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Last Modified: बुधवार, 11 अगस्त 2021 (09:30 IST)

बड़ी खबर, तालिबान से जंग में भारतीय वायुसेना की मदद चाहता है अफगानिस्तान

बड़ी खबर, तालिबान से जंग में भारतीय वायुसेना की मदद चाहता है अफगानिस्तान - Afghanistan needs help from Indian air force against Taliban
काबुल। अफगानिस्तान में तालिबान के बढ़ते प्रभाव के बीच अशरफ गनी सरकार अब भारतीय वायुसेना से मदद चाहती है। अफगानिस्तान सरकार को आशंका है कि 31 अगस्त तक अमेरिकी फौजों के पूरी तरह अफगानिस्तान से निकलने के बाद तालिबान की हिंसा और बढ़ जाएगी।
 
तालिबान ने मंगलवार को अफगानिस्तान के 6 प्रांतों की राजधानियों पर कब्जा जमा लिया। कब्जे के बाद हजारों की संख्या स्थानीय लोग अपना घर छोड़कर भाग निकले। ऐसे में तालिबान के खात्मे के लिए अफगानिस्तान सरकार अब भारतीय वायुसेना की मदद चाहती है।
 
द प्रिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान सरकार चाहती है कि भारतीय वायुसेना अफगानिस्तान जाकर अफगान एयरफोर्स की मदद करे। 
 
मजार-ए-शरीफ से कर्मचारियों की स्वदेश वापसी : अफगानिस्तान के बल्ख प्रांत की राजधानी मजार-ए-शरीफ में तालिबान की हिंसा बढ़ने के मद्देनजर भारत वहां स्थित अपने वाणिज्य दूतावास से कर्मचारियों को स्वदेश ला रहा है। 
 
अमेरिका नहीं बदलेगा प्लान : अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने अफगानिस्तान से सैनिकों की वापसी के कार्यक्रम में किसी भी तरह के परिवर्तन की संभावना से इनकार किया है। बाइडन ने 11 सितंबर तक युद्धग्रस्त देश से सभी अमेरिकी सैनिकों की वापसी का आदेश दिया है। पेंटागन ने बताया कि अब तक वहां से 90 फीसदी से अधिक सैनिक स्वदेश लौट चुके हैं। तालिबान अफगानिस्तान के बड़े हिस्सों में काबिज होता जा रहा है।
 
20 साल में खर्च किए एक हजार अरब डॉलर : बाइडन ने कहा कि देखिए, हमने बीस साल से अधिक वर्षों में एक हजार अरब डॉलर से अधिक राशि खर्च की। अफगान बलों के 3,00,000 से अधिक सैनिकों को प्रशिक्षित किया, साजो सामान दिया। अफगान नेताओं को एक साथ आना होगा। हमारे हजारों सैनिक घायल हुए, हजारों मारे गए। उन्हें अपनी लड़ाई खुद लड़नी होगी, अपने देश के लिए लड़नी होगी।
 
बाइडन ने कहा, 'हम अपने वादे पूरे करेंगे जैसे कि हवाई क्षेत्र में मदद देना, यह देखना कि उनकी वायुसेना ठीक से काम करने में सक्षम हो, उनके बलों को भोजन और उपकरणों की आपूर्ति और उनके सभी वेतनों का भुगतान आदि। लेकिन उन्हें लड़ना होगा। उनकी संख्या तालिबान से अधिक है।'
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