जिम्मी मगिलिगन सेंटर पर पहुंचे 40 छात्रों ने सीखे सस्टेनेबल सॉल्यूशन्स
श्री सत्यसांई विद्या विहार से कक्षा 11 के 40 छात्र अपने शिक्षक दल के साथ सनावदिया स्थित जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट पर पहुंचे। यहां पहुंचे इस दल ने सोलर ऊर्जा के माध्यम से, भारत में सामने आ रही फिर से उपयोग न की जाने वाली ऊर्जा, की समस्या का हल सीखा।
छात्र और शिक्षक दल ने सेंटर की निर्देशक श्रीमती जनक पलटा मगिलिगन और उनके सहयोगी नंदा के साथ पूरे सेंटर का चक्कर लगाया। यहां उन्होंने जीवन में पहली बार बारिश के पानी की पुनः उपयोग की विधि देखी। पानी को फिर से उपयोगी बनाते देखा। सौर और वायु ऊर्जा का मिलाजुला उपकरण देखा। यह पॉवर स्टेशन श्रीमती जनक पलटा मगिलिगन के दिवंगत पति श्री जिम्मी मगिलिगन द्वारा स्थापित किया गया था। यह इस उपकरण का ही फल है कि इस पॉवर हाउस के माध्यम से 50 भूमिहीन आदिवासियों के लिए बिना किसी बिल के 19 सड़कें पिछले 8 सालों से रोशन हैं।
छात्र यहां ऑटो रोटेटिंग शेफलर डिश देखकर खुश हो गए। इसके माध्यम से किचन के भीतर सोलर थर्मल टेक्नोलॉजी के तहत बिना किसी बैटरी या सोलर सेल के खाना पक जाता है। शहरी रंग में रंगे इन छात्रों के लिए बायोडायवर्सिटी एक अलग ही अनुभव था। खासतौर से तब जब उन्होंने यहां 160 तरह के पेड़ और 71 तरह के ख़ास पौधे देखे। मूंग, उड़द, कॉर्न , मूंगफली, और औषधिय प्रकार के पेड़ देखकर छात्र अभिभूत हो गए। सबसे ख़ास रहा अम्बाबाड़ी पौधा जिससे देशी सॉफ्ट ड्रिंक तैयार होती है। पौड़िया के बीज जो प्राकृतिक कॉफी बीन्स है। पोई जिनसे प्राकृतिक रंग बनाए जाते हैं। गायों की उपस्थित और किसी तरह का कचरा न होना छात्रों के लिए अद्भुत अनुभव रहा।
इसके अलावा छात्रों के लिए एक पॉवर पाईंट प्रेजेंटेशन पेश किया गया जिसमें डॉक्टर जनक पलटा ने अपने 34 सालों के अनुभव साझा किए। उनके कार्यों से हजारों आदिवासी महिलाओं और युवकों को रोजगार मिलाने की वर्णन था। ये सभी लंबे समय तक चलने वाले विकास के कार्य में भी सहयोगी बने। श्रीमती पलटा ने छात्रों को आधात्मिक, सामाजिक और संस्कृति से जुड़ीं खास बातों से भी परिचित रहने का पाठ पढ़ाया। आज के दौर में एनर्जी का संरक्षण और पर्यापरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझने की जरूरत पर भी जोर श्रीमती पलटा ने दिया।