहे हैं।
 
ये छिपे हुए दुश्मन : घटनाक्रम से अवगत एक अधिकारी ने कहा कि वर्षों तक सशस्त्र आतंकवादियों से लड़ने के बाद, सुरक्षा एजेंसियां इस छिपे हुए दुश्मन का सामना कर रही हैं, जिसमें ये नए युग के जिहादी कंप्यूटर और स्मार्टफोन का उपयोग करके कहीं से भी युद्ध छेड़ते हैं, अफवाहें फैलाते हैं और युवाओं को प्रभावित करते हैं। यह प्रवृत्ति 2017 में उभरी थी, लेकिन 2019 में जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने के बाद इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाने के साथ प्रभावी कार्रवाई के बाद यह समाप्त हो गई।
 
अधिकारियों ने बताया कि पिछले वर्ष विधानसभा चुनाव के सफलतापूर्वक संपन्न होने के बाद ‘बेडरूम जिहादी’ फिर से सामने आए हैं, जिनका उद्देश्य संभवतः निर्वाचित सरकार को अस्थिर करना और अशांति की भावना पैदा करना है। सुरक्षा एजेंसियों ने सीमा पार से सक्रिय आतंकवादी समूहों और उनके समर्थकों द्वारा सांप्रदायिक संघर्ष भड़काने और क्षेत्र को अस्थिर करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग किए जाने के एक सोचे-समझे प्रयास का खुलासा किया है।
 
इस तरह मिले सबूत : कई हफ्तों से जारी इस जांच में हजारों सोशल मीडिया पोस्ट, टिप्पणियों और निजी संदेशों की जांच की गई तथा इसके विश्लेषण से इन दुर्भावनापूर्ण ऑनलाइन गतिविधियों और पाकिस्तान में बैठे आकाओं के बीच सीधे संबंध के ठोस सबूत मिले। अधिकारियों ने बताया कि हाल में मुहर्रम के दिनों में एक पोस्ट को लेकर मुस्लिम समुदाय के दो संप्रदायों के बीच तनाव पैदा हो गया था, लेकिन श्रीनगर पुलिस द्वारा प्रभावी तरीके से निपटे जाने से आग फैलने से पहले ही बुझा दी गई।
 
क्या कहते हैं जम्मू कश्मीर के पूर्व डीजीपी : जम्मू-कश्मीर पुलिस के पूर्व महानिदेशक कुलदीप खोड़ा का कहना है कि सीमा पार से सोशल मीडिया पर जारी इस साजिश की सफलतापूर्वक पहचान और उसे नाकाम करना जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा के लिए बढ़ते खतरों की प्रकृति को उजागर करता है। उन्होंने कहा कि हालांकि पारंपरिक आतंकवादी गतिविधियां चिंता का विषय बनी हुई हैं, लेकिन डिजिटल युद्धक्षेत्र तेजी से एक ऐसा मोर्चा बनता जा रहा है, जहां बाहरी ताकतें स्थानीय तनाव का फायदा उठाकर क्षेत्र को अस्थिर करने की कोशिश कर रही हैं, जिसे शुरू में ही खत्म कर दिया जाना चाहिए।
 
हाल ही में, इस संघर्ष की आभासी प्रकृति उस मामले में देखी गई, जहां प्रधानमंत्री पुनर्वास योजना के तहत नियुक्त कश्मीरी पंडित प्रवासियों के व्यक्तिगत विवरण विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लीक हो गए। अल्पसंख्यक समुदाय में भय पैदा करने के उद्देश्य से किए गए इस दुर्भावनापूर्ण कृत्य पर जम्मू-कश्मीर पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की और उसकी जांच में एक स्थानीय युवक को गिरफ्तार किया गया, जिसे सीमा पार से इस कृत्य को अंजाम देने के निर्देश दिए गए थे।
 
कैसे काम करते हैं ये जिहादी : ‘बेडरूम जिहादी’ शब्द का प्रयोग अधिकारियों ने ऐसे लोगों के लिए किया है जो एक आभासी युद्धक्षेत्र में काम करते हैं, जहां ‘खूनी युद्ध लड़ा जाता है, लेकिन शब्दों के साथ।’ हालांकि, इसका युवा मस्तिष्क पर गंभीर प्रभाव पड़ता है और जिस आसानी से अफवाह फैलती है, वह एक बड़ी चुनौती बन जाती है। कोई भी व्यक्ति अपने बिस्तर या सोफे पर बैठकर हजारों चैट ग्रुप में से किसी एक में फर्जी खबर डाल सकता है और पूरा केंद्र शासित प्रदेश सांप्रदायिक विभाजन में फंस सकता है। कई ‘एक्स’ उपयोगकर्ताओं ने सीमा पार से फैलाई जा रही झूठी खबरों को फैलाने के लिए फर्जी अकाउंट बनाए हैं।
 
इस संबंध में एक अन्य अधिकारी ने कहा कि यह भूसे के ढेर में सुई ढूँढ़ने जैसा है, लेकिन फिर भी प्रभावी पुलिसिंग के कारण ऐसे तत्वों को रोकने या पकड़ने में मदद मिली है। इन चैट समूहों और सोशल मीडिया पोस्ट की पहुंच जम्मू-कश्मीर से आगे तक फैली हुई है जिसमें राष्ट्रीय राजधानी, भारत के अन्य भागों और विदेशों के युवाओं तक पहुंच शामिल है। कानून प्रवर्तन अधिकारियों ने ऑनलाइन अभियान में सीधे तौर पर शामिल होने या सीमा पार बैठे आकाओं के लिए स्थानीय माध्यम के रूप में काम करने के संदेह में कई लोगों को एहतियातन हिरासत में भी लिया है। (भाषा/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala