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Written By WD Feature Desk

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर वामा साहित्य मंच का आयोजन

स्त्री में संतुलन साधने का गुण नैसर्गिक है : डॉ. संदीप अत्रे

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर वामा साहित्य मंच का आयोजन - Vama Sahitya Manch organized on International Womens Day
पारिवारिक, आर्थिक और सामाजिक दायित्वों में संतुलन साधती स्त्री के कई सवाल और उलझन होते हैं। हर मोर्चे पर तैनात स्त्री परफेक्शन चाहती है। सुपर वुमन होना चाहती है लेकिन कुछ न कुछ हमेशा रह जाता है और जो रह जाता है वही उसके मन पर हावी हो जाता है, जबकि जो किया है उसकी मान्यता मिलनी चाहिए और उसे खुद भी स्वयं को शाबाशी देना चाहिए।
 
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर 06 मार्च को वामा साहित्य मंच ने महिलाओं की आम समस्या पारिवारिक, आर्थिक और सामाजिक दायित्वों में संतुलन कैसे बनाएं पर विमर्श किया। कार्यक्रम में बतौर अतिथि वक्ता जाने-माने मनोवैज्ञानिक काउंसलर डॉ. संदीप अत्रे ने प्रभावशाली व्याख्यान दिया। 
 
डॉ. अत्रे ने सरल सहज और रोचक अंदाज में वामा सदस्यों से कहा कि हम अपने काम और दायित्वों को दिमाग में रखें, मन पर नहीं...। मन का बोझ आपको संतुलन साधने में बाधा देता है... उन्होंने कहा कि एक पूरा का पूरा षड्यंत्र है महिला को यह कहने का कि आप वे सब कुछ कर सकती है जो पुरुष कर सकते हैं, इस भ्रम के चलते अब वह जिम्मेदारी भी उठाने लगी है जो वास्तव में पुरुषों की है...। अब महिलाओं का ज्यादा शोषण हो रहा है पहले की तुलना में और इसी को समझ कर और बचकर चलना है... सारे संतुलन खुद को रिलेक्स रखने से आएंगे...
 
सवाल-जवाब सत्र में डॉ. अत्रे ने सद्स्यों की जिज्ञासाओं का समाधान भी किया। आरंभ में स्वागत भाषण- सहसचिव प्रतिभा जैन ने सरस्वती वंदना- तृप्ति मिश्रा, अतिथि स्वागत- वंदना वर्मा, ऋतु चौरड़िया ने किया। स्मृति चिन्ह- ब्रजराज व्यास, अनुपमा गुप्ता ने प्रदान किए। संचालन डॉ. दीपा मनीष व्यास ने किया और आभार सचिव स्मृति आदित्य ने माना।