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Written By WD Feature Desk
Last Updated :कोलकाता , सोमवार, 3 फ़रवरी 2025 (14:02 IST)

उपन्यास के बहाने समय के ज्वलंत मुद्दों पर हुई चर्चा

उपन्यास के बहाने समय के ज्वलंत मुद्दों पर हुई चर्चा - Discussion on burning issues of time took place under the pretext of novel
प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग की ओर से अभिज्ञात के उपन्यास 'टिप टिप बरसा पानी' पर विचार-विमर्श कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह समारोह विश्वविद्यालय के डॉ. राजेन्द्र प्रसाद सभागार में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम तीन सत्रों में आयोजित था। 
 
पहले सत्र वक्तव्य का था जिसमें स्मृति सिंह, अंजली पंडित, नंदिनी साव, रोहित कुमार राम, आयुषी राय, महिमा केसरी ने उपन्यास के विविध पहलुओं पर अपने विचार वक्त किये और मजबूत पक्षों और खूबियों की चर्चा की। 
 
दूसरा सत्र वैचारिक हस्तक्षेप का था, जिसमें वक्ताओं ने उपन्यास की सीमाओं और असहमति के मुद्दे उजागर किए, जिसमें रितिका गुप्ता, दिशा साव, अभिषेक यादव, नेहा राय, निकिता साव और सुषमा कनुप्रिया शामिल थीं। विभिन्न वक्ताओं ने उपन्यास में चित्रित त्रिकोणीय प्रेम, लिव इन रिलेशन, एलजीबीटीक्यू, नारी स्वतंत्रता, लेखक और प्रकाशक से जुड़े मुद्दों को उठाया और उपन्यास के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलुओं पर दिलचस्प और गर्मागर्म चर्चा की। 
 
मैं तो दिल के रास्ते दिमाग पर दस्तक देता हूं: तीसरा सत्र प्रश्नोत्तर और लेखकीय वक्तव्य का था। अभिज्ञात ने उठाए गए दर्जनभर प्रश्नों के उत्तर देते हुए कहा कि मेरे लिखने से समाज बदलेगा, यह भ्रम नहीं पालता किन्तु कहीं-कहीं आईना दिखाया है। मैं तो दिल के रास्ते दिमाग पर दस्तक देने की कोशिश करता हूं। उपन्यास में अपनी बात कहने के लिए कथानक दिलचस्प चुना जाना चाहिए ताकि लोग ऊबकर उसे अधूरा पढ़कर ही न छोड़ दें। 
 
झूठ के माध्यम से बड़े सच उजागर करता उपन्यासः प्रेसिडेंसी विश्वविद्लाय के प्रोफेसर डॉ. वेदरमण पाण्डेय ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि उपन्यास मौजूदा समय के बहुआयामी सच को उद्घाटित करता है। इस उपन्यास में नायक के भीतर खलनायक है। इतिहास जिन सच्चाइयों से नहीं अवगत कराता है, उपन्यास कराता है। झूठ के माध्यम से उन्होंने बड़े सच सामने रखे हैं।
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