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Written By Author नवीन रांगियाल
Last Updated : शुक्रवार, 14 अप्रैल 2023 (17:17 IST)

सरकार को डरा हुआ पत्रकार सुहाता है

सरकार को डरा हुआ पत्रकार सुहाता है - Inspirational speech by Om Thanvi
इंदौर। भारतीय पत्रकारिता महोत्सव में 'जनसत्ता' के पूर्व संपादक ओम थानवी ने 'मीडिया और समाज, दरकता विश्वास' विषय पर खुलकर अपनी बात कही। अपनी बात शुरू करते हुए उन्होंने सबसे पहले आयोजन की बधाई दी और कहा कि प्रवीण खारीवाल ने आयोजन में अच्छे विषय चुने और अच्छा संतुलन बनाने की कोशिश की है। इंदौर की धरती संपादकों की धरती है। पत्रकारिता में इंदौर का योगदान बहुत बड़ा है।
 
-यह एक तरह से अघोषित इमरजेंसी है
 
जब पत्रकारिता पर विश्वास की बात आती है तो आज के दौर में अपनी बात कहना इतना आसान नहीं लगता। इस वक्त एक भय का वातावरण है। जिस तरह से पत्रकारों पर मुकदमे हुए, बीबीसी जैसी संस्था पर सवाल उठे, गौरी लंकेश की हत्या हो गई, सिद्धार्थ वरदराजन पर प्रेशर डाला गया, कार्टूनिस्ट पर हमले हुए, कॉमेडियन पर हमले हुए, वह चिंताजनक है। एक दौर इमरजेंसी का भी था लेकिन वो घोषित थी। इस समय बगैर घोषणा के ही भय का माहौल है। आज मीडिया कुछ करने की स्थिति में नहीं है। इस बारे में सोचा जाना चाहिए।
 
-बोलना मुश्किल है लेकिन बोलना चाहिए
 
अब तो पत्रकार भी नाटकीय ढंग से एक्टिंग कर रहे हैं और पत्रकारिता में कोई गंभीरता नहीं रही। ड्रामा के कलाकारों को लेकर टीवी पर दिखाया जा रहा है। अडाणी बर्बाद हो गया लेकिन कोई बात नहीं हो रही है। हम अपने संस्थानों को खत्म कर रहे हैं। अडाणी ने चैनल खरीद लिया और रवीश कुमार सड़क पर आ गया। बोलने की आजादी खत्म हो गई है, भले ही बोलना इस दौर में मुश्किल है लेकिन फिर भी बोलना चाहिए। अब बोलने की जगह मनोरंजन की पत्रकारिता हो रही है।
 
-सेल्फी लेने वाला पत्रकार खिलाफ लिख पाएगा?
 
मोदीजी ने एक काम अच्छा किया कि पत्रकारों की विदेश यात्राएं बंद की। लेकिन वे प्रेस वार्ता नहीं करते, मीडिया से बात नहीं करते। मैं तो कहता हूं कि संपादकों को विदेश यात्रा पर पीएम के साथ जाना ही नहीं चाहिए। लेकिन रिपोर्टर का हक मारकर संपादक विदेश यात्रा पर चला जाता है, ऐसे में कोई क्या उनके खिलाफ लिखेगा? जब कोई पत्रकार नेताओं के साथ सेल्फी लेगा और अपने घर में लगाएगा तो क्या वो उनके खिलाफ लिख पाएगा? सरकार को डरा हुआ पत्रकार सुहाता है।
 
अगर लोकतंत्र की बात है, संविधान की बात है तो हमें इसे बचाना होगा। आजादी को, मीडिया को और पत्रकार को बचाना होगा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो पत्रकार कमजोर होता जाएगा, समाज कमजोर होता जाएगा और अखबार में यही छपेगा कि दही बड़े कैसे बनाएं? अभी हमारे साथी ने बताया कि पत्रकारिता में भारत का इंडेक्स लगातार गिर रहा है और यह चिंता की बात है।
 
Edited by: Ravindra Gupta
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