क्यों पीथमपुर में ही जलेगा यूनियन कार्बाइड का कचरा, किस प्रक्रिया से होगा नष्ट, वेबदुनिया के सवाल पर क्या बोले संभागायुक्त दीपक सिंह
यूनियन कार्बाइड के कचरे से होने वाले खतरे की आशंका से डरी जनता
हाइकोर्ट के आदेश पर आने वाले दिनों में इंदौर के नजदीक पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के कचरे का निस्तारीकरण किया जाना है। इसे लेकर पिछले कई दिनों से विवाद चल रहा है। कोर्ट ने सरकार को कचरा जलाने के लिए 6 हफ्तों का समय दिया है। जब यूनियन कार्बाइड के कचरे से भरे 12 कंटेनर पीथमपुर लाए गए तो इसका स्थानीय लोगों ने जमकर विरोध किया। दरअसल, आम लोगों को यूनियन कार्बाइड के कचरे से होने वाले खतरे की आशंका है। हाल ही में वेबदुनिया ने पीथमपुर पहुंचकर जमीनी हकीकत जानी थी। कचरे के खतरे की आशंका के चलते कुछ परिवार पलायन कर रहे हैं। उनकी आशंका है कि कचरे से लोगों का स्वस्थ खराब हो रहा है।
इन्हीं आशंकाओं पर चर्चा करने के लिए संभागायुक्त दीपक सिंह ने इंदौर प्रेस क्लब में मीडिया और आम नागरिकों को संबोधित किया। इस चर्चा में प्रदूषण बोर्ड के अधिकारी, पीथमपुर के एसडीएम और प्रोफेसर रुबीना चौधरी और अन्य अधिकारी मौजूद थे। उन्होंने मीडिया की आशंकाओं के जवाब दिए।
इसे लेकर आम जनमानस में कई तरह की चर्चा हो रही है। शासन-प्रशासन के स्तर पर कचरा निस्तारण से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने के लिए संवाद का सिलसिला प्रारंभ किया गया है। इसी क्रम में संभागायुक्त दीपक सिंह मीडिया के साथियों से चर्चा की।
स्टेट और सेंट्रल करेगा मॉनिटरिंग : संभागायुक्त दीपक सिंह ने बताया कि सवाल यह है कि इस कचरे को यहां क्यों लाया गया। इस बारे में उन्होंने बताया कि यह एक कानूनी प्रक्रिया है। उन्होंने बताया कि चूंकि इस कचरे को एक खास प्लांट में ही जलाने के आदेश है इसलिए इसे हमने पीथमपुर में जलाने का फैसला किया। हर राज्य में इस तरह का प्लांट होता है, मध्यप्रदेश में यह पीथमपुर में हैं। जब कचरा जलाया जाएगा तो स्टेट पॉल्यूशन और सेंट्रल पॉल्यूशन बोर्ड इसकी मॉनिटरिंग करेगा।
क्या है 2015 की ट्रायल रिपोर्ट : संभागायुक्त सिंह ने बताया कि 2015 में इस तरह के कचरे को जलाने पर होने वाले दुष्प्रभाव के बारे में एक रिपोर्ट तैयार की गई थी। जिसमें बताया गया था कि इसमें किसी तरह का कोई नुकसान नहीं है। इसी तरह की एक ट्रायल रिपोर्ट 2013 में भी आई थी, जिसमें कहा गया था कि यह पूरी प्रक्रिया अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों के हिसाब से होती है, इसका कोई असर आम लोगों या जलवायु पर नहीं होगा। इन रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने भी संतुष्टि जताई है।
क्या लाया गया भोपाल से : परिसर की मिट्टी, रिएक्टर अवशेष, सेविन, कीटनाशक, नेफ़थॉल आदि तत्व है। दावा किया गया कि इस कचरे में यह सारे तत्व इतने साल में नष्ट या बेअसर हो गए हैं। लेकिन इसे वैज्ञानिक पद्धति से जलाया जाना जरूरी है। उन्होंने बताया कि अगर भोपाल गैस त्रासदी न होती तो भी यह कचरा इसी वैज्ञानिक तरीके से नष्ट जलाया जाता।
क्या ज्यादा कचरा जलाने से ज्यादा खतरा होगा : जहां तक कम मात्रा और ज्यादा मात्रा में कचरा जलाने में होने वाले खतरे में फर्क की बात का सवाल है तो यह फीड पर निर्भर करेगा। कचरा जलाने के लिए प्लांट पर फीड तय होती है। इस फीड से ही तय होगा। 337 टन कचरा जलाने में करीब 6 महीने लगेंगे। तो ऐसा नहीं है कि ज्यादा कचरा जलाने पर खतरा होगा, अगर मात्रा ज्यादा है तो उसकी फीड भी तय है। अधिकारियों ने बताया कि हम रोज़मर्रा की जिन चीजों का इस्तेमाल करते हैं वो भी इसी प्रक्रिया से जलाई जाती हैं। परिचर्चा में बताया कि किसी तरह की अफवाह पर ध्यान नहीं दे।